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अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास

Question
CBSEENHN9000690

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के जवाब दीजिये।
अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी।
प्रभु जी, तुम घन बन मोरा, जैसे चितवत चद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन सती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा।।

कवि को राम-नाम की रट क्यों नहीं भूलती?

  • प्रभु से एकाकार होने के कारण 
  • कृपा पाने के लिए
  • भक्ति करने के लिए
  • बाहरी दिखावा करने के लिए

Solution

A.

प्रभु से एकाकार होने के कारण 

Some More Questions From अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास Chapter

निम्नलिखित प्रशनो के उत्तर दीजिए-
पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीज़ों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।



निम्नलिखित प्रशनो के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।



निम्नलिखित प्रशनो के उत्तर दीजिए-
पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर सबंद्ध है। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए-
उदाहरण: दीपक                          बाती
            .............                   .............
            .............                   .............
            .............                   ..............
            .............                   ..............


निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा हैं?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति. तुहीं, गुसईआ।

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी अँग-अँग बास समानी

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जैसे चितवत चंद चकोरा

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी जोति बरै दिन राती