कृतिका भाग २ Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक
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    NCERT Solution For Class 10 Hindi कृतिका भाग २

    जॉर्ज पंचम की नाक Here is the CBSE Hindi Chapter 2 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Hindi जॉर्ज पंचम की नाक Chapter 2 NCERT Solutions for Class 10 Hindi जॉर्ज पंचम की नाक Chapter 2 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN100018867

    ‘जार्ज पंचम की नाक’ पाठके माध्यम से लेखक ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है?

    अथवा

    सिक्किम की युवती के कथन ‘मैं इंडियन हूँ’ से स्पष्ट होता है कि अपनी जाति, धर्म-क्षेत्र और संप्रदाय से। अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्र है। आप किस प्रकार राष्ट्र के उत्तरप्रति अपने कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं? समझाइए।

    Solution

    जार्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर लेखक ने समाज एवं देश की बदहाल स्थितियों पर करारा व्यंग्य किया गया है। इस पाठ में दर्शाया गया है कि अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी प्राप्त करने के बाद भी सत्ता से जुड़े लोगों की औपनिवेशक दौर की मानसिकता के शिकार हैं। ‘नाक’ मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जबकि कटी हुई नाक अपमान का प्रतीक है। जार्ज पंचम की नाक अर्थात् सम्मान एक साधारण भारतीय की नाक से भी छोटी (कम) है, फिर भी सरकारी अधिकारी उनकी नाक बचाने के लिए जी जान से लगे रहे। अंत में किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जार्ज पंचम की नाक लगा दी गई। केवल दिखावे के लिए या दूसरों को खुश करने के लिए अपनों की इज्जत के साथ खिलवाड़ की जाती है। यह पूरी प्रक्रिया भारतीय जनता के आत्मसम्मान पर प्रहार दर्शाती है। इसमें सत्ता से जुड़े लोगों की मानसिकता पर व्यंग्य है।

    अथवा

    जिस प्रकार सिक्किम की युवती के कथन में ‘मैं । इंडियन हूँ’ से स्पष्ट होता है कि वे जाति, धर्म, संप्रदाय से कहीं अधिक राष्ट्र होता है। उसी प्रकार हम भी अपने राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करेंगे। हम आजकल कई पर्यटन स्थलों में लोग आधुनिकता के रंग में रंगी हुई, प्रकृति को जाने-अनजाने नष्ट कर रहे हैं। वहाँ के सौंदर्य को नष्ट कर रहे हैं। इसे रोकना होगा नहीं तो हम प्रकृति के सौंदर्य से वंचित रहेंगे। हमें एक जागरूक नागरिक होने के नाते जन-जन में स्वच्छता का संदेश देना ‘होगा। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए लोगों को अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करने, पेड़ों को न काटने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों एव उपकरणों के कम से कम प्रयोग आदि के प्रति जागरूक करने का प्रयास करेंगे।

    Question 2
    CBSEENHN10002709

    सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है। 

    Solution

    सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी गुलाम और औपनिवेशिक मानसिकता को प्रकट करती है। सरकारी लोग उस जॉर्ज पंचम के नाम से चिंतित है जिसने न जाने कितने ही कहर ढहाए। उसके अत्याचारों को याद न कर उसके सम्मान में जुट जाते हैं। सरकारी तंत्र अपनी अयोग्यता, अदूरदर्शिता, मूर्खता और चाटुकारिता को दर्शाता है।

    Question 3
    CBSEENHN10002710

    रानी एलिजाबेथ के दरज़ी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?

    Solution

    रानी एलिज़ाबेथ के दरजी की परेशानी का कारण रानी की वेशभूषा थी। वह उसकी नई पोशाकों को बनाने के लिए परेशान था। दरजी यह सोच कर परेशान हो रहा था की भारत-पाकिस्तान और नेपाल यात्रा के समय रानी किस अवसर पर क्या पहनेंगी। दरजी की परेशानी तर्कसंगत थी। यह इसलिए क्योंकि रानी इस यात्रा पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहीं थी। अर्थात् उनके कपड़ों का उनकी मर्यादा के अनुकूल होना जरूरी था। रानी की वेशभूषा तैयार करने में यदि उससे कोई चूक हो जाती, तो उसे रानी के क्रोध का सामना करना पड़ता।

    Question 4
    CBSEENHN10002711

    'और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा' - नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे ?

