स्पर्श भाग १ Chapter 6 कीचड़ का काव्य - काका कालेलकर
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html स्पर्श भाग १

    कीचड़ का काव्य - काका कालेलकर Here is the CBSE About 2.html Chapter 6 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html कीचड़ का काव्य - काका कालेलकर Chapter 6 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html कीचड़ का काव्य - काका कालेलकर Chapter 6 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9000569

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हम आकाश का वर्णन करते हैं, पृथ्वी का वर्णन करते हैं, जलाशयों का वर्णन करते हैं। पर कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है? कीचड़ में पैर डालना कोई पसंद नहीं करता, कीचड़ से शरीर गंदा होता है, कपड़े मैले हो जाते हैं। अपने शरीर पर कीचड़ उड़े यह किसी को भी अच्छा नहीं लगता और इसीलिए कीचड़ के लिए किसी को सहानुभूति नहीं होती। यह सब यथार्थ है। किंतु तटस्थता से सोचें तो हम देखेंगे कि कीचड़ में कुछ कम सौन्दर्य नहीं है। पहले तो यह कि कीचड़ का रंग बहुत सुंदर है। पुस्तकों के गत्तों पर, घरों की दीवालों पर अथवा शरीर पर के कीमती कपड़ों के लिए हम सब कीचड़ के जैसे रंग पसंद करते हैं। कलाभिज्ञ लोगों को भट्‌ठी में पकाए हुए मिट्‌टी के बरतनों के लिए यही रंग बहुत पसंद है। फोटो लेते समय भी यदि उसमें कीचड़ का, एकाध ठीकरे का रंग आ जाए तो उसे वार्मटोन कहकर विज्ञ लोग खुश-खुश हो जाते हैं। ‘पर लो’ कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है।
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
    (ख) लोग कीचड़ की उपेक्षा क्यों कुरते है?
    (ग) प्रस्तुत गद्यांश में प्रकृति के किन रूपों का वर्णन किया जाता है?
    (घ) हम अनजाने में कीचड़ के रंग कहाँ-कहाँ प्रयोग करते है?



    Solution

    (क) पाठ-कीचड़ का काव्य, लेखक-काका कालेलकर।
    (ख) लोग कीचड़ को गंदा मानते है। उसको छूने से कपड़े मैले हो जाते है। कोई न तो अपने कपड़ों पर कीचड़ के छीटें देखना चाहता है, न ही उसमें पैर डालना पसन्द करता है। कारण एक ही है हम उसे गंदा समझते है।
    (ग) इसमें प्रकृति के सुन्दर रूपों को वर्णन किया गया है। वर्णन करने वाले अर्थात् वर्णनकर्ता आकाश की नीलिका का पृथ्वी की हरियाली का या सरोवरों की स्वच्छता का वर्णन करते है।
    (घ) हम आनजाने में कीचड़ के रंगों का प्रयोग निम्न स्थलों पर करते है।
    (i) पुस्तकों के गत्तों पर (ii) घरों की दीवारों पर (iii) कीमती कपड़ों पर

    Question 2
    CBSEENHN9000570

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    फिर जब कीचड़ ज्यादा सूखकर ज़मीन ठोस हो जाए, तब गाय, बैल, पाड़े, भैंस, भेड़, बकरे इत्यादि के पदचिन्ह उस पर अंकित होते हैं उनकी शोभा और ही है। और फिर जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं तब नदी किनारे अंकित पदचिन्ह ओर सींगों के चिन्हों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो-ऐसा भास होता है।
    कीचड़ देखना हो तो गंगा के किनारे या सिंधु के किनारे और इतने से तृप्ति न हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए। वहाँ मही नदी के मुख से आगे जहाँ तक नज़र पहुँचे वहाँ तक सर्वत्र सनातन कीचड़ ही देखने को मिलेगा। इस कीचड़ में हाथी डूब जाएँगे ऐसा कहना, न शोभा दे ऐसी अल्पोक्ति करने जैसा है। पहाड़ के पहाड़ उसमें लुप्त हो जाएँगे ऐसा कहना चाहिए।
    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो?
    (ख) कीचड़ के सूखने पर उसकी शोभा कैसे प्रकट होती है?
    (ग) कीचड़ की सौदंर्य के दर्शन कहाँ-कहाँ होते है?
    (घ) सबसे अधिक कीचड़ कहाँ होती है? उसकी गहराई का वर्णन कीजिए।

