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हरिवंशराय बच्चन

Question
CBSEENHN12026046

जहाँ पर दाना रहते हैं वहीं नादान भी होते हैं-कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?

Solution

ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि यह जग स्वार्थी है। जहाँ पर उसे कुछ मिलता है वह वहीं जम जाता है। दाना का अर्थ चतुर, बुद्धिमान भी है। इस दृष्टि से इस पंक्ति का अर्थ हुआ कि जहाँ पर कुछ बुद्धिमान एवं चतुर लोग रहते हैं। वहीं इस संसार में कुछ नादान (मूर्ख) भी मिलते हैं। इस संसार में सभी प्रकार के व्यक्ति मिलते हैं। इस संसार में सभी प्रकार के व्यक्ति मिलते हैं। इस संसार में भाँति-भाँति के प्राणी रहते हैं। ये अच्छे भी है तो बुरे भी। विरोधी होते हुए भी इनका आपस में संबंध है।

Some More Questions From हरिवंशराय बच्चन Chapter

कवि क्या लिए फिरता है?

कवि को यह संसार कैसा प्रतीत होता है?

कवि किस मन: स्थिति में रहता है?

कवि इस संसार में अपना जीवन किस प्रकार से बिताता है?

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

मैं यौवन का उन्माद लिए फिरता हूँ,

उन्मादों में अवसाद लिए फिरता हूँ,

जो मुझको बाहर हँसा, रुलाती भीतर,

मैं, हाय 2 किसी की याद लिए फिरता हूँ,

कर यत्न मिटे सब, सत्य किसी ने जाना?

नादान वहीं है, हाय, जहाँ पर दाना!

फिर छू न क्या जग, जो इस पर भी सीखे?

मैं सीख रहा हूँ, सीखा ज्ञान भुलाना!

कवि कैसा उन्माद लिए फिरता है? इसका उसे क्या प्रतिफल मिलता है?

कवि किस मन: स्थिति में जी रहा है और क्यों?

कवि इस संसार के बारे में क्या बताता है?

कौन व्यक्ति मूर्ख है और क्यों?

प्रस्तुत पक्तियों का सप्रसंग व्याख्या करें?

मैं और, और जग और, कहाँ का नाता,

मैं बना-बना कितने जग रोज मिटाता;

जग जिस पृथ्वी पर जोड़ा करता वैभव,

मैं प्रति पग से उस पृथ्वी को ठुकराता!

मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,

शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ,

हों जिस पर भूपोंके प्रासाद निछावर,

मैं वह खंडहर का भाग लिए फिरता हूँ।