Sponsor Area

अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास

Question
CBSEENHN9000688

निम्नलिखित पद्यांश का शिल्प सौन्दर्य  लिखिए 
अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी।
प्रभु जी, तुम घन बन मोरा, जैसे चितवत चद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन सती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा।।

Solution

शिल्प सौन्दर्य:
1. विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से कवि ने भक्ति के विविध रूपों में चित्रित किया है। प्रभु का कण-कण में वास है।
2. पद की भाषा ब्रज है। अवधी व राजस्थानी मिश्रित भाषा का प्रयोग किया गया है।
3. भाषा सरस, सहज व रोचक है।
4. पद की शैली भावात्मक व उदाहरणात्मक है।
5. पद में लयात्मकता का गुण विद्यमान है।
6. तुलनात्मक भावों द्वारा उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है।
7. शाब्दिक सौन्दर्य सर्वत्र दिखाई देता है।

Some More Questions From अब कैसे छूटै राम नाम - रैदास Chapter

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जैसे चितवत चंद चकोरा

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
जाकी जोति बरै दिन राती

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै

नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै

रैदास के इन पदों का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

रैदास की भक्ति दास्य भाव की है-सिद्ध कीजिए।

रैदास को क्यों लगता है कि उनके प्रभु उन पर द्रवित हो गए हैं?

कवि की दृष्टि में गरीबों और दीन दुखियों का रक्षक कौन है?

निम्न कोटि के लोगों को गोबिन्द कैसे तारते है?

‘लाल’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है।