Question
‘बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से’ और बदलू स्वयं कहता है- “जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है लाख में कहाँ संभव है?” ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।
Solution
(क) ‘अब पहले जैसी औलाद कहाँ?’
किसी भी बुजुर्ग के मुख से आमतौर पर यह सुनने को मिल जाता है जिसमें स्पष्ट रूप से यह दुख और व्यंग्य छिपा रहता है कि आजकल की संतान बुजुर्गों को अधिक सम्मान नहीं देती।
(ख) ‘आजकल के खाद्य-पदार्थो में शुद्धता कहाँ?’
इस वाक्य से यह व्यंग्य किया जाता है कि दिन-प्रतिदिन खाद्य-पदार्थों में मिलावटी चीजों से उनकी शुद्धता समाप्त होती जा रही है।