नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।
नाक, इज्जत-प्रतिष्ठा, मान-मर्यादा और सम्मान का प्रतीक है। शायद यही कारण है कि इससे संबंधित कई मुहावरे प्रचलित हैं जैसे - नाक कटना, नाक रखना, नाक का सवाल,नाक रगड़ना आदि। इस पाठ में नाक मान सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात लेखक ने विभिन्न बातों द्वारा व्यक्त की हैं। रानी एलिज़ाबेथ अपने पति के साथ भारत दौरे पर आ रही थीं। ऐसे मौके में जॉर्ज पंचम की नाक का न होना उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसा था। यह लोग विदेशियों की नाक को ऊँचा करने को अपने नाक का सवाल बना लेते हैं। यहाँ तक की जॉर्ज पंचम की नाक का सम्मान भारत के महान नेताओं एवं साहसी बालकों के सम्मान से भी ऊँचा था। इस पाठ में सरकारी तंत्र की मानसिकता की स्पष्ट झलक भी दिखाई देती है।