    Solution

    (क) पाठ-कीचड़ का काव्य, लेखक-काका कालेलकर।
    (ख) जब कीचड़ सूख जाती है तो उस पर गाय, बैल, पाड़े, भैंस, भेड़, बकरे आदि खूब चलते-फिरते तथा उठा-पटक करते हैं। भैसों के पाड़े तो सींग भिड़ाकर युद्ध करते हैं। तब सूखी कीचड़ पर जो निशान पड़ जाते है वे बहुत शोभाशाली प्रतीत होते है?
    (ग) कीचड़ के सौन्दर्य का दर्शन निम्नलिखित स्थलों पर किए जा सकते हैं-
    1. गंगा का किनारा 2. सिंधु का किनारा 3. खंभात में मही नदी के मुख पर
    (घ) खंभात में मही नदी के मुख पर अथाह कीचड़ है। उस कीचड़ की गहराई इतनी अधिक है कि बड़े-बड़े हाथी ही नहीं, पूरे के पूरे पहाड़ उसमे समा सकते हैं।

    Question 3
    CBSEENHN9000571

    निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है इसका जाग्रत भान यदि हर एक मनुष्य को होता तो वह कभी कीचड़ का तिरस्कार न करता। एक अजीब बात तो देखिए। पैक शब्द घृणास्पद लगता है, जबकि पंकज शब्द सुनते ही कवि लोग डोलने और गाने लगते हैं। मन बिलकुल मलिन माना चाता है किंतु कमल शब्द सुनते ही चित्त में प्रसन्नता और आहृदकत्व फूट पड़ते हैं। कवियों की ऐसी युक्तिशून्य वृत्ति उनके सामने हम रखें तो वे कहेंगे कि “आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए, वसुदेव को तो नहीं पूजते हीरे का भारी मूल्य देते हैं किंतु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बाँधकर फिरते हैं किन्तु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते!” कम-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ तो चर्चा न करना ही उत्तम! 
    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    (ख) किस अज्ञान के कारण मनुष्य कीचड़ का तिरस्कार करता है?
    (ग) कवि की किस वृत्ति को मुक्ति शुन्य कहकर अपमानित किया गया है?
    (घ) कवि कीचड़ के विरोध में क्या-क्यो तर्क देते है?

    Solution

    (क) पाठ-कीचड़ का काव्य, लेखक-काका कालेलकर।
    (ख) अन्न कीचड़ से पैदा होता है। इस बात को न जानने के कारण मनुष्य कीचड़ का तिरस्कार करता है।
    (ग) कवि मनमाने ढंग से कमल को अति सुन्दर कहकर प्रसन्नता प्रकट करते है और कीचड़ को घृणित कहकर अपमानित करते है। कवि की दृष्टि में उनकी यह भेद भावना युक्ति शून्य है अर्थात् तर्कहीन है और समझ से परे है।
    (घ) कविजन कमल की प्रशंसा और मल की निन्दा करने के पीछे निम्नलिखित तर्क देते है:
    - हम वासुदेव कृष्ण की पूजा करते है किन्तु उनके पिता वसुदेव की पूजा नहीं करते।
    - हम हीरे को मूल्यवान समझते है किन्तु उनके स्रोत कोयले, पत्थर को मूल्यवान नहीं मानते।
    - हम मोती को गले में धारण करते है किन्तु उसे जन्म देने वाली सीपी को गले में धारण नहीं करते।

    Question 4
    CBSEENHN9000572

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    रंग की शोभा ने क्या कर दिया?

    Solution
    रंग की शोभा ने उत्तर दिशा में जम कर थोड़े समय के लिए लालिमा फैला दी।
    Question 5
    CBSEENHN9000573

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    बादल किसकी तरह हो गए थे?

    Solution
    जब लालिमा की जगह श्वेत बादलों ने ले ली। तब वे श्वेत कपास की तरह हो गए।
    Question 6
    CBSEENHN9000574

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    लोग किन-किन चीज़ो का वर्णन करते हैं?

    Solution
    लोग आकाश, पूथ्वी और जलाशयों के सौंदर्य का वर्णन करते हैं। परन्तु कीचड़ का वर्णन कोई नहीं करता। कीचड़ की सुंदरता पर किसी का भी ध्यान नहीं जाता।
    Question 7
    CBSEENHN9000575

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    कीचड़ से क्या होता है?

    Solution
    कीचड़ में कोई पैर डालना पसंद नहीं करता। इससे शरीर गंदा हो जाता है तथा कपड़े मैले हो जाते है। कीचड़ के लिए किसी को सहानुभूति नहीं होती।
    Question 8
    CBSEENHN9000576

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसंद करते हैं?

