स्पर्श भाग २ Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ
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    NCERT Solution For Class 10 Social+science स्पर्श भाग २

    पतझर में टूटी पत्तियाँ Here is the CBSE Social+science Chapter 16 for Class 10 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 10 Social+science पतझर में टूटी पत्तियाँ Chapter 16 NCERT Solutions for Class 10 Social+science पतझर में टूटी पत्तियाँ Chapter 16 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 10 Social+science.

    Question 1
    CBSEENHN10002615

    निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
    शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?

    Solution

    शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग इसलिए होता है क्योंकि इसमें किसी प्रकार की मिलावट नही की जाती। यह पूरी तरह शुद्ध होता है गिन्नी के सोने में थोडा-सा ताँबा मिलाया होता है, इसलिए वह ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने से मजबूत भी होता है।  

    Question 2
    CBSEENHN10002616

    निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
    प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?

    Solution

    प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट उन्हें कहते हैं जो लोग आदर्श बनते हैं और व्यवहार के समय उन्हीं आर्दशों को तोड़ मरोड़ कर अवसर का लाभ उठाते हैं। 

    Question 3
    CBSEENHN10002617

    निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
    पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?

    Solution

    पाठ के सन्दर्भ में शुद्ध आदर्श वह है जिसमें लाभ-हानि की गुंजाइश नहीं होती है। अर्थात् शुद्ध आदर्शों पर व्यावहारिकता हावी नहीं होती। जिसमें पूरे समाज की भलाई छिपी हुई हो तथा जो समाज के शाश्वत मूल्यों को बनाए रखने में सक्षम हो, वही शुद्ध आदर्श है।

    Question 4
    CBSEENHN10002618

    निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
    लेखक ने जापानियों के दिमाग में 'स्पीड' का इंजन लगने की बात क्यों कही है?

    Solution

    जापानी लोग उन्नति की होड़ में सबसे आगे हैं। वे महीने का काम एक दिन में करने का सोचते हैं। इसलिए लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात कही है।

    Question 5
    CBSEENHN10002619

    निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
    जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?

    Solution

    जापानी में चाय पीने की विधि को 'चा-नो-यू' कहते हैं जिसका अर्थ है - 'टी-सेरेमनी' और चाय पिलाने वाला 'चाजिन' कहलाता है। 

    Question 6
    CBSEENHN10002620

    निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए -
    जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है? 

    Solution

    जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, वहाँ की सजावट पारम्परिक होती है। वहाँ अत्यन्त शांति और गरीमा के साथ चाय पिलाई जाती है। शांति उस स्थान की मुख्य विशेषता है।

    Question 7
    CBSEENHN10002621

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−
    शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?

    Solution

    शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नहीं की जा सकती। ताँबे से सोना मजबूत हो जाता है परन्तु शुद्धता समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार व्यवहारिकता में शुद्ध आदर्श समाप्त हो जाते हैं। परन्तु जीवन में आदर्श के साथ व्यावाहारिकता भी आवश्यक है, क्योंकि व्यावाहारिकता के समावेश से आदर्श सुन्दर व मजबूत हो जाते हैं।

    Question 8
    CBSEENHN10002622

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−
    चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं? 

    Solution

    चाजीन ने टी-सेरेमनी से जुड़ी सभी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से की। यह सेरेमनी एक पर्णकुटी में पूर्ण हुई। चाजीन द्वारा अतिथियों का उठकर स्वागत करना, आराम से अँगीठी सुलगाना, चायदानी रखना, चाय के बर्तन लाना, उन्हें तौलिए से पोंछना व चाय को बर्तनों में डालने आदि की सभी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग, अच्छे व सहज ढंग से की।

    Question 9
    CBSEENHN10002623

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−
    'टी-सेरेमनी' में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?

    Solution

    इसमें केवल तीन ही लोगों को प्रवेश दिया जाता है। इसका कारण यह है की भाग दौड़ से भरी जिन्दगी से दूर कुछ पल अकेले बिताना है और साथ ही जहाँ इंसान भूतकाल और भविष्यकाल की चिंता से मुक्त हो कर वर्तमान में जी पाए। अधिक आदमियों के आने से शांति के स्थान पर अशांति का माहौल बन जाता है इसलिए यहाँ तीन ही लोगों के प्रवेश की अनुमति है।

    Question 10
    CBSEENHN10002624

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए−
    चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?

