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ऋतुराज - कन्यादान

Question
CBSEENHN100018872

निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए। [2 × 4 = 8]

(क) ‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं।
(ख) कैवि अपने मन को ‘छाया मत छूना’ कहकर क्या समझाना चाहता है ?
(ग) “छू गया तुमसे कि झरने लगे शेफालिका के फूल’ उक्त पंक्ति को आशय नागार्जुन की कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
(घ) स्मृति को पाथेय बनाने से जयशंकर प्रसाद का क्या आशय है?
(ङ) परशुराम को लक्ष्मण ने वीर योद्धा के क्या लक्षण बताए हैं?

Solution

(क) उक्त पंक्ति में यह संदेश दिया गया है कि ससुराल में बहुएँ घर गृहस्थी में फँसकर, अत्याचारों को सहते हुए स्वयं को नुकसान न पहुचाएँ और न ही दूसरों के द्वारा किए गए जुल्मों को सहन करें। वे अपनी कमजोरियों के प्रति सचेत रहें एवं मजबूर बनें। क्योंकि आज भी नारियों पर जुल्म किए जाते हैं और उन्हें जलाया जाता है।

(ख) कवि अपने मन को ‘छाया मत छूना’ कहकर समझाना चाहता है कि ‘अतीत की सुखद यादों को याद न करना’। बीती यादों को स्मरण करने से वर्तमान के यथार्थ का सामना करना मुश्किल हो सकता है और दुखः अधिक प्रबल हो सकता है। विमत-सुख को याद कर वर्तमान के दुख को ओर बढ़ाना तर्कसंगत नहीं है।

(ग) उक्त पंक्ति में कवि नागार्जुन ने यह भाव दर्शाया है कि शिशु का प्रेम रूपी स्पर्श इतना कोमल और हृदयस्पर्शी होता है कि बांस और बबूल जैसे कठोर और कांटेदार पेड़ों से भी शेफालिका के फूल बरसने लगे अर्थात् कठोर व्यक्ति का हृदय कोमल हो जाये।

(घ) स्मृति को पाथेय बनाने से जयशंकर प्रसाद का आशय यह है कि वह जीवन भर मुश्किलों से घिरा हुआ रहा है उसकी स्थिति थके हुए पथिक की तरह कष्टदायक है और स्मृति में कई सुखों के क्षण सजे हुए हैं जो जीने का आधार है। वह इन्हीं स्मृतियों के सहारे जीवन की निराशाजनक स्थितियों का सामना करना चाहता है।

(ङ) लक्ष्मण ने परशुराम को वीर योद्धा की विशेषताएँ बताते हुए कहा कि शूरवीर रणक्षेत्र में शत्रु के समक्ष पराक्रम दिखाते हैं न कि अपनी वीरता का बखान करते हैं। शूरवीर ब्राह्मण, देवता, गाय और हरिभक्त पर भी अपनी वीरता नहीं दिखाते हैं। क्योंकि इन्हें मारने पर पाप लगता है।

Some More Questions From ऋतुराज - कन्यादान Chapter

‘आग रोटियाँ सेंकने के लिए है
जलने के लिए नहीं’
माँ ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा?

पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की’
इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छबि आपके सामने उभर कर आ रही है, उसे शब्दबद्ध कीजिए।

माँ को अपनी बेटी ‘अंतिम पूँजी’ क्यों लग रही थी?

माँ ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?

आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहीं तक उचित है?

‘स्त्री को सौंदर्य का प्रतिमान बना दिया जाना ही उसका बंधन बन जाता है’-इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
यहाँ अफगानी कवयित्री मीना किश्वर कमाल की कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं। क्या आपको कन्यादान कविता से इसका कोई संबंध दिखाई देता है?

             मैं लौटुंगी नहीं
मै एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है
अब मैं लौटूँगी नहीं
मैंने ज्ञान के बंद दरवाजे खोल दिए हैं
सोने के गहने तोड़कर फेंक दिए हैं
भाइयो! मैं अब वह नहीं हूँ जो पहले थी
मैं एक जगी हुई स्त्री हूँ
मैंने अपनी राह देख ली है।
अब मैं लौटूँगी नहीं

‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को किन परंपराओं से हटकर जीवन जीने की शिक्षा दी है?

कवि ने कविता के माध्यम से माँ की किस विशेषता को वाणी प्रदान की है?

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उसकी सप्रसंग व्याख्या कीजिये:
कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास तो होता था
लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था
पाठिका थी बह धुँधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
कितना प्रामाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास तो होता था
लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था
पाठिका थी बह धुँधले प्रकाश की
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की

अवतरण में निहित भावार्थ स्पष्ट कीजिए।