    Solution

    इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ की आने की संकेत पाते ही नई दिल्ली की काया पलट होने लगा। और इसके लिए हर स्तर पर अनेक प्रयत्न किये गए होंगे, जैसे -
    1) पूरे दिल्ली शहर में साफ सफाई के लिए विशेष योजनाएँ तैयार की गई होगी।
    2) इमारतों पर जमी धुल-मिट्टी साफ़ कर के उन्हें सजाया-सँवारा गया होगा।
    3) पूरे दिल्ली शहर में साफ सफाई के लिए विशेष योजनाएँ तैयार की गई होगी।
    4) सड़कों के नाम की पट्टी लगाकर रेलिंग और क्रासिंग को रंगीन किया गया होगा।
    5) आंतकवादी घटनाएँ या फिर इंग्लैंड विरोधी कार्यवाही या धरने न हो उसके लिए सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए होंगे।
    6) जगह-जगह स्वागत द्वार बनाया गया होगा।
    7) मार्ग पर दोनों देश के ध्वज लहराए गए होंगे।
    8) राजपथ के दोनों ओर फूल-पौधे लगाए गए होंगे।

    Question 5
    CBSEENHN10002712

    आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है -
    इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?

    Solution
    आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान सम्बंधि आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है वह न केवल अनावश्यक है, बल्की समाज की उन्नति के लिए बाधक भी है। यह एक निम्न स्तर की भटकी हुई पत्रकारिता है। पत्रकारिता लोकतंत्र का वह मुख्य स्तम्भ है, जो समाज के अधिकारों के प्रहरी के रूप में समाज तथा राष्ट्र दोनों के विकास मैं महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। किन्तु इस प्रकार की पत्रकारिता जिससे सामान्य ज्ञान नहीं बढ़ता, न ही इससे आम आदमी के जीवन में कोइ लेना-देना है, समाज को सिर्फ हानि पहुँचाती है। यह व्यक्ति-विशेष की निजी जीवन में अनुचित ताक-झाँक है जो हमारी सभ्यता व संस्कृति के विपरीत है।
    Question 6
    CBSEENHN10002713

    आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है-
    इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?

    Solution

    इस प्रकार की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर अत्यंत नकारात्मक और हानिकारक प्रभाव डालती है। इस तरह की पत्रकारिता नौजवान पीढ़ी को नकल करने की ही शिक्षा दे रही है। यह युवा पीढ़ी के चारों ओर चर्चित हस्तियों की जीवन-शैली का ऐसा भ्रम-जाल बुन देती है, जिसमें उलझकर युवा पीढ़ी और आम जनता अपने लक्ष्यों और कर्तव्यों से भटककर अपराध के दल-दल में फँस जाती है। राष्ट्र को सही दिशा में चलाने के लिए यह आवश्यक है कि पत्रकारिता का प्रत्येक विषय समस्त नागरिकों के हित में हो न की लोगों को पथ भ्रष्ट करने के लिए हो।

    Question 7
    CBSEENHN10002714

    जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?

    Solution

    मूर्तिकार के द्वारा किए गए यत्न निम्नलिखित हैं -
    (क) मूर्ति के पत्थर के प्रकार आदि का पता न चलने पर व्यक्तिगत रूप से नाक लगाने की ज़िम्मेदारी लेते हुए देश भर के पहाड़ों और पत्थर की खानों का तूफ़ानी दौरा किया।
    (ख) उसने देश में लगे हर छोटे-बड़े नेताओं की मूर्ति की नाक से पंचम की लाट की नाक का मिलान किया ताकि उस मूर्ति से नाक निकालकर पंचम लाट पर नाक लगाई जा सके। परन्तु; दुर्भाग्य से सभी की नाक ज़ार्ज पंचम की नाक से बड़ी निकली।
    (ग) आखिर जब उसे नाक नहीं मिली तो हताश मूर्तिकार और चिन्तित एवम् आतंकित हुक्मरानों ने ज़िंदा इनसान की नाक लगवाने का परामर्श दिया और प्रयत्न भी किया।

    Question 8
    CBSEENHN10002715

    प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए 'फाईलें सब कुछ हज़म कर चुकी हैं।' 'सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ़ ताका।' पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।

    Solution

    मौजूदा व्यवस्था पर चोट करने वाले कुछ कथन निम्नलिखित हैं-
    1) सड़कें जवान हो गईं, बुढ़ापे की धूल साफ़ हो गई।
    2) एक ख़ास कमेटी बनाई गई और उसके जिम्मे यह काम दे दिया गया।
    3) शंख इंग्लैण्ड में बज रहा था,गूँज हिन्दुस्तान में आ रही थी।
    4) चालीस करोड़ में से कोई एक ज़िंदा नाक काटकर लगा दी जाए।
    5) गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई।
    6) रानी आए और नाक न हो, तो हमारी भी नाक नहीं रह जाएगी।

