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स्मृति - श्रीराम शर्मा

Question
CBSEENHN9001113

‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लेगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं'- यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

Solution
यह घटना 1908 में घटी थी और लेखक ने इसे अपनी माँ को 1915 में सात साल बाद बताया था। जब तक वह इसे लिखा होगा और भी समय बीत चुका होगा। लेखक ने जब ढेला उठाकर कुएँ में साँप पर फेंका तब टोपी में रखी चिट्‌ठी कुँए में गिर गया इससे लेखक पर बिजली सी गिरी। वह बुरी तरह घबरा गया था। उसे निराशा, पिटने का भय और घबराहट हो रही थी। वह अपने होश खो बैठा था। उसे ठीक से यह भी याद नहीं कि जब उसने कुएँ में ढेला फेंका था तब साँप ने फुँफकार मारा या नहीं, उसका फेंका ढेला साँप को लगी या नहीं। इससे उसकी घबराहट झलकती थी।

Some More Questions From स्मृति - श्रीराम शर्मा Chapter

किन कारणों से लेखक ने चिट्‌ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?

साँप का ध्यान बाँटने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाई?

कुएँ में उतरकर चिट्‌ठियों को निकालने सबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’- का आशय स्पष्ट कीजिए।

‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’- पाठ के सदंर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए 

लेखक की चिट्‌ठियाँ कुएँ में क्यों गिर गई?

लेखक अपने बचपन में किस वस्तु से अधिक मोह रखता था और क्यों?

लेखक का छोटा भाई क्यों रोने लगा?

कुएँ वाली घटना सुनकर लेखक की माँ ने क्या प्रतिक्रिया की?