    Solution
    कीचड़ जैसा रंग कलाभिज्ञ, फोटोग्राफर पसंद करते हैं साथ ही अन्य कलाप्रेमी भी गत्तों, दीवारों तथा वस्त्रों में इस रंग को पसंद करते हैं।
    Question 9
    CBSEENHN9000577

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    नदी के किनारे कीचड़ कब सुदंर दिखता है?

    Solution
    नदी के किनारे कीचड़ तब सुंदर दिखाई देता है जब वह सूखकर टुकड़े हो जाती है। जब गर्मी से उन्हीं टुकड़ों में दरारें पड़ जाती है और वे टेढ़े हो जाते हैं। नदी के किनारे जब समतल और चिकना कीचड़ एक साथ फैला होता है तब वह सुंदर दिखता है।
    Question 10
    CBSEENHN9000578

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    कीचड़ कहाँ सुदंर लगता है?

    Solution
    नदी के किनारे मीलों तक फैला हुआ समतल और चिकना कीचड़ बहुत सुंदर प्रतीत होता है। इस सूखे कीचड़ पर बगुलों तथा अन्य पक्षियों के पद्‌चिह्न बहुत सुंदर लगते हैं। इस सूखे कीचड़ पर गाय, बैल, पाड़े, भेड़े, तथा बकरियों के पद्‌चिह्न भी सुंदर लगते हैं। पाड़े के सींगों के चिह्न भी सुंदर प्रतीत होते हैं।
    Question 11
    CBSEENHN9000579

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
    'पंक’ और पंकज शब्द में क्या अतंर है?

    Solution
    ‘पंक’ शब्द कीचड़ के लिए आता है जबकि पंकज अर्थात् कीचड़ कमल के लिए आता है। ‘पंक’ अर्थात् कीचड़ से सब पूणा करते हैं। परन्तु पंकज अर्थात् कमल शब्द सुनते ही हमारा मन पुलकित हो जाता है और वह पंकज पक में ही उत्पन्न होता है।
    Question 12
    CBSEENHN9000580

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति क्यों नहीं होती?

    Solution
    कीचड़ के प्रति किंसी को सहानुभूति नहीं होती क्योंकि लोग केवल ऊपरी शोभा को ही देखते हैं। वे स्थिरता के साथ विचार नहीं करते हैं। लोग कीचड़ को गंदा मानते है। उन्हें लगता है कि कीचड़ से शरीर गंदा होता है, कपड़े मैले होते हैं। किसी को भी अपने शरीर पर कीचड़ उछालना अच्छा नहीं लगता यही कारण है कि किसी को भी कीचड़ से सहानुभूति नहीं होती है।
    Question 13
    CBSEENHN9000581

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    ज़मीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं?

    Solution

    ज़मीन ठोस होने पर उस पर गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि के पद-चिह्न अंकित होते हैं। ये जानवर, कीचड़ की ठोस जमीन पर ही अपने पैरों के निशान अंकित करते हैं तब वह शोभा देखते ही बनती है। इस जमीन पर जब दो मदमस्त पाड़े लड़ते है तब उनके पद्‌चिह्न और सींगों के चिहन अनोखी शोभा उत्पन्न करते हैं। ये चिहन ऐसे प्रतीत होते है जैसे महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास लिख दिया गया हो। इसकी शोभा अलग सी प्रतीत होती है।

    Question 14
    CBSEENHN9000582

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    मनुष्य को क्या भान होता जिससे वह कीचड़ का तिरस्कार न करता?

    Solution
    मनुष्य को यह भान नहीं होता है कि जो वह अन्न खाता है, वह अन्न कीचड़ से उत्पन्न होता है। यह पता लगने पर वह शायद कीचड़ का तिरस्कार नहीं करता क्योंकि कीचड़ में ही सभी प्रकार के अन्न उत्पन्न होते है। यह दुर्भाग्य की बात है कि हम कीचड़ का तिरस्कार करते हैं।
    Question 15
    CBSEENHN9000583

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    पहाड़ लुप्त कर देनेवाले कीचड़ की क्या विशेषता है?

    Solution
    पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की यह विशेषता है कि वहाँ बहुत अधिक कीचड़ होता है। ऐसा दृश्य गंगा नदी के किनारे या सिंधु नदी के किनारे तो मिलता ही है। इससे बढ्‌कर खंभात में मही नदी के सामने जो विशाल और अति गहरा कीचड़ फैला हुआ है। उसमें पूरा का पूरा पहाड़ लुप्त हो सकता है। वहाँ सब ओर कीचड़ ही कीचड़ देखने को मिलता है। यह कीचड़ जमीन के नीचे बहुत गहराई तक हैं।
    Question 16
    CBSEENHN9000584

    (ख) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
    कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश करता हैं?

