संचयन भाग १ Chapter 2 स्मृति - श्रीराम शर्मा
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html संचयन भाग १

    स्मृति - श्रीराम शर्मा Here is the CBSE About 2.html Chapter 2 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html स्मृति - श्रीराम शर्मा Chapter 2 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html स्मृति - श्रीराम शर्मा Chapter 2 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9001111

    भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस प्रकार का डर था?

    Solution
    जब लेखक झरबेरी से बेर तोड़ रहा था तभी गाँव के एक आदमी ने पुकार कर कहा कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं, शीघ्र चले आओ। भाई के बुलाने पर लेखक घर की ओर चल दिया पर उसके मन में डर था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उससे कौन सा कसूर हो गया। उसे आशंका थी कि कहीं बेर खाने के अपराध में उसकी पेशी न हो रही हो। उस बड़े भाई की मार का डर था।
    Question 2
    CBSEENHN9001112

    मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?

    Solution
    मक्खनपुर पढ़ने जाने वाले बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। उन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप है। वे ढेला फेंककर कुएँ में से आने वाली उसकी क्रोधपूर्ण फुँफकार सुनने में मजा लेते थे। कुएँ में ढेला फेंककर उसकी आवाज तथा उससे सुनने के बाद अपनी बोली की प्रतिध्वनि सुनने की लालसा उनके मन में रहती थी।
    Question 3
    CBSEENHN9001113

    ‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लेगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं'- यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

    Solution
    यह घटना 1908 में घटी थी और लेखक ने इसे अपनी माँ को 1915 में सात साल बाद बताया था। जब तक वह इसे लिखा होगा और भी समय बीत चुका होगा। लेखक ने जब ढेला उठाकर कुएँ में साँप पर फेंका तब टोपी में रखी चिट्‌ठी कुँए में गिर गया इससे लेखक पर बिजली सी गिरी। वह बुरी तरह घबरा गया था। उसे निराशा, पिटने का भय और घबराहट हो रही थी। वह अपने होश खो बैठा था। उसे ठीक से यह भी याद नहीं कि जब उसने कुएँ में ढेला फेंका था तब साँप ने फुँफकार मारा या नहीं, उसका फेंका ढेला साँप को लगी या नहीं। इससे उसकी घबराहट झलकती थी।
    Question 4
    CBSEENHN9001114

    किन कारणों से लेखक ने चिट्‌ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?

    Solution
    लेखक को चिट्‌ठियाँ बड़े भाई ने दी थीं। यदि वे डाकखाने में नहीं डाली जातीं तो घर पर मार पड़ती। सच बोलकर पिटने का भय और झूठ बोलकर चिट्‌ठियों के न पहुँचने की जिम्मेदारी के बोझ से दबा वह बैठा सिसक रहा था। वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। चिट्‌ठियाँ कुएँ में गिरी पड़ी थीं। उसका मन कहीं भाग जाने को करता था फिर पिटने का भय और जिम्मेदारी की दुधारी तलवार कलेजे पर फिर रही थी। उसे चिट्‌ठियाँ बाहर निकाल कर लानी थीं। अंत में उसने कुएँ से चिट्‌ठियाँ निकालने का निर्णय कर ही लिया।
    Question 5
    CBSEENHN9001115

    साँप का ध्यान बाँटने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाई?

    Solution

    साँप का ध्यान बाँटने के लिए लेखक ने निम्नलिखित युक्तियाँ अपनाईं-
    - उसने डंडे से साँप को दबाने का ख्याल छोड़ दिया।
    - उसने साँप का फन पीछे होते ही अपना डंडा चिट्‌ठियों की ओर कर दिया और लिफाफा उठाने की चेष्टा की।
    - डंडा लेखक की ओर खींच आने से साँप के आसन बदल गए और वह चिट्‌ठियाँ चुनने में कामयाब हो गया।

    Question 6
    CBSEENHN9001116

    कुएँ में उतरकर चिट्‌ठियों को निकालने सबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

    Solution
    लेखक की चिट्‌ठियाँ कुएँ में गिरी पड़ी थीं। कुएँ में उतरकर चिट्‌ठियों को निकाल लाना साहस का कार्य था। लेखक ने इस चुनौती को स्वीकार किया और उसने छ: धोतियों को जोड़कर डंडा बाँधा और एक सिरे को कुएँ में डालकर उसके दूसरे सिरे को कुएँ के चारों ओर घुमाने के बाद उसमें गाँठ लगाकर छोटे भाई को पकड़ा दिया। धोती के सहारे जब वह कुएँ के धरातल से चार-पाँच गज ऊपर था। उसने साँप को फन फैलाए देखा। वह कुछ हाथ ऊपर लटक रहा था। साँप के पास पैर लटकते थे। वह आक्रमण करने की तैयारी में था। साँप को धोती में लटककर नहीं मारा जा सकता था। डंडा चलाने के लिए काफी जगह चाहिए थी। इसलिए उसने डंडा चलाने का इरादा छोड़ दिया। उसने डंडे से चिट्‌ठियों को खिसकाने का प्रयास किया कि साँप डंडे से चिपक गया। साँप का पिछला भाग लेखक के हाथों को छू गया। लेखक ने डंडे को एक ओर पटक दिया। देवी कृपा से साँप के आसन बदल गए और वह चिट्‌ठियों को उठाने में कामयाब हो गया।
    Question 7
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    इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