    Question 9
    CBSEENHN10002716

    नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।

    Solution

    नाक, इज्जत-प्रतिष्ठा, मान-मर्यादा और सम्मान का प्रतीक है। शायद यही कारण है कि इससे संबंधित कई मुहावरे प्रचलित हैं जैसे - नाक कटना, नाक रखना, नाक का सवाल,नाक रगड़ना आदि। इस पाठ में नाक मान सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात लेखक ने विभिन्न बातों द्वारा व्यक्त की हैं। रानी एलिज़ाबेथ अपने पति के साथ भारत दौरे पर आ रही थीं। ऐसे मौके में जॉर्ज पंचम की नाक का न होना उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसा था। यह लोग विदेशियों की नाक को ऊँचा करने को अपने नाक का सवाल बना लेते हैं। यहाँ तक की जॉर्ज पंचम की नाक का सम्मान भारत के महान नेताओं एवं साहसी बालकों के सम्मान से भी ऊँचा था। इस पाठ में सरकारी तंत्र की मानसिकता की स्पष्ट झलक भी दिखाई देती है।

    Question 10
    CBSEENHN10002717

    जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।

    Solution

    यहाँ लेखक ने भारतीय समाज के महान नेताओं व साहसी बालकों के प्रति अपना प्रेम प्रस्तुत किया है।ज़ार्ज पंचम इंग्लैण्ड का राजा था जिसने भारतीय स्वतंत्रता-संग्रामियों पर बहुत ज़ुल्म ढाए थे। उसकी लाट की नाक टूट गई थी। बहुत ढ़ूँढ़ने पर भी किसी भारतीय महापुरूष या स्वतंत्रता सेनानी की नाक फिट न बैठ सकी। सभी भारतीय जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने बलिदान दिए,चाहे वह बूढ़ा हो या जवान हो या फिर बच्चा ही क्यों न हो, उनकी मान-मर्यादा और इज्ज़त के समक्ष ज़ार्ज पंचम या उसके समतुल्य किसी अन्य की कोई इज्ज़त नहीं। इसलिए इनकी नाक जॉर्ज पंचम की नाक से सहस्त्रों गुणा ऊँची है।

    Question 11
    CBSEENHN10002718

    अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?

    Solution

    अख़बारों ने यह ख़बर छापी कि- 'नाक का मसला हल हो गया है।' राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट की नाक लग गई है। ' किन्तु अखबारों ने इस खबर पर खास ध्यान नहीं दिया और ना  ही किसी मारोह के होने की खबर को छापा गया।

    Question 12
    CBSEENHN10002719

    'नयी दिल्ली में सब था... सिर्फ़ नाक नहीं थी।' इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

    Solution

    इस कथन के माध्यम से लेखक ब्रिटिश सरकार का भारत में सम्मान को प्रदर्शित करता है। उसने इस कथन में ब्रिटिश सरकार पर व्यंग्य कसा है। एलिजाबेथ एवम् प्रिंस फ़िलिप के आने पर चालीस करोड़ भारतीयों में से किसी की ज़िन्दा नाक काटकर ज़ार्ज पंचम की लाट में लगा देने की अपमान जनक बात सोचना और करना। यदि सच में दिल्ली के पास नाक होती तो इतना बखेड़ा खड़ा न करके सीधे ज़ार्ज पंचम के लाट को ही हटवा दिया होता। इसका एक अर्थ यह होता है कि भारत में अपना शासन खो चुके अंग्रेजों के प्रति लोगों के मन में अब कोई मान-सम्मान नहीं बचा था, और साथ ही इस से हमारे प्रशासन की कमज़ोर एवं त्रुटिपूर्ण व्यवस्था का भी पता चलता है। 

    Question 13
    CBSEENHN10002720

    जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

    Solution

    ब्रिटिश सरकार को दिखाने के लिए किसी ज़िदा इनसान कि नाक जॉर्ज पंचम की लाट कि नाक पर लगाना किसी को पसंद नहीं आया। इसके विरोध में अखबार भी उस दिन चुप रहें। यदि वे सच छाप देते तो पूरी दुनिया क्या कहती। दुनिया के लोग जब जानते कि आज़ादी के बाद भी दिल्ली में बैठे हुक़्मरान आज भी अंग्रेजों के आगे अपनी दुम हिलाते हैं।

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