    Solution
    कीचड़ का रंग श्रेष्ठ कलाकारों, चित्रकारों और मूर्तिकारों को खुश करता है। वे पकाए हुए मिट्‌टी के बर्तनों पर यही रंग करना पसंद करते हैं। छायाकार भी जब फोटो खींचते हैं तो एक आधी जगह पर कीचड़ जैसा रंग देखना पसंद करते हैं। वे इस रंग को देखकर खुश होते हैं। इनके अतिरिक्त आम लोग हैं जो घर की दीवारों पर, पुस्तक के गत्तों पर और पोशाकों पर यह रंग पसंद करते हैं।
    Question 17
    CBSEENHN9000585

    (ख) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
    कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है?

    Solution
    जब कीचड़ सूख जाता है तब उसके टुकड़े हो जाते हैं और यह सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते हैं। ज्यादा गर्मी से इन टुकड़ों में दरारें पड़ जाती हैं। ये सूखकर टेड़े हो जाते हैं तब ये टुकड़े सुखाए हुए खोपरों जैसे दिखाई देते हैं। नदी के किनारे समतल और चिकना कीचड़ सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते हैं। जब दो मदमस्त पाड़े लड़ते हैं तो कीचड़ पर अंकित पपद्‌चिह्नऔर सींगों के चिहन देखने से ऐसा लगता है कि अभी-अभी भैसों के कुल का महाभारत हुआ हो।

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    Question 18
    CBSEENHN9000586

    (ख) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
    सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता हैं?

    Solution
    सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य नदी के किनारे दिखाई देता है। ज्यादा गर्मी से जब इन्हीं टुकड़ों में दरारें पड़ जाती है, वे टेढ़े हो जाते हैं। वे सुखाए हुए खोंपरें जैसे दिखाई देते हैं। नदी किनारे मीलों तक जब समतल और चिकना कीचड़ एक सा फैला होता है तब वह दृश्य कुछ कम खूबसूरत नहीं होता।
    Question 19
    CBSEENHN9000587

    (ख) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
    कवियों की धारणा को लेखक ने युक्तिशुन्य क्यों कहा है?

    Solution
    लेखक ने कवियों की धारणा को युक्तिशून्य ठीक ही कहा है। वे बाहरी सुंदरता पर ध्यान देते है किंतु आंतरिक सुंदरता और उपयोगिता को बिलकुल नहीं देखते। यह कविजन कीचड़ में उगने वाले कमल को तो बहुत सम्मान देते हैं परन्तु कीचड़ का तिरस्कार करते हैं। वे केवल सौंदर्य को महत्त्व देते हैं उन्हें उत्पन्न करने वाले कारणों का सम्मान नहीं करते।
    Question 20
    CBSEENHN9000588

    निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
    नदी किनारे अकित पदचिह्न और सींगों के चिहन से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा बाहस होता है?

    Solution
    आशय-नदी किनारे कीचड़ जब सूखकर ठोस हो जाता है तो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंद कर आपस में लड़ते हैं। तब नदी के किनारे उनके पैरों तथा सींगों के चिहन अंकित हो जाते हैं। वे सींग से सींग भिड़ाकर लड़ते हैं और अपने पैरों तथा सींगों से कीचड़ खोद डालते हैं तो वह दृश्य भैंसों के परिवार के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास सामने लाकर उपस्थित कर देता है। ऐसा लगता है कि ये सारा इतिहास इसी कीचड़ में लिखा गया है। अर्थात् कीचड़ में छपे चिह्न उस युद्ध की सारी स्थिति का वर्णन कर देते हैं।
    Question 21
    CBSEENHN9000589

    निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
    “आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते हीरे का भारी मूल्य देते हैं किंतु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते-” कम-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ तो चर्चा न करना ही उत्तम!

