Vasant Bhag 3 Chapter 18 टोपी
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    NCERT Solution For Class 8 Hindi Vasant Bhag 3

    टोपी Here is the CBSE Hindi Chapter 18 for Class 8 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 8 Hindi टोपी Chapter 18 NCERT Solutions for Class 8 Hindi टोपी Chapter 18 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 8 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN8001243

    गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?

    Solution

    गवरइया व गवरा के बीच आदमी के कपड़े पहनने पर बहस हुई। गवरइया का कहना था कि आदमी कपड़े पहनकर जँचता है जबकि गवरा का कहना था कि आदमी कपड़े पहनकर अपनी कुदरती सुंदरता को ढक लेता है।
    गवरइया की इच्छा थी कि वह अपने सिर पर एक टोपी पहने। उसे अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर तब मिला जब उसे कूड़े के ढेर पर चुगते-चुगते रुई का एक फाहा मिला।

    Question 2
    CBSEENHN8001244

    गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।

    Solution

    गवरइया और गवरे की बहस तीन तर्कों पर हुई-
    1. आदमी के कपड़े पहनने पर।
    2. गवरइया द्वारा टोपी पहनने की इच्छा व्यक्त करने पर।
    3. गवरइया को रुई का फाहा मिलने पर।
    इन विचारों को संवादों में निम्न रूप से लिखा जा सकता है-
    गवरइया - आदमी रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर कितना जंचता है।
    गवरा - बेवकूफ है आदमी, कपड़े पहनकर अपनी सुंदरता को ढक लेता है।
    गवरइया - कपड़े मौसम से बचने हेतु भी पहने जाते हैं।
    गवरा - कपड़े पहन लेने से तो उनकी मौसम को सहने की शक्ति समाप्त हो जाती है। साथ ही कपड़ों से उनकी हैसियत भी झलकती है।
    गवरइया - आदमी की टोपी तो सबसे अच्छी होती है।
    गवरा - टोपी। टोपी की तो बहुत मुसीबतें हैं। कितने ही राजपाट टोपी के दम पर बदल जाते हैं। टोपी इज़्ज़त का प्रतीक है। साथ ही जीवन की जरूरतें पूरी करने हेतु न जाने कितनी टोपियाँ घुमानी पड़ती हैं अर्थात् न जाने कितनों को मूर्ख बनाना पड़ता है।(गवरइया का कोई प्रतिक्रिया किए बिना अपनी पुन पर अड़े रहना)
    गवरइया – गवरा! देखो मुझे रुई का फाह। मिल गया। अब मेरी टोपी बन जाएगी।
    गवरा - तू तो बावरी हो गई है। रुई से टोपी तक का सफर तो बहुत लंबा है।
    गवरइया - बस तुम तो देखते जाओ कैसे में टोपी बनवा कर ही दम लूँगी।

    Question 3
    CBSEENHN8001245

    टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें।

    Solution
    गवरइया को कूड़े के ढेर पर चुगते-चुगते कई का एक फाहा मिल गया। उसे लगा कि अब वह अपनी टोपी पहनने की इच्छा पूरी कर सकेगी। सबसे पहले वह धुनिए के पास गई। उसने रुई को धुनवाया, इसके बाद वह कोरी के पास सूत कतवाने गई। सूत कत जाने पर वह बुनकर को खोजने लगी। बुनकर के मिलने पर उसने बहुत सुंदर कपड़ा बुनवाया फिर गई वह दर्जी के पास। दर्जी से प्रार्थना करने पर गवरइया की फुँदने वाली सुंदर टोपी तैयार हो गई। इन सबके कार्यों के लिए गवरइया ने सही पारिश्रमिक भी दिया।
    Question 4
    CBSEENHN8001246

    गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुँदने क्यों जड़ दिए?

    Solution
    जब गवरइया ने दर्जी को यह कहा कि वह उस कपड़े की दो टोपियाँ सिल ले। एक टोपी मजूरी के रूप में अपने लिए रख ले। इस प्रकार के पारिश्रमिक से खुश होकर दर्जी ने गवरइया की टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए।
    Question 5
    CBSEENHN8001247

    किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी? ज्ञात कीजिए और लिखिए।

    Solution
    एक मज़दूर था जो मकान बनाने का काम करता था। उसके मालिक ने एक दिन उसके द्वारा थोड़ा-सा सही कार्य न करने पर पूरे दिन की मज़दूरी काट ली, जबकि उसे सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मिलते थे। उस दिन वह बेचारा बहुत परेशान था। वह मेरे घर के पास ही रहता था। इसलिए उसके रोते बच्चे को देखकर मैं पूछ ही बैठा कि बच्चा इतना क्यों रो रहा है? उसने मुझे बात बताई और कहा कि आज उसे मजदूरी नहीं मिली। घर में खाना खाने को पैसे नहीं। में तो ताजा कमाता हूँ और ताजा ही खाता हूँ। में अब कहाँ से कुछ खाने को लाऊँ वह बेचारा अपने-आप में पछतावा कर रहा था। उसकी आँखें आँसुओं से भरी थीं। ऐसे में वह मालिक को भी भला-बुरा कह रहा था। लेकिन वह लाचार था क्योंकि अगले दिन फिर उसे वहीं काम करने जाना था।
    Question 6
    CBSEENHN8001248

    गवरइया की इच्छा पूर्ति का क्रम घूरे पर रुई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमश: एक-एक कर कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य-विवरण तैयार कीजिए।

    Solution
    मुझे एक छोटा-सा सुंदर मोती मिला। मन में इच्छा जागृत हुई कि सुंदर रुमाल हो उस पर में यह मोती टाँक लूँ। मैं एक कपड़े वाले बजाज के पास गया उससे थोड़ा कपड़ा माँगा उसने मुझे बचे कपड़ों में से बिना दाम के ही दे दिया। फिर में एक दर्जी के पास गया उसे अपनी दिनभर की मिली दस रुपए की खर्ची में से दो रुपए देने तय हुए और उसने कपड़े को रुमाल के रूप में काटकर सिल दिया। फिर मैंने ढूँढा मोती टाँकने वाले को, उसने एक रुपए पचास पैसे में मेरा सुंदर मोती रुमाल पर टाँक दिया। फिर मैंने रुमाल को राजाना भी चाहा, मैं मनियारे वाले के पास गया और दो रुपए की सुंदर लैस खरीदी। फिर से मुझे दर्जी के पास जाना पड़ा उसने दो रुपए और लिए और उस रुमाल पर सुंदर लैस लगा दी। मेरा रुमाल खिल उठा। मेरी प्रसन्नता का ठिकाना न था। मेरे सात रुपए पचास पैसे तो लग गए लेकिन रुमाल बहुत सुंदर बना।
    Question 7
    CBSEENHN8001249

    गवरइया के स्वभाव से यह प्रमाणित होता है कि कार्य की सफलता के लिए उत्साह आवश्यक है। सफलता के लिए उत्साह की आवश्यकता क्यों पड़ती है, तर्क सहित लिखिए।

    Solution

    इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता कि गवरइया का उत्साह ही था कि वह एक के बाद एक धुनिए, कोरी, बुनकर व दर्जी के पास जाकर अपनी टोपी सिलवाने में कामयाब हो गई जबकि गवरे को यह विश्वास न था कि वह टोपी बनवा लेगी। उसका उत्साह ही उसे सफलता की ओर ले गया।
    हम भी यदि किसी कार्य को उत्साह के साथ पूरा करना चाहें तो सफलता अवश्य प्राप्त करेंगे। चाह के साथ उत्साह ही मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

    Question 8
    CBSEENHN8001250

    टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने क्याें पहुँची जबकि उसकी बहस गवरा से हुई और वह गवरा के मुँह से अपनी बड़ाई सुन चुकी थी। लेकिन राजा से उसकी कोई बहस हुई ही नहीं थी। फिर भी वह राजा की चुनौती देने को पहुँची। कारण का अनुमान लगाइए।

    Solution

    टोपी पहनकर गवरइया राजा को दिखाने पहुँची क्योंकि वह राजा को यह अहसास दिलवाना चाहती थी कि यदि वह अपनी प्रजा से कोई भी काम करवाता है तो उसे उस कार्य की पूरी मजूरी देनी चाहिए। मुफ़्त में काम करवाने से बेचारे मज़दूर अपना खर्च कैसे चलाएँगे। ऐसा अहसास गवरइया को तब हुआ जब वह अपनी टोपी बनवाने के लिए धुनिए, कोरी, बुनकर व दरजी के पास गई थी। उसने यह समझ लिया था कि राजा अपने काम करवाता है लेकिन पारिश्रमिक किसी की नहीं देता। इसी कारण वे सब अच्छा और उम्दा काम भी नहीं करते क्योंकि उनके मन में उत्साह ही नहीं होता कि काम पूरा करके पैसे मिलेंगे। काम उनके लिए बोझ के समान था।
    इसी कारण गवरइया ने राजा को चुनौती देकर उसकी गलती का उसे अहसास करवाना चाहा।

    Question 9
    CBSEENHN8001251

    यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवरइया के साथ उन कारीगरों का व्यवहार कैसा होता?

