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जॉर्ज पंचम की नाक

Question
CBSEENHN10002712

आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है -
इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?

Solution
आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान सम्बंधि आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है वह न केवल अनावश्यक है, बल्की समाज की उन्नति के लिए बाधक भी है। यह एक निम्न स्तर की भटकी हुई पत्रकारिता है। पत्रकारिता लोकतंत्र का वह मुख्य स्तम्भ है, जो समाज के अधिकारों के प्रहरी के रूप में समाज तथा राष्ट्र दोनों के विकास मैं महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। किन्तु इस प्रकार की पत्रकारिता जिससे सामान्य ज्ञान नहीं बढ़ता, न ही इससे आम आदमी के जीवन में कोइ लेना-देना है, समाज को सिर्फ हानि पहुँचाती है। यह व्यक्ति-विशेष की निजी जीवन में अनुचित ताक-झाँक है जो हमारी सभ्यता व संस्कृति के विपरीत है।

Some More Questions From जॉर्ज पंचम की नाक Chapter

'और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा' - नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे ?

आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है -
इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?

आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है-
इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?

जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?

प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए 'फाईलें सब कुछ हज़म कर चुकी हैं।' 'सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ़ ताका।' पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।

नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।

जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।

अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?

'नयी दिल्ली में सब था... सिर्फ़ नाक नहीं थी।' इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?