    Solution

    बच्चे कौतुहल प्रिय और जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं। उनकी जिज्ञासा व पीड़ा उनको निर्णायक मोड़ पर ला खड़ा कर देती है। इस पाठ में लेखक उनके भाई व उनके साथियों की बाल सुलभ शरारतों का पता चलता है। वे इस प्रकार हैं-
    - बच्चे झरबेरी से बेर तोड़कर खाने का आनंद लेते हैं।
    - कठिन व जोखिम पूर्ण कार्य करते हैं।
    - माली से छुप-छुपकर पेड़ों से आम आदि फल तोड़ना पसंद करते हैं।
    - बच्चे स्कूल जाते समय रास्ते में शरारतें करते हैं।
    - रास्ते में चलते-चलते डंडे की सहायता से वस्तुओं को बिखेरना पसंद करते हैं।
    - बच्चे कुएँ में ढेला फेंककर खुश होते हैं।
    - वे जानवरों जीव-जन्तुओं को तंग करते हैं।

    Question 8
    CBSEENHN9001118

    ‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’- का आशय स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    मनुष्य हर स्थिति से निपटने के लिए अपना अनुमान लगाता है। वह अपने अनुसार भविष्य के लिए योजनाएँ बनाता है पर ये योजनाएँ हर बार सफल नहीं हो पातीं। ये कई बार झूठी सिद्ध होती हैं। कई बार तो स्थिति बिलकुल उल्टी होती है। जिस प्रकार लेखक के साथ बचपन में घटित हुआ। मक्खनपुर जाते समय जब लेखक की चिट्‌ठियाँ गिर गयीं। उस समय की स्थिति का लेखक ने अनुमान नहीं लगाया था। कुएँ में उतरकर चिट्‌ठियों को लाना-साहस का काम था लेखक धोती के सहारे कुएँ में उतरा था। सामने साँप फन फैलाए बैठा था। धोती पर लटककर साँप को मारना बिलकुल असंभव था। वहाँ डंडा चलाने की भी जगह नहीं थी। लेखक ने डंडे से चिट्‌ठियों को खिसकाने का प्रयास किया तो साँप ने डंडे से चिपककर आसन बदल लिया और लेखक चिट्‌ठियाँ उठाने में सफल हुआ। लेखक इन सब बातों के लिए पहले से पूरी तरह से तैयार नहीं था। लेकिन स्थिति के साथ वह अपनी योजना में परिवर्तन करता गया। इस प्रकार मनुष्य की कल्पना और वास्तविकता में बहुत अंतर होता है। यह बात इस घटना से सिद्ध हो जाती है।
    Question 9
    CBSEENHN9001119

    ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’- पाठ के सदंर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए 

    Solution
    मनुष्य तो कर्म करता है। उसे फल देने का काम ईश्वर करता है। फल को पाना मनुष्य के बस की बात नहीं है। मन चाहा फल प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह तो फल देने वाले की इच्छा पर निर्भर है। इस पाठ में लेखक ने चिट्‌ठियाँ प्राप्त करने के लिए भरसक प्रयास किया और उसे सफलता मिल ही गई गीता में भी कहा गया है कि ‘‘कर्मण्येव वाधिकारस्ते मा फलेषु कदावन कार्य के प्रति आसक्ति रखना उचित नहीं है।
    Question 10
    CBSEENHN9001120

    लेखक की चिट्‌ठियाँ कुएँ में क्यों गिर गई?

    Solution
    लेखक के कुरते में जेबें नहीं थीं। इसलिए उसने वे चिट्‌ठियाँ अपनी टोपी के नीचे रख ली थीं। जब वह आदत के अनुसार टोपी उतारकर कुएँ में ढेला फेंकने लगा तो वे चिट्‌ठियाँ उड़कर कुएँ में जा गिरीं। इस प्रकार उसकी लापरवाही से वे चिट्‌ठियाँ कुएँ में गिर गईं।
    Question 11
    CBSEENHN9001121

    लेखक अपने बचपन में किस वस्तु से अधिक मोह रखता था और क्यों?

    Solution
    लेखक को बचपन में बबूल के डंडे से बहुत अधिक मोह था। उसे वह डंडा रायफल से भी अधिक प्रिय था। उसका कारण था कि वह उसके द्वारा अनेक साँप मार चुका था। इसके अलावा उसने अनेक बार आमों के पेड़ों से इसी डंडे की सहायता से आम तोड़े थे लेखक अपने डंडे को गरुड़ की संज्ञा देता था। उसे अपना डंडा सजीव प्रतीत होता था।
    Question 12
    CBSEENHN9001122

    लेखक का छोटा भाई क्यों रोने लगा?

    Solution
    लेखक का भाई आठ वर्ष का था। उसका दिल कमजोर था। इसलिए चिट्‌ठियों के कुएँ में गिर जाने पर वह जोर-जोर से रोने लगा फिर जब उसका भाई कुएँ में चिट्‌ठियों के लिए उतरने लगा तो उसे बहुत डर लगा। कुएँ के अंदर साँप भी फुँफकार रहा था। इस कल्पना से वह भयभीत हो गया और रोने लगा।
    Question 13
    CBSEENHN9001123

    कुएँ वाली घटना सुनकर लेखक की माँ ने क्या प्रतिक्रिया की?

    Solution
    कुएँ वाली घटना सुनकर लेखक की माँ भयभीत हो गई। ममता के कारण उसकी आँखें आँसुओं से भर गई। उसने लेखक को अपनी गोद में बिठाकर अपने से सटा लिया। ऐसा करके वह अपने बेटे तथा स्वयं की सुरक्षा को अनुभव करना चाहती थी।

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