Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं,
देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत नहीं।
दुख है न चाँद खिला शरद-रात आने पर,
क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?
जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण,
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
‘न चांद खिला’ से क्या तात्पर्य है?
Solution
‘न चांद खिला’ प्रतीकात्मक प्रयोग है जिसका तात्पर्य सुखों के प्राप्त नहीं होने से है जिस कारण मन में सुख का भाव उत्पन्न नहीं होता।