भाव स्पष्ट कीजिए -
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ , खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।
अंग्रेज़ी सरकार देश के स्वाधीनता सैनानियों से पशुओं के समान परिश्रम करवाते हैं जिससे इन लोगों का स्वाभिमान और देश के प्रति देश प्रेम की भावना ख़त्म हो जाए। कवि के पेट पर जुआ बाँधकर कुँए से पानी निकाला जाता है। परन्तु सैनानी इससे दु:खी नहीं होते तथा अंग्रेज़ी सरकार के अत्याचार को सहते हुए उनकी अकड़ को समाप्त कर देना चाहते हैं।



