Question
निम्नलिखित पद्याशं को पढ़कर उनका भाव पक्ष लिखिए।
क्रमश: कठ क्षीण हो आया,
शिथिल हुए अवयव सारे,
बैठा था नव-नव उपाय की
चिंता में मैं मनमारे।
जान सका न प्रभाव सजग से
हुई अलस कब दोपहरी,
स्वर्ण-घनों में कब रवि डूबा,
कब आई संध्या गहरी।
Solution
भाव पक्ष- सुखिया का पिता सुखिया की बीमारी का वर्णन करने हुए कहता है कि धीरे- धीरे महामारी का प्रभाव बढ़ने सुखिया का गला सूखने लगा, आवाज कमजोर पड गई और सभी अंग ढीले पड़ने लगे। मैं चिन्ता में डूबा हुआ मन से उसे ठीक करने के नए-नए उपाय सोचेने लगा। में मैं डूब गया कि पता ही नही चल सका कि कब ‘प्रात: कौल की हलचल समाप्त हुई और भरी -दोपहर आ, कब सुनहरी बादलों मे डूब गया और कब गहरी सांझ हुई?