    Solution

    चाय पीने के बाद लेखक ने महसूस किया कि जैसे उनके दिमाग की गति मंद पड़ गई हो, उसका दिमाग सुन्न होता जा रहा है। धीरे-धीरे उसका दिमाग चलना भी बंद हो गया यहाँ तक की उन्हें कमरे में पसरे हुए सन्नाटे की आवाज़ें भी सुनाई देने लगीं। उन्हें लगा कि मानो वे अनंतकाल से जी रहे हैं। वे भूत और भविष्य दोनोँ का चिंतन न करके वर्तमान में जी रहे हो।

    Question 11
    CBSEENHN10002625

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−
    गांधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए।

    Solution

    गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी उन्होंने अपने सारे आंदोलनों को व्यावहारिकता के स्तर से आदर्शों के स्तर पर चढ़कर चलाया था।  इन्होंने कई आन्दोलन चलाए - भारत छोड़ों, सत्याग्रह, असहयोग आंदोंलन, दांडीमार्च और वे सफल भी हुए। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने आदर्शों का हथियार बनाया। उनके साथ भारत की सारी जनता थी।  इन्हीं सिद्धांतों के बलबूते पर उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य से टक्कर ली। उन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलकर पूर्ण स्वराज की स्थापना की। उनके नेतृत्व में लाखों भारतीयों ने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया। देशवासी उनके नेतृत्व को स्वीकार करके गर्व का अनुभव करते थे।

    Question 12
    CBSEENHN10002626

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−
    आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    ईमानदारी, सत्य, अहिंसा, परोपकार, सहिष्णुता आदि  मूल्य शाश्वत मूल्य हैं। वर्तमान समय में भी इनकी प्रासंगिकता बनी हुई है क्योंकि आज भी सत्य, और अहिंसा के बिना राष्ट्र का कल्याण और उन्नति नहीं हो सकती है। शांतिपूर्ण जीवन बिताने के लिए परोपकार, त्याग, एकता, भाईचारा तथा देश-प्रेम की भावना का होना अत्यंत आवश्यक है। यदि हम आज भी परोपकार और ईमानदारी के मार्ग पर चले तो समाज को विघटन से बचाया जा सकता है।

    Question 13
    CBSEENHN10002627

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−
    अपने जीवन की किसी घटना का उल्लेख कीजिए जब -
    शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ हो।

    Solution

    छात्र स्वयं अपनी घटना दिए गए तरीके से लिख सकते हैं - जैसे की -
    शुद्ध आदर्श का पालन करने में मैं एक बार खुद ही फँस गया। एक बार एक ट्रैफिक हवलदार को मैंने रिश्वत लेते हुए पकड़ा और उसकी शिकायत उसके बड़े अफसर से कर दी तो उल्टा उसके बड़े अफसर ने सिग्नल तोड़ने के जुर्म में मेरा ही चालान कर दिया।  

    Question 14
    CBSEENHN10002628

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−
    अपने जीवन की किसी घटना का उल्लेख कीजिए जब -
    शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।

    Solution

    छात्र स्वयं अपनी घटना दिए गए तरीके से लिख सकते हैं - जैसे की -
    शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देकर एक बार मैंने शिक्षक से शाबाशी भी पा ली और एक विद्यार्थी को नक़ल करने से भी रोक दिया। हुआ यूँ कि एक बार परीक्षा भवन में मेरे आगे बैठा विद्यार्थी नक़ल कर रहा था। मैं उसे रोकना चाहता था परन्तु यदि उसकी शिकायत में सीधे जाकर शिक्षक से करता तो बाद में वह मुझसे बदला अवश्य लेता इसलिए मैंने इशारे से शिक्षक को उसकी करतूत बता दी परिणामस्वरूप शिक्षक ने उसकी सारी नक़ल की सामग्री चुपचाप फाड़कर कूड़े में फैंक दी।    

