कृतिका भाग १ Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html कृतिका भाग १

    किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Here is the CBSE About 2.html Chapter 5 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Chapter 5 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Chapter 5 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9001212

    वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया? 

    Solution

    लेखक जिन दिनों बेरोजगार थे उन दिनों शायद किसी ने उन्हें कटु बातें की होगीं जिसे वे बर्दाश्त नहीं कर पाए होगे और जिसके कारण वह बिना कुछ कहे घर से दिल्ली के लिए निकल गए ।

    Question 2
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    लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफ़सोस क्यों रहा होगा?

    Solution

    लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने पर अफ़सोस इसलिए रहा होगा क्योंकि वह भारत की जन-भाषा नहीं थी। इसलिए भारत के लोग यानी उनके अपने लोग उसे समझ नहीं पाते होंगे। लेखक अपनी कविता उर्दू और अंग्रेजी में ही लिखते थे। पर जब वे इलाहाबाद आए तो वहाँ का साहित्यिक वातावरण तथा बच्चन, निराला और पन्त जैसे महान लेखकों का सानिध्य पाकर वे हिन्दी लेखन की ओर अग्रसर होने लगे और हिन्दी में ही रचनाएँ करने लगे। 

    Question 3
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    अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए नोट में क्या लिखा होगा?

    Solution

    दिल्ली के उकील आर्ट स्कूल में बच्चनजी लेखक के लिए एक नोट छोड़कर गए थे। उस नोट में शायद उन्होंने लिखा होगा कि तुम इलाहाबाद आ जाओ। लेखन में ही तुम्हारा भविष्य निहित है। संघर्ष करने वाले ही जीवन पथ पर अग्रसर होते हैं अत:परिश्रम करो सफलता अवश्य तुम्हारे कदम चूमेगी।

    Question 4
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    लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है?

    Solution

    लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के अनेक रूपों को उभारा है -
    1) बच्चनजी अत्यंत कोमल एवं सहृदय मनुष्य थे।
    2) बच्चनजी समय के अत्यंत पाबन्द होने के साथ-साथ कला-प्रतिभा के पारखी थे। उन्होंने लेखक द्वारा लिखे एक ही सॉनेट को पढ़कर उनकी कला - प्रतिभा को पहचान लिया था।
    3) वे ह्रदय से ही नहीं, कर्म से भी परम सहयोगी थे।
    4) बच्चन का स्वभाव संघर्षशील, परोपकारी, फौलादी संकल्पवाला था। 
    उन्होंने न केवल लेखक को इलाहाबाद बुलाया बल्कि लेखक की पढ़ाई का सारा जिम्मा भी उठा लिया।

    Question 5
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    बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला?

    Solution

    लेखक को बच्चन के अतिरिक्त निम्नलिखित लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ -
    तेजबहादुर सिंह - ये लेखक के बड़े भाई थे। ये आर्थिक तंगी के दिनों में उन्हें कुछ रूपये भेजकर उनका सहयोग करते थे।
    कवि नरेंद्र शर्मा - कवि नरेंद्र शर्मा लेखक के मित्र थे। एक दिन वे लेखक से मिलने के लिए बच्हन स्टूडियो में आये। छुट्टी होने कारण लेखक नहीं मिल सका। तब वे उनके नाम एक बहुत अच्छा और प्रेरक नोट छोड़ गए। इस नोट ने लेखक को बहुत प्रेरणा दी।
    शारदाचरण उकील - ये कला शिक्षक थे। इनसे लेखक ने पेंटिंग की शिक्षा ली।
    बच्चन के पिता - जब लेखक इलाहाबाद में आकर बस गया तो उन्हें स्थानीय अभिभावक की आवश्यकता थी। तब हरिवंशराय बच्चन के पिता ने उनका अभिभावक बन्ना स्वीकार किया।
    सुमित्रानंदन पंत - हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने लेखक को इंडियन प्रेस से अनुवाद का काम दिला दिया। उन्होंने लेखक द्वारा लिखी कविताओं में कुछ संशोधन भी किया।
    ससुराल पक्ष - जिन दिनों विधुर लेखक आजीविका कमाने के लिए संघर्ष कतर रहा था, तब ससुराल वालों ने उन्हें अपनी दुकान पर कम्पाउंडरी का प्रशिक्षण दिया।

    Question 6
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    लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिये।

     

    Solution

    मित्रों के सहयोग, इलाहाबाद का संस्कार तथा हिन्दी कविता का वातावरण और प्रोत्साहन पाकर लेखक हिन्दी में रचनाएँ करने लगे। सन् 1933 में लेखक की कुछ रचनाएँ जैसे 'सरस्वती' और 'चाँद' छपी। बच्चन द्वारा 'प्रकार' की रचना लेखक से करवाई गई। बच्चन द्वारा रचित 'निशा-निमंत्रण' से प्रेरित होकर लेखक ने 'निशा-निमंत्रण के कवि के प्रति' कविता लिखी थी। निराला जी का ध्यान सरस्वती में छपी कविता पर गया। फिर उन्होंने कुछ हिंदी निबंध भी लिखे व बाद में 'हंस' कार्यालय की 'कहानी' में चले गए। तद्पश्चात् उन्होंने कविताओं का संग्रह व अन्य रचनाएँ भी लिखी।

    Question 7
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    लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए।

    Solution

    पाठ पढ़ने पर हमें लेखक के जीवन की कठिनाईयों के बारे में पता चलता है -
    लेखक ने अपने जीवन में प्रारम्भ से ही अनेक कठिनाइयों को झेला। वह किसी के व्यंग्य-बाण का शिकार होकर केवल पाँच - सात रूपए लेकर ही दिल्ली चला गया। वह बिना फीस के पेंटिंग के उकील स्कूल में भर्ती हो गया। वहाँ उसे साइन - बोर्ड पैंट करके गुजारा चलाना पड़ा। लेखक की पत्नी का टी.बी. के कारण देहांत हो गया था, और वे युवावस्था में ही विधुर हो गए। इसलिए उन्हें पत्नी - वियोग का पीड़ा भी झेलना पड़ा। बाद में एक घटना -चक्र में लेखक अपनी ससुराल देहरादून आ गया। वहाँ वह एक दूकान पर कम्पाउंडरी सिखने लगे। वह बच्चन जी के आग्रह पर इलाहाबाद चला गया। वहाँ बच्चन जी के पिता उसके लोकल गार्जियन बने। बच्चन जी ने ही उसकी एम्.ए. की पढ़ाई का खर्चा उठाया। बाद में उसने इंडियन प्रेस में अनुबाद का काम भी किया। उसे हिन्दू बोर्डिंग हाउस के कामन-रूम में एक सीट फ्री मिल गयी थी। तब भी वह आर्थिक संघर्ष से जूझ रहा था।

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