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पानी की कहानी
बूँद तीन दिन से पेड़ में फँसी हुई थी - जब वह बड़ी मुश्किल से पस के छेदों से जान बचाकर निकली तो उसने सोचा था कि बाहर निकलते ही सूर्य का ताप पाकर उड़ जाऊँगी। लेकिन उस समय रात हो चुकी थी। सूर्य छिप चुका था। इसलिए बूँद पत्ते पर ही सिकुड़ गई ताकि कुछ सुरक्षा पा सके। बूँद ने वायुमंडल में उड़ना भी चाहा था लेकिन वातावरण मैं इतने जल कण थे कि उसके लिए स्थान ही न था।
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