    Question 15
    CBSEENHN10002629

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−
    शुद्ध सोने में ताबे की मिलावट या ताँबें में सोना, गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट का अर्थ है - आदर्शवाद में व्यवहारवाद को मिला देना। शुद्ध सोना आदर्शों का प्रतीक है और ताँबा व्यावहारिकता का प्रतीक है।  गाँधीजी ने जीवन भर सत्य और अहिंसा का पालन किया। वे आदर्शों को उंचाई तक ले जाते हैं अर्थात वे सोने में ताँबा मिलाकर उसकी कीमत कम नही करते थे बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ा देते थे। गाँधीजी व्यवहारिकता की कीमत जानते थे। इसीलिए वे अपना विलक्षण आदर्श चला सके। लेकिन अपने आदर्शों को व्यावहारिकता के स्वर पर उतरने नहीं देते थे।

    Question 16
    CBSEENHN10002630

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−
    'गिरगिट' कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश 'गिन्नी का सोना' के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि 'आदर्शवादिता' और 'व्यावहारिकता' इनमें से जीवन में किसका महत्त्व है? 

    Solution

    गिन्नी का सोना पाठ के आधार पर यह स्पष्ट है कि जीवन में आदर्शवादिता का ही अधिक महत्त्व है।अवसरवादी व्यक्ति सदा अपना हित देखता है। गिरगिट कहानी में स्वार्थी इंस्पेक्टर पल-पल बदलता है। वह अवसर के अनुसार अपना व्यवहार बदल लेता है। 'गिन्नी का सोना' कहानी  में इस बात पर बल दिया गया है कि आदर्श शुद्ध सोने के समान हैं। इसमें व्यवाहिरकता का ताँबा मिलाकर उपयोगी बनाया जा सकता है। केवल व्यवहारवादी लोग गुणवान लोगों को भी पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं। यदि समाज का हर व्यक्ति आदर्शों को छोड़कर आगे बढ़ें तो समाज विनाश की ओर जा सकता है। समाज की उन्नति सही मायने में वहीं मानी जा सकती है जहाँ नैतिकता का विकास, जीवन के मूल्यों का विकास हो।

    Question 17
    CBSEENHN10002631

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−
    लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?  

    Solution

    लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के कारण बताएँ हैं कि मनुष्य चलता नहीं दौड़ता है, बोलता नहीं बकता है, एक महीने का काम एक दिन में करना चाहता है, दिमाग हज़ार गुना अधिक गति से दौड़ता है। अतरू तनाव बढ़ जाता है। मानसिक रोगों का प्रमुख कारण प्रतिस्पर्धा के कारण दिमाग का अनियंत्रित गति से कार्य करना है। लेखक के ये विचार सत्य हैं क्योंकि शरीर और मन मशीन की तरह कार्य नहीं कर सकते और यदि उन्हें ऐसा करने के लिए विवश किया तो मानसिक संतुलन बिगड़ जाना स्वाभाविक है।

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    Question 18
    CBSEENHN10002632

    निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए−
    लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    लेखक के अनुसार सत्य वर्तमान है। उसी में जीना चाहिए। हम अक्सर या तो गुजरे हुए दिनों की बातों में उलझे रहते हैं या भविष्य के सपने देखते हैं। इस तरह भूत या भविष्य काल में जीते हैं। असल में दोनों काल मिथ्या हैं। हम जब भूतकाल के अपने सुखों एवं दुखों पर गौर करते हैं तो हमारे दुख बढ़ जाते हैं। भविष्य की कल्पनाएँ भी हमें दुखी करती हैं। क्योंकि हम उन्हें पूरा नहीं कर पाते। जो बीत गया वह सत्य नहीं हो सकता। जो अभी तक आया ही नहीं उस पर कैसे विश्वास किया जा सकता है। वर्तमान ही सत्य है जो कुछ हमारे सामने घटित हो रहा है। वर्तमान ही सत्य है उसी में जीना चाहिए।

    Question 19
    CBSEENHN10002633

    निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
    समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।