    Solution
    यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने-अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तो शायद वे गवरइया से पारिश्रमिक की चाह ही न रखते। खुशी-खुशी मुफ्त में ही उसकी टोपी बना देते।
    Question 11
    CBSEENHN8001253
    Question 12
    CBSEENHN8001254

    मुहावरों के प्रयोग से भाषा आकर्षक बनती है। मुहावरे वाक्य के अंग होकर प्रयुक्त होते हैं। इनका अक्षरश: अर्थ नहीं बल्कि लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है। पाठ में अनेक मुहावरे आए हैं। टोपी को लेकर तीन मुहावरे हैं; जैसे-कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। शेष मुहावरों को खोजिए और उनका अर्थ ज्ञात करने का प्रयास कीजिए।

    Solution

    कितनों को टोपी पहनाना-अपने कार्य को करने हेतु बहुतों को मूर्ख बनाना।
    टोपी के लिए कितनों का टाट उलटना - इज़्ज़त बचाने हेतु कई राजपाट बदल जाना। सत्ता प्राप्त करने हेतु राजपाट बदलना।
    टोपी उछालना-बेइज़्ज़ती करना।
    टोपी सलामत रहना-इज़्ज़त बनी रहना।

    Question 13
    CBSEENHN8001255

    गवरा और गवरइया परम-संगी रथे-कैसे?

    Solution
    गवरा और गवरइया परम-संगी थे क्योंकि दोनों सदा साथ-साथ रहते; जहाँ जाते साथ जाते, साथ हँसते, साथ रोते, एक साथ खाते-पीते, एक साथ सोते; साथ ही चुगने जाते और सारा दिन के देखे सुने की हिस्सेदारी बँटाते।
    Question 14
    CBSEENHN8001256

    गवरइया ने गवरा को आदमी के बारे में क्या कहा?

    Solution
    गवरइया ने गवरा को कहा कि आदमी को देखो, रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर कितना जँचता है।
    Question 15
    CBSEENHN8001257

    गवरा ने आदमी के कपड़े पहनने को गलत क्यों ठहराया?

    Solution
    गवरा ने आदमी के कपड़े पहनने को गलत ठहराया क्योंकि उसका मानना था कि कपड़े पहनने से आदमी की वास्तविक सुंदरता ढक जाती है।
    Question 16
    CBSEENHN8001258

    गवरइया की टोपी कैसे बनी?

    Solution
    गवरइया को कूड़े के ढेर पर से चुगते-चुगते एक रुई का फाहा मिल गया। वह उसे लेकर धुनिए के पास गई। उसे धुनवाकर, वह गई कोरी के पास सूत कतवाने। जब सूत कत गया तो बुनकर की तलाश कर उसने सुंदर कपड़ा बुनवाया। कपड़ा बुनकर तैयार हुआ तो उसने दरज़ी से टोपी बनवाई। दरज़ी ने भी उसकी टोपी में सुंदर फुँदन टाँककर लाज़वाब टोपी बनाई।
    Question 17
    CBSEENHN8001259

    गवरइया के टोपी बनाने हेतु धुनिए, कोरी, बुनकर दरज़ी को क्या मज़बूरी दी?

    Solution
    गवरइया ने टोपी बनवाने हेतु धुनिए को आधी रुई, कोरी को आधा सूत, बुनकर को आधा कपड़ा व दरज़ी की एक टोपी का कपड़ा दिया। इसलिए सभी ने सुंदर कार्य किया। सभी गवरइया से अत्यधिक प्रसन्न थे।

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    Question 18
    CBSEENHN8001260

    टोपी पहनते ही गवरइया के मन में क्या इच्छा जागी?

    Solution
    टोपी पहनते ही उसके मन में इच्छा जागी कि वह एक बार देश के राजा का जायजा लेकर आए जिसके लिए सभी इतने काम करते हैं।
    Question 19
    CBSEENHN8001261

    राजा को शर्म महसूस क्यों हुई?

    Solution
    राजा को चिढ़ाने के लिए गौरैया निरंतर चिल्ला रही थी कि मेरी टोपी पर फुँदने राजा की टोपी पर नहीं तो राजा को अपनी टोपी कम खूबसूरत लगने लगी। दूसरी ओर एक छोटी-सी गौरैया द्वारा मुल्क के राजा का अपमान सुनकर राजा को शर्म महसूस होने लगी।
    Question 20
    CBSEENHN8001262

    राजा के सामने अच्छी टोपी बनने का क्या कारण सामने आया?