    Solution
    आशय-कवि पंक से उत्पन्न कमल की तो प्रशंसा करते हैं। किन्तु पैक को महत्व नहीं देते। उनके अनुसार एक अच्छी चीज को स्वीकार करने के लिए उसमें जुड़ी अन्य चीजों को या व्यक्तियों को स्वीकार करना आवश्यक नहीं है। वासुदेव कृष्ण को कहा जाता है। और लोग उनकी पूजा करते हैं तो उसका अर्थ यह नहीं है उसके पिता वसुदेव को भी पूजे। इसी प्रकार हम हीरों को मूल्यवान मानते हैं किन्तु उसके जनक पत्थर और कोयलें की तो प्रशंसा नहीं करते हैं। इसी प्रकार मोती को गले में डालते हैं उनसे जुड़ी सीपी को गले में धारण नहीं करते। कवियों के अपने तर्क होते हैं। उनसे इस विषय में बहस करना उचित नहीं है। इसलिए उनसे बात न की जाए तो अच्छा है। ये अपनी मनमानी करते हैं। इन्हें जो अच्छा लगे वो ठीक है। इसके आगे वे किसी की नहीं सुनते।
    Question 24
    CBSEENHN9000592

    निम्नलिखित शब्दों की बनावट को ध्यान से देखिए और इनका पाठ से भिन्न किसी नए प्रसंग में वाक्य प्रयोग कीजिए-
    आकर्षक    यथार्थ       तटस्थता    कलाभिज्ञ     पदचिह्न
    अंकित      तृप्ति        सनातन     लुप्त          जाग्रत
    घृणास्पद    युक्तिशून्य   वृत्ति

    Solution

    आकर्षक - नायक के आकर्षक व्यक्तित्व को देखकर सभी दर्शक प्रभावित हुए बिना न रह सके।
    यथार्थ - हमें कल्पना नहीं यथार्थ को महत्व देना चाहिए।
    तटस्थता - न्याय करते हुए हमें तटस्थता की नीति अपनानी चाहिए।
    कलाभिज्ञ - प्रदर्शनी में बड़े-बड़े कलाभिज्ञों ने उपस्थित होकर अपने विचार प्रस्तुत किए।
    पदचिहन - महापुरुषों के पद्‌चिहनों पर चलकर ही हम अपना जीवन महान बना सकते हैं।
    अंकित - नेताजी का नाम हमारे देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।
    तृप्ति - स्वादिष्ट भोज पाकर संन्यासी को तृप्ति हुई।
    सनातन - हमें अपनी सनातन परम्पराओं का पालन करना चाहिए।
    लुप्त - आज शेर संसार से धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं।
    जाग्रत - आज भारत अपने विकास के लिए जाग्रत हो चुका है।
    घृणास्पद - कीचड से लथपथ मनुष्य घृणास्पद प्रतीत होता है।
    युक्तिशून्य - नेताजी के सभी तर्क युक्तिशून्य थे।
    वृत्ति - मदन विनम्र वृत्ति का बालक है।

    Question 28
    CBSEENHN9000596

    कीचड़ में पैदा होनेवाली फसलों के नाम लिखिए।

    Solution

    छात्र स्वयं करे । 
    परीक्षोपयोगी नहीं।

    Question 30
    CBSEENHN9000598
    Question 31
    CBSEENHN9000599

    कीचड़ के तिरस्कार का मूल कारण क्या है?

    Solution
    कीचड़ देखने में सुंदर नहीं होता। यह हमारे शरीर और कपड़ों को मैला कर देता है। मैल से सभी बचते हैं, इसलिए कीचड़ से सभी बचते हैं।
    Question 32
    CBSEENHN9000600

    लेखक ने कीचड़ में सौन्दर्य के दर्शन कहाँ-कहाँ किए?

    Solution
    लेखक ने कीचड़ में सौन्दर्य का दर्शन अनेक स्थलों पर किया है। उन्हें सूखी हुई कीचड़ ऐसी प्रतीत हुई मानो धरती पर खोपरे सुखाने के लिए डाले गए हो। उन्हें सूखी कीचड़ के ऊपर चलते हुए बगुले तथा अन्य पक्षी भी सुंदर प्रतीत हुए। अधिक सूखने पर उन्हें गायों, भैंसों, बैलों, पाडों, भेड़ों और बकरियों का चलना सुंदर प्रतीत हुआ। दो पाडों के युद्ध के कारण मची हुई हलचल को लेखक/कवि कीचड़ का सुन्दरतम दृश्य मानते हैं।
    Question 33
    CBSEENHN9000601

    कीचड़ और फसलों का संबंध अपेने शब्दों में लिखिए।

    Solution
    कीचड़ और फसलों का संबंध सनातन है। कीचड़ में ही फसलों का उत्पन्न होना मानव जीवन के लिए उपयोगिता का प्रतीक है। धान की खेती कीचड़ में ही होती है। फसलों की उपयोगिता को मनुष्य समझता है। इसका तात्पर्य यह है कि कीचड़ का सौन्दर्य मनुष्य को जीवन देता है।

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