Question
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
छाया मत छूना
मन, होगा दु:ख दूना।।
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उस का तू कर पूजन
‘चंद्रिका’ में छिपा प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
Solution
‘चंद्रिका’ का शाब्दिक अर्थ चाँदनी है पर कवि ने इसे सुखों के रूप में प्रयुक्त किया है। हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख रूपी चाँदनी को प्राप्त करना चाहता है।