    Solution
    राजा के सामने अच्छी टोपी बनने का यह कारण सामने आया कि रुई बढ़िया धूनी थी, सूत अच्छा कता था, कपड़ा बढ़िया चुना था और दर्जी ने दिल से काम किया था। ऐसा सब इसलिए हुआ था कि गवरइया ने सबको अच्छा पारिश्रमिक दिया था।
    Question 21
    CBSEENHN8001263

    धुनिए ने स्पष्ट शब्दों में राजा से क्या कहा?

    Solution
    धुनिए ने डरते हुए स्पष्ट शब्दों में राजा को कहा कि यह गौरैया ने जो भी काम, जिससे भी करवाया उसे पूरी मजदूरी दी। उसने यह भी कहा कि जो सब कुछ दे सकता है, वह कुछ भी नहीं देता। इस वक्तव्य में उसका इशारा राजा की ओर था।
    Question 22
    CBSEENHN8001264

    गौरैया ने राजा की किस पोल को खोल दिया?

    Solution
    गौरैया ने राजा की इस पोल को खोल दिया कि राज खजाने का धन कम हो रहा है।
    Question 23
    CBSEENHN8001265

    यह कहानी क्या संदेश देती है?

    Solution
    यह कहानी संदेश देती है कि मज़दूर वर्ग अभावों में जीवन व्यतीत करता है। उच्च-अधिकारियों को आदेश देकर उनसे कार्य नहीं करवाने चाहिए बल्कि उनके कार्यों का पूरा पारिश्रमिक देना चाहिए।
    Question 24
    CBSEENHN8001266

    यह कहानी किस प्रमति की ओर संकेत करती है?

    Solution
    यह कहानी शोषक व शोषण की प्रमति की ओर संकेत करती है। इसमें शव, शोषक व धुनिया, कोरी, बुनरक और दरज़ी शोषित के रूप में दिखाई पड़ते हैं।
    Question 31
    CBSEENHN8001273

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “कपड़े पहन लेने के बाद आदमी की कुदरती खूबसूरती ढँक जो जाती है।” गवरा बोला. “अब तू ही सोच! अभी तो तेरी सुघड़ काया का एक-एक कटाव मेरे सामने है, रोंवें-रोवें की रंगत मेरी आँखों में चमक रही है। अब अगर तू मानुस की तरह खुद को सरापा ढँक ले तो तेरी सारी खूबसूरती ओझल हो जाएगी कि नहीं?” 

    ‘कपड़े पहनकर आदमी की कुदरती खूबसूरती ढक जाती है’ ऐसा गवरे ने क्या कहा?
    • जब वह आदमी द्वारा कपड़े पहनने को अच्छा कह रही थी।
    • जब वह कपड़े लेने की जिद कर रही थी।
    • जब उसे कपड़े अच्छे लगने लगे थे।
    • जब उसने गवरा को कपड़े पहनने के लिए मजबूर किया?

    Solution

    A.

    जब वह आदमी द्वारा कपड़े पहनने को अच्छा कह रही थी।
    Question 32
    CBSEENHN8001274

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “कपड़े पहन लेने के बाद आदमी की कुदरती खूबसूरती ढँक जो जाती है।” गवरा बोला. “अब तू ही सोच! अभी तो तेरी सुघड़ काया का एक-एक कटाव मेरे सामने है, रोंवें-रोवें की रंगत मेरी आँखों में चमक रही है। अब अगर तू मानुस की तरह खुद को सरापा ढँक ले तो तेरी सारी खूबसूरती ओझल हो जाएगी कि नहीं?” 

    गवरा ने गवरइया की सुदंरता का वर्णन कैसे किया?
    • बिना वस्त्रों के ही वह सुंदर लगती है।
    • बिना वस्त्रों के उसकी काया का एक-एक कटाव साफ नजर आता है।
    • ईश्वर ने पंखों के रूप में इतने सुंदर वस्त्र हमें प्रदान किए हैं।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    B.

