Question
निम्नलिखित काव्याशं को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी;
कलुषित कर दी है मंदिर की
चिरकालिक शुचिता सारी।”
ऐं, क्या मेरा कलुष बड़ा है
देवी की गरिमा से भी;
किसी बात में हूँ मैं आगे
माता की महिमा के भी?
Solution
शिल्प सौन्दर्य:
1. छुआछूत के विचार को निन्दनीय बताया गया है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
4. भावों को कथात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
5. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग दृष्टव्य है।
6. भाषा सरस, सरल व मर्मस्पर्शी है।
7. भाषा शैली-भावात्मक, कथात्मक, संवादात्मक व उदाहरणात्मक है।
8. संवादों के कारण भी कथन प्रभावशाली बन पड़ा है।