    Solution

    इस पंक्ति का आशय यह है कि आदर्शवादी लोग समाज को आदर्श रूप में रखने वाली राह बताते हैं। आदर्शवादी लोग ही समाज में मूल्यों की स्थापना करते हैं। जब समाज एक आदर्श स्थापित करता है और जो सबके हित में सर्वमान्य हो जाता है वही आदर्श मूल्य बन जाता है। जबकि व्यवहारिक आदर्शवाद वास्तव में व्यवहारिकता ही है। उसमें आदर्शवाद कहीं नहीं होता है। 

    Question 20
    CBSEENHN10002634

    निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
    जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब 'प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों' के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।

    Solution

    इस पंक्ति का आशय यह है कि व्यावहारिक आदर्शवाद वास्तव में शुद्ध व्यावहारिकता ही होती है। जब आदर्श और व्यवहार में से लोग व्यावहारिकता को प्रमुखता देने लगते हैं और आदर्शों को भूल जाते हैं तब आदर्शों पर व्यावहारिकता हावी होने लगती है। वहां आदर्श टिक नही पाते। वास्तव में व्यवहारिकता ही अवसरवादिता का दूसरा नाम है।

    Question 21
    CBSEENHN10002635

    निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
    हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।

    Solution

    इस पंक्ति का आशय यह है कि जापान के लोगों के जीवन की गति इतनी तीव्र हो गई है कि यहाँ लोग सामान्य जीवन जीने की बजाए असामान्य होते जा रहे हैं। जीवन की भाग-दौड़, व्यस्तता तथा आगे निकलने की होड़ ने लोगों का चैन छीन लिया है। हर व्यक्ति अपने जीवन में अधिक पाने की होड़ में भाग रहा है। इसी कारण वे तनावपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। 

    Question 22
    CBSEENHN10002636

    निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए- 
    सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।

    Solution

    इस पंक्ति का आशय यह है चाय परोसने वाले ने बहुत ही सलीके से काम किया। झुककर प्रणाम करना, बरतन पौंछना, चाय डालना सभी धीरज और सुंदरता से किए मानो कोई कलाकार बड़े ही सुर में गीत गा रहा हो।

    Question 23
    CBSEENHN10002637

    नीचे दिए गए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग किजिए −
    व्यावहारिकता, आदर्श, सूझबूझ, विलक्षण, शाश्वत

    Solution

    (क) व्यावहारिकता − दादाजी की व्यावहारिकता सीखने योग्य है।
    (ख) आदर्श − आदर्श का पालन करने वाले विरले ही होते हैं। 
    (ग) सूझबूझ − उसकी सूझबूझ ने आज मेरी जान बचाई।
    (घ) विलक्षण − महेश की अपने विषय में विलक्षण प्रतिभा है।
    (ङ) शाश्वत − सत्य, अहिंसा मानव जीवन के शाश्वत नियम हैं।

    Question 25
    CBSEENHN10002639

    नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए −
    (क) सफल = .................
    (ख) विलक्षण = .................
    (ग) व्यावहारिक = .................
    (घ) सजग = .................
    (ङ) आर्दशवादी = .................
    (च) शुद्ध = ....................

    Solution

    (क) सफल   =    सफलता
    (ख) विलक्षण = विलक्षणता
    (ग) व्यावहारिक = व्यावहारिकता
    (घ) सजग = सजगता
    (ङ) आर्दशवादी = आर्दशवादिता
    (च) शुद्ध = शुद्धता

    Question 26
    CBSEENHN10002640

    नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए-
    (क) शुद्ध सोना अलग है।
    (ख) बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।

    ऊपर दिए गए वाक्यों में 'सोना' का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में 'सोना' का अर्थ है धातु 'स्वर्ण'। दूसरे वाक्य में 'सोना' का अर्थ है 'सोना' नामक क्रिया। अलग-अलग सन्दर्भों में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए-

    उत्तर, कर, अंक, नग

    Solution

    (क) उत्तर - मैंने सभी प्रश्नों के उत्तर लिख लिए हैं।
    तुम्हें उत्तर दिशा में जाना है।
    (ख) कर - हमने सभी कर चुका दिए हैं।
    मंत्री जी ने अपने कर कमलों से दीप प्रज्ज्वलित किया।
    (ग) अंक - राम के परीक्षा में अच्छे अंक आए हैं।
    बच्चा अपनी माँ की अंक में बैठा है।
    (घ) नग - हीरा एक कीमती नग है।
    हिमालय एक बड़ा नग है