    बिना वस्त्रों के उसकी काया का एक-एक कटाव साफ नजर आता है।
    Question 36
    CBSEENHN8001278
    Question 38
    CBSEENHN8001280

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    ”तू समझती नहीं।” गवरा हँसकर बोला, “कपड़े पहन-पहनकर जाड़ा-गरमी-बरसात सहने की उनकी सकत भी जाती रही है। ... और इस कपड़े में बड़ा लफड़ा भी है। कपड़ा पहनते ही पहननेवाले की औकात पता चल जाती हैं ... आदमी-आदमी की हैसियत में भेद पैदा हो जाता है।” 

    क्या गवरा अपने विचार में सही है?
    • गवरा गलत था क्योकि कपड़े पहनना मनुष्य का मात्र शौक है?
    • गवरा पूर्णतया सही है कि कपड़े पहनने से उनकी मौसम को सहने की शक्ति समाप्त होती है और औकात पता चलती है।
    • गवरा गलत है क्योंकि कपड़े पहनने से आदमी सुंदर लगता है।
    • गवरा गलत है क्योंकि कपड़े मनुष्य को पहनने ही चाहिए।

    Solution

    B.

    गवरा पूर्णतया सही है कि कपड़े पहनने से उनकी मौसम को सहने की शक्ति समाप्त होती है और औकात पता चलती है।

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    Question 42
    CBSEENHN8001284

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “टोपी तो आदमियों का राजा पहनता है। जानती है, एक टोपी के लिए कितनों का टाट उलट जाता है। जरा-सी चूक हुई नहीं कि टोपी उछलते देर नहीं लगती। अपनी टोपी सलामत रहे, इसी फिकर में कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। ... मेरी मान तो तू इस चक्कर में पड़ ही मत।”

    टोपी के बारे में क्या-क्या कहा गया?
    • टोपी सत्ता का प्रतीक है इससे राजपाट बदल जाते हैं।
    • जरा सी गलती होने पर ये टोपी उछल जाती है अर्थात् बेइज़्ज़ती हो जाती है।
    • टोपी सलामत रहने से परत बनी रहती है और अपनी बात पूरी करने हेतु कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है अर्थात् मूर्ख बनाना पड़ता है।
    • दिए गए सभी।

    Solution

    D.

    दिए गए सभी।
    Question 44
    CBSEENHN8001286

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “टोपी तो आदमियों का राजा पहनता है। जानती है, एक टोपी के लिए कितनों का टाट उलट जाता है। जरा-सी चूक हुई नहीं कि टोपी उछलते देर नहीं लगती। अपनी टोपी सलामत रहे, इसी फिकर में कितनों को टोपी पहनानी पड़ती है। ... मेरी मान तो तू इस चक्कर में पड़ ही मत।”

    गवरा गवरइया की टोपी पहनने की इच्छा को क्यों नकारता है?

    • क्योंकि यह जिस हाल में है उसी हाल में खुश रहना चाहता है।
    • उसे गवरइया वैसे ही अच्छी लगती है वह नहीं चाहता कि वह अपने में परिवर्तन लाए।
    • वह नवीन विचारधारा को नहीं अपनाना चाहता।
    • उसे मनुष्य के रहन-सहन का तरीका पसंद नहीं।

    Solution

    B.

    उसे गवरइया वैसे ही अच्छी लगती है वह नहीं चाहता कि वह अपने में परिवर्तन लाए।
    Question 47
    CBSEENHN8001289
    Question 48
    CBSEENHN8001290

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    धुनिया बेचारा बूढ़ा था। जाड़े का मौसम था। उसके तन पर वर्षों पुरानी तार-तार हो चुकी एक मिर्जई पड़ी हुई थी। वह काँपते हुए बोला, “तू जाती है कि नहीं! देखती नहीं, अभी मुझे राजा जी के लिए रजाई बनानी है। एक तो यहां का राजा ऐसा है जो चाम का दाम चलाता है। ऊपर से तू आ गई फोकट की रुई धुनवाने।” 

    धुनिया ने राजा के लिए क्या कहा?
    • वह तो केवल मजदूरी करवाता है पर उसके बदले में कुछ नहीं देता।
    • राजा ने सबका जीना मुश्किल किया है।
    • राजा के सिवा वह किसी का काम नहीं कर सकता।
    • राजा बहुत दयालु है।

    Solution

    A.

    वह तो केवल मजदूरी करवाता है पर उसके बदले में कुछ नहीं देता।
    Question 53
    CBSEENHN8001295

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    बुनकर इन्हें अगबग होकर देखने लगा, “हटते हो कि नहीं यहाँ से! देखते नहीं, अभी मुझे राजा जी के लिए बागा बुनना है। अभी थोड़ी देर बाद ही राजा जी के कारिंदे हाजिर हो जाएँगे। साव करे भाव तो चबाव करे चाकर।” इतना कहकर बुनकर अपने काम में मशगूल हो गया।

    ‘साव करे भाव तो चबाव करे चाकर’-इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
    • राजा भाव बनाता है बाकी सब वस्तुएं खरीदते हैं।
    • अधिकारी आदेश देता है काम तो सेवकों को करना पड़ता है।
    • राजा सबको नौकर बनाकर रखता है।
    • राजा के समक्ष किसी की नहीं चलती।

    Solution

    B.

