Question
नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
“इस गवरइया ने जो भी काम करवाया उसमें आधा हिस्सा दे देती थी। जिसके पास बहुत कुछ है, वह कुछ भी नहीं देता। इसके पास कुछ भी नहीं था फिर भी यह आधा दे देती थी। इसीलिए इसके काम में अपने-आप नफासत आती गई. सरकार।” धुनिया दंडवत पर दंडवत किए जा रहा था।
“देख ले-देख ले, राजा! ... आँख में अँगुली डालकर देख ले। इसके लिए पूरे मोल चुकाए हैं। बेगार की नहीं है यह।” गवरइया फिर चिल्लाने लगी. ‘‘यह राजा तो कंगाल है। निरा कंगाल। इसका धन घट गया लगता है। इसे टोपी तक नहीं जुरती ... तभी तो इसने मेरी टोपी छीन ली।”
गवरइया ने राजा को क्या उलाहना दिया?
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गवरइया ने राजा को कहा कि मजूरी देना सीखे।
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गवरइया ने कहा कि मैं तुम्हारी तरह कोई काम बेगार में नहीं करवाती।
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गवरइया ने कहा राजा कंजूस है।
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कि राजा से एक टोपी तक नहीं बनवाई जाती इसीलिए तो मेरी टोपी छीन ली। यह राजा तो कंगाल है।
Solution
D.
कि राजा से एक टोपी तक नहीं बनवाई जाती इसीलिए तो मेरी टोपी छीन ली। यह राजा तो कंगाल है।