    Question 27
    CBSEENHN10002641

    नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए−
    (क) 1. अँगीठी सुलगायी।
         2. उस पर चायदानी रखी।
    (ख) 1. चाय तैयार हुई।
          2. उसने वह प्यालों में भरी।
    (ग) 1. बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।
        2. तौलिये से बरतन साफ़ किए।

    Solution

    (क) अँगीठी सुलगायी और उस पर चायदानी रखी।
    (ख) चाय तैयार हुई और उसने वह प्यालों में भरी।
    (ग) बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया और उसने तौलिए से बरतन साफ़ किए।

    Question 28
    CBSEENHN10002642

    नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए−
    (क) 1. चाय पीने की यह एक विधि है।
         2. जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं।

    (ख) 1. बाहर बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था।
         2. उसमें पानी भरा हुआ था।

    (ग) 1. चाय तैयार हुई।
         2. उसने वह प्यालों में भरी।
         3. फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए।

     

    Solution

    (क) यह चाय पीने की एक विधि है जिसे जापानी चा-नो-यू कहते हैं।
    (ख) बाहर बेढब सा एक मिट्टी का बरतन था जिसमें पानी भरा हुआ था।
    (ग) जब चाय तैयार हुई तो उसने प्यालों में भरकर हमारे सामने रख दी।

    Question 29
    CBSEHIHN10002848

    'झेन की देन' पाठ में जापानी लोगों को मानसिक रोग होने के क्या-क्या कारण बताए गए हैं? आप इनसे कहाँ तक सहमत हैं? तर्क सहित लिखिए। 

    Solution

    लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के कारण बताए हैं कि मनुष्य चलता नहीं दौड़ता है,  बोलता नहीं   बकता है, एक महीने का काम  एक दिन में करना चाहता है ,दिमाग हजार गुना अधिक तेजी से दौड़ आता है| अतः तनाव बढ़ जाता है| मानसिक रोगों का प्रमुख कारण प्रतिस्पर्धा के कारण दिमाग का नियंत्रित रूप से कार्य न करना है |हम यह भी मानते हैं कि मानसिक रोग ज्यादा से ज्यादा तनाव पैदा करता है जिससे मस्तिष्क पर अत्यधिक तनाव ,अत्यधिक दुख या कष्ट उत्पन्न हो सकते हैं यह स्थिति मनुष्य को बीमार बना देती है| आज का मनुष्य संतोष भरा जीवन व्यतीत नहीं करते वह बस भागना चाहते हैं इस दौड़ में सबसे आगे निकलना चाहते हैं यही स्थिति है उन्हें मानसिक रोगी बना देती है इन सारे  कथनसे हम बिल्कुल सहमत हैं

     
    Question 30
    CBSEHIHN10002866

    ''हमें सत्य में जीना चाहिए, सत्य केवल वर्तमान है।'' 'पतझर में टूटी पत्तियाँ' के इस कथन को स्पष्ट करते हुए लिखिए कि लेखक ने ऐसा क्यों कहा है? 

    Solution

    लेखक के अनुसार असल में वर्तमान ही सत्य है| वही हमारे सामने है|  भूत भी चुका है, भविष्य आने वाला है |बीते समय में लौटा नहीं जा सकता| भविष्य में जाया नहीं जा सकता | अतः सामने घट रहा है| वही सत्य है एक समझदार मनुष्य  एक  समझदार मनुष्य को उसी में जीना चाहिए |इसी प्रकार हमें सरलतापूर्वक आगे बढ़ते हुए जीवन जीना चाहिए| लेखक कहता है कि प्राया लोग बीते दिनों की यादों में दुखी रहते हैं और भविष्य के  चिंताओं में   उलझे रहते हैं| इस तरह हम भूत या भविष्य के भंवर में घिरे रहते हैं। यदि ध्यान दिया जाए, तो बीते कल की यादें दुख देती हैं और आने वाले भविष्य की चिंता हमारे दुख को और भी बढ़ा देती है। इसलिए वर्तमान में जीने में ही लाभ है|

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