    अधिकारी आदेश देता है काम तो सेवकों को करना पड़ता है।
    Question 55
    CBSEENHN8001297

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मूजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सूई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फुँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगों पर ही लगी नाचने. फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने, “देख मेरी टोपी सबसे निराली ... पाँच फुँदनेवाली।”

    कौन किससे कह रहा है?

    • लेखक कहानी को बढ़ाने हेतु 
    • लेखक कहानी को प्रवाह देने हेतु
    • लेखक स्वयं से
    • लेखक गवरइया से

    Solution

    B.

    लेखक कहानी को प्रवाह देने हेतु
    Question 57
    CBSEENHN8001299

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मूजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सूई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फुँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगों पर ही लगी नाचने. फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने, “देख मेरी टोपी सबसे निराली ... पाँच फुँदनेवाली।”

    दो टोपियाँ क्यों बनीं?
    • एक गवरइया की, दूसरी दर्जी की मजूरी की।
    • एक गवरइया की, दूसरी राजा के लिए
    • एक गवरइया की, एक गवरे की
    • दोनों गवरइया के लिए।

    Solution

    A.

    एक गवरइया की, दूसरी दर्जी की मजूरी की।
    Question 58
    CBSEENHN8001300

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मूजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सूई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फुँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगों पर ही लगी नाचने. फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने, “देख मेरी टोपी सबसे निराली ... पाँच फुँदनेवाली।”

    दर्जी ने कैसी टोपी बनाई?
    • पाँच फुँदनों वाली
    • चार फुँदनों वाली
    • तीन फुँदनों वाली 
    • दो फुँदनों वाली

    Solution

    A.

    पाँच फुँदनों वाली
    Question 59
    CBSEENHN8001301

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    मुँहमाँगी मजूरी पर कौन मूजी तैयार न होता। ‘कच्च-कच्च’ उसकी कैंची चल उठी और चूहे की तरह ‘सर्र-सर्र’ उसकी सूई कपड़े के भीतर-बाहर होने लगी। बड़े मनोयोग से उसने दो टोपियाँ सिल दीं। खुश होकर दर्जी ने अपनी ओर से एक टोपी पर पाँच फुँदने भी जड़ दिए। फुँदनेवाली टोपी पहनकर तो गवरइया जैसे आपे में न रही। डेढ़ टाँगों पर ही लगी नाचने. फुदक-फुदककर लगी गवरा को दिखाने, “देख मेरी टोपी सबसे निराली ... पाँच फुँदनेवाली।”

    टोपी पहनकर गवरइया की क्या प्रतिक्रिया थी?
    • वह बहुत प्रसन्न थी, डेढ़ टाँग पर नाचने लगी, गवरइया को दिखाते हुए कह रही थी मेरी टोपी पाँच फुँदनों वाली।
    • वह अपना मुकाबला राजा से करने लगी।
    • वह गवरइया को चिढ़ा रही थी।
    • वह अपनी चाहत के पूरा होने पर स्वयं ही हैरान थी।

    Solution

    A.

    वह बहुत प्रसन्न थी, डेढ़ टाँग पर नाचने लगी, गवरइया को दिखाते हुए कह रही थी मेरी टोपी पाँच फुँदनों वाली।
    Question 60
    CBSEENHN8001302

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    एक सिपाही ने गुलेल मारकर गवरइया की टोपी नीचे गिरा दी. तो दूसरे सिपाही ने झट वह टोपी लपक ली और राजा के सामने पेश कर दिया। राजा टोपी को पैरों से मसलने ही जा रहा था कि उसकी खूबसूरती देखकर दंग रह गया। कारीगरी के इस नायाब नमूने को देखकर वह जड़ हो गया-”मेरे राज में मेरे सिवा इतनी खूबसूरत टोपी दूसरे के पास कैसे पहुँची!” सोचते हुए राजा उसे उलट-पुलटकर देखने लगा। 

    सिपाही ने गवरइया की टोपी क्यों गिराई?
    • क्योंकि वह टोपी पहनकर राजा को चिढ़ा रही थी।
    • क्योंकि उसकी टोपी राजा की टोपी से सुंदर थी।
    • क्योंकि सिपाही को गवरइया के टोपी पहनने पर हैरानी थी।
    • केवल मन बहलाने हेतु

    Solution

    A.

