Question
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता का निखार देती है
Solution
इस पंक्ति क शख्स से लेखक यह कहना चाहता है कि शिशु धूल-मिट्टी से सना हुआ ही अच्छा लगता है। धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं की जा सकती। इस प्रकार धूल से सने शिशु को’ धूलि भरे हीरे कहा जाता है। जैसे फूल के ऊपर पड़े हुए धूल के कण उसकी शोभा को बढ़ा देते है वैसे ही शिशु के मुँह पर पड़ी हुई धूल उसके सहज स्वरूप को और भी निखार देती है। उस समय बड़ी बड़ी खोजों से उपलब्ध किसी भी कृत्रिम प्रसाधन सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। अर्थात् मिट्टी यदि विविध आकार देती है तो धूल मुख की कांति शोभायमान करती हैं जीवन कर्मशील हो उठता है इसलिए धूल को व्यर्थ नहीं मानना चाहिए!