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दीवानों की हस्ती
Question
कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है?
Solution
कवि का मानना है कि जब वे अपने बंधु-बांधवों से मिलने आते हैं तो सबके चेहरों पर खुशी छा जाती है और जब सहसा जाने की बात आती है तो वही खुशी अश्रुओं का रूप धारण कर लेती है अर्थात् उनके जाने का दुख सहन नहीं होता। लेकिन वीरों को तो अपने चुने मार्ग पर बढ़ना ही होता है।
Some More Questions From दीवानों की हस्ती Chapter
संतुष्टि के लिए कवि ने ‘छककर’ ‘जी भरकर’ और ‘खुलकर’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। इसी भाव को व्यक्त करनेवाले कुछ और शब्द सोचकर लिखिए, जैसे-हँसकर, गाकर।
दीवाने शब्द किनके लिए प्रयुक्त हुआ है? उनका अपने जीवन में लक्ष्य क्या है?
वे मस्ती में जीवन क्यों जीते हैं?
एक भाव में रहकर सुख और दुख दोनों पीने का भावार्थ क्या है, कविता की पंक्तियों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उन्होंने संसार को भिखमंगा क्यों कहा है?
वे हृदय पर असफलता की कैसी निशानी रखते हैं?
इस कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?
दीवानों की हस्ती कविता किन्हें आधार बनाकर लिखी गई है?
‘दीवाने’ एक स्थान पर टिक कर क्यों नहीं रहते?
‘दीवानों’ का संसार के लोगों से कैसा संबंध है?
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