    क्योंकि वह टोपी पहनकर राजा को चिढ़ा रही थी।
    Question 62
    CBSEENHN8001304

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    एक सिपाही ने गुलेल मारकर गवरइया की टोपी नीचे गिरा दी. तो दूसरे सिपाही ने झट वह टोपी लपक ली और राजा के सामने पेश कर दिया। राजा टोपी को पैरों से मसलने ही जा रहा था कि उसकी खूबसूरती देखकर दंग रह गया। कारीगरी के इस नायाब नमूने को देखकर वह जड़ हो गया-”मेरे राज में मेरे सिवा इतनी खूबसूरत टोपी दूसरे के पास कैसे पहुँची!” सोचते हुए राजा उसे उलट-पुलटकर देखने लगा। 

    राजा दंग क्यों रह गया?
    • अपनी टोपी से ज्यादा सुंदर टोपी देखकर 
    • गवरइया के जेपी पहनने पर
    • टोपी की सुंदरता देखकर
    • टोपी के फुँदने देखकर।

    Solution

    A.

    अपनी टोपी से ज्यादा सुंदर टोपी देखकर 
    Question 63
    CBSEENHN8001305

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    एक सिपाही ने गुलेल मारकर गवरइया की टोपी नीचे गिरा दी. तो दूसरे सिपाही ने झट वह टोपी लपक ली और राजा के सामने पेश कर दिया। राजा टोपी को पैरों से मसलने ही जा रहा था कि उसकी खूबसूरती देखकर दंग रह गया। कारीगरी के इस नायाब नमूने को देखकर वह जड़ हो गया-”मेरे राज में मेरे सिवा इतनी खूबसूरत टोपी दूसरे के पास कैसे पहुँची!” सोचते हुए राजा उसे उलट-पुलटकर देखने लगा। 

    राजा ने टोपी देखकर क्या कहा?
    • यह टोपी मेरे कक्ष में रख दो।
    • गवरइया से टोपी छीन लो।
    • मेरे राज्य में मेरे सिवा इतनी खूबसूरत टोपी दूसरे के पास कैसे पहुँची।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    C.

    मेरे राज्य में मेरे सिवा इतनी खूबसूरत टोपी दूसरे के पास कैसे पहुँची।
    Question 65
    CBSEENHN8001307

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “इस गवरइया ने जो भी काम करवाया उसमें आधा हिस्सा दे देती थी। जिसके पास बहुत कुछ है, वह कुछ भी नहीं देता। इसके पास कुछ भी नहीं था फिर भी यह आधा दे देती थी। इसीलिए इसके काम में अपने-आप नफासत आती गई. सरकार।” धुनिया दंडवत पर दंडवत किए जा रहा था।
    “देख ले-देख ले, राजा! ... आँख में अँगुली डालकर देख ले। इसके लिए पूरे मोल चुकाए हैं। बेगार की नहीं है यह।”  गवरइया फिर चिल्लाने लगी. ‘‘यह राजा तो कंगाल है। निरा कंगाल। इसका धन घट गया लगता है। इसे टोपी तक नहीं जुरती ... तभी तो इसने मेरी टोपी छीन ली।”

    धुनिया ने राजा को गवरइया की मजूरी के बारे में क्या बताया?

    • गवरइया ने मुँहमाँगी मजूरी दी।
    • गवरइया ने पाँच आने दिए।
    • गवरइया ने आधी रूई मजूरी में दी।
    • गवरइया ने प्रेम से काम करवाया था।

    Solution

    C.

    गवरइया ने आधी रूई मजूरी में दी।
    Question 66
    CBSEENHN8001308

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “इस गवरइया ने जो भी काम करवाया उसमें आधा हिस्सा दे देती थी। जिसके पास बहुत कुछ है, वह कुछ भी नहीं देता। इसके पास कुछ भी नहीं था फिर भी यह आधा दे देती थी। इसीलिए इसके काम में अपने-आप नफासत आती गई. सरकार।” धुनिया दंडवत पर दंडवत किए जा रहा था।
    “देख ले-देख ले, राजा! ... आँख में अँगुली डालकर देख ले। इसके लिए पूरे मोल चुकाए हैं। बेगार की नहीं है यह।”  गवरइया फिर चिल्लाने लगी. ‘‘यह राजा तो कंगाल है। निरा कंगाल। इसका धन घट गया लगता है। इसे टोपी तक नहीं जुरती ... तभी तो इसने मेरी टोपी छीन ली।”

    ‘जिसके पास बहुत कुछ है वह कुछ नहीं देता’-ऐसा धुनिया ने क्यों कहा?

