भाव स्पष्ट कीजिए।
मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!
मृदुल वैभव की रखवाली-सी से कवि का तात्पर्य कोयल की मीठी तथा कोमल आवाज़ से है। आज के इस कष्टमय संसार में कुछ मृदुलता और सरसता बची है तो वह कोयल की आवाज़ में ही बची है। किन्तु उसकी आवाज़ में मिठास होने के बाद भी जब वह वेदना पूर्ण आवाज़ में चीख़ उठती है तो कवि उससे उसकी वेदना का कारण पूछता है।



