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जॉर्ज पंचम की नाक

Question
CBSEENHN10002714

जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?

Solution

मूर्तिकार के द्वारा किए गए यत्न निम्नलिखित हैं -
(क) मूर्ति के पत्थर के प्रकार आदि का पता न चलने पर व्यक्तिगत रूप से नाक लगाने की ज़िम्मेदारी लेते हुए देश भर के पहाड़ों और पत्थर की खानों का तूफ़ानी दौरा किया।
(ख) उसने देश में लगे हर छोटे-बड़े नेताओं की मूर्ति की नाक से पंचम की लाट की नाक का मिलान किया ताकि उस मूर्ति से नाक निकालकर पंचम लाट पर नाक लगाई जा सके। परन्तु; दुर्भाग्य से सभी की नाक ज़ार्ज पंचम की नाक से बड़ी निकली।
(ग) आखिर जब उसे नाक नहीं मिली तो हताश मूर्तिकार और चिन्तित एवम् आतंकित हुक्मरानों ने ज़िंदा इनसान की नाक लगवाने का परामर्श दिया और प्रयत्न भी किया।

Some More Questions From जॉर्ज पंचम की नाक Chapter

आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है-
इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?

जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?

प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए 'फाईलें सब कुछ हज़म कर चुकी हैं।' 'सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ़ ताका।' पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।

नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।

जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।

अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?

'नयी दिल्ली में सब था... सिर्फ़ नाक नहीं थी।' इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

‘जार्ज पंचम की नाक’ पाठके माध्यम से लेखक ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है?

अथवा

सिक्किम की युवती के कथन ‘मैं इंडियन हूँ’ से स्पष्ट होता है कि अपनी जाति, धर्म-क्षेत्र और संप्रदाय से। अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्र है। आप किस प्रकार राष्ट्र के उत्तरप्रति अपने कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं? समझाइए।