    • क्योंकि राजा काम करवाने की मजूरी नहीं देता था।
    • क्योंकि राजा कम मजूरी देता था।
    • क्योंकि राजा प्रेम से काम नहीं करवाता था।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    A.

    क्योंकि राजा काम करवाने की मजूरी नहीं देता था।
    Question 67
    CBSEENHN8001309

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “इस गवरइया ने जो भी काम करवाया उसमें आधा हिस्सा दे देती थी। जिसके पास बहुत कुछ है, वह कुछ भी नहीं देता। इसके पास कुछ भी नहीं था फिर भी यह आधा दे देती थी। इसीलिए इसके काम में अपने-आप नफासत आती गई. सरकार।” धुनिया दंडवत पर दंडवत किए जा रहा था।
    “देख ले-देख ले, राजा! ... आँख में अँगुली डालकर देख ले। इसके लिए पूरे मोल चुकाए हैं। बेगार की नहीं है यह।”  गवरइया फिर चिल्लाने लगी. ‘‘यह राजा तो कंगाल है। निरा कंगाल। इसका धन घट गया लगता है। इसे टोपी तक नहीं जुरती ... तभी तो इसने मेरी टोपी छीन ली।”

    धुनिया  बार-बार दडंवत क्यों कर रहा था?
    • उसे डर था कि राजा उससे सदा मुमुफ्ताम न करवाए।
    • उसे डर था कि उसे देश निकाला न दे दिया जाए।
    • उसे डर था कि राजा उसे दंडित न करे।
    • उसे डर था कि कही उसे अपना काम ही बंद न करना पड़े

    Solution

    C.

    उसे डर था कि राजा उसे दंडित न करे।
    Question 68
    CBSEENHN8001310

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “इस गवरइया ने जो भी काम करवाया उसमें आधा हिस्सा दे देती थी। जिसके पास बहुत कुछ है, वह कुछ भी नहीं देता। इसके पास कुछ भी नहीं था फिर भी यह आधा दे देती थी। इसीलिए इसके काम में अपने-आप नफासत आती गई. सरकार।” धुनिया दंडवत पर दंडवत किए जा रहा था।
    “देख ले-देख ले, राजा! ... आँख में अँगुली डालकर देख ले। इसके लिए पूरे मोल चुकाए हैं। बेगार की नहीं है यह।”  गवरइया फिर चिल्लाने लगी. ‘‘यह राजा तो कंगाल है। निरा कंगाल। इसका धन घट गया लगता है। इसे टोपी तक नहीं जुरती ... तभी तो इसने मेरी टोपी छीन ली।”

    गवरइया ने राजा को क्या उलाहना दिया?
    • गवरइया ने राजा को कहा कि मजूरी देना सीखे।
    • गवरइया ने कहा कि मैं तुम्हारी तरह कोई काम बेगार में नहीं करवाती।
    • गवरइया ने कहा राजा कंजूस है।
    • कि राजा से एक टोपी तक नहीं बनवाई जाती इसीलिए तो मेरी टोपी छीन ली। यह राजा तो कंगाल है।

    Solution

    D.

    कि राजा से एक टोपी तक नहीं बनवाई जाती इसीलिए तो मेरी टोपी छीन ली। यह राजा तो कंगाल है।
    Question 69
    CBSEENHN8001311

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    “इस गवरइया ने जो भी काम करवाया उसमें आधा हिस्सा दे देती थी। जिसके पास बहुत कुछ है, वह कुछ भी नहीं देता। इसके पास कुछ भी नहीं था फिर भी यह आधा दे देती थी। इसीलिए इसके काम में अपने-आप नफासत आती गई. सरकार।” धुनिया दंडवत पर दंडवत किए जा रहा था।
    “देख ले-देख ले, राजा! ... आँख में अँगुली डालकर देख ले। इसके लिए पूरे मोल चुकाए हैं। बेगार की नहीं है यह।”  गवरइया फिर चिल्लाने लगी. ‘‘यह राजा तो कंगाल है। निरा कंगाल। इसका धन घट गया लगता है। इसे टोपी तक नहीं जुरती ... तभी तो इसने मेरी टोपी छीन ली।”

    गवरया और धुनिया राजा को क्या अहसास दिलाना चाहते थे।
    • कि राजा कंजूस न बने।
    • कि राजा को सभी काम करने वालों को मजूरी देनी चाहिए।
    • