Question
आपने मेले-बाजार आदि में हाथ से बनी चीजों को बिकते देखा होगा। आपके मन में किसी चीज को बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई हो और आपने कोई कारीगरी सीखने का प्रयास किया हो तो उसके विषय में लिखिए।
Solution
पिछले वर्ष मैं अपने सहपाठियों के साथ सूरजकुंड के मेले मे गया। वहाँ मैंने धागे व ऊन से निर्मित सुंदर-सुंदर छाते देखे। उन्हें देखकर ऐसा लगा कि ये बनने में बहुत ही आसान हैं। उन छातों को बेचने वाली स्त्रियाँ वहीं बैठकर और छाते भी बना रही थीं।
घर आकर मैंने भी खूब ऊन व धागे एकत्रित किए। बडे-बड़े तिनकों का भी प्रबंध कर लिया। लेकिन जब बनाने का प्रयास किया तो पूरी तरह सफलता न मिली और माँ की यही बात सुननी पड़ी कि ‘जिसका काम उसी को साजे।’