Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।।
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उस का तू कर पूजन
‘पूजन’ में निहित अर्थ को प्रकट कीजिए।
Solution
‘पूजन’ प्रतीक शब्द है जो कठोर परिश्रम में स्वयं को लगा देने के लिए प्रयुक्त किया है। यह निष्ठा और लगन का भी प्रतीक है। इसके पीछे आस्था का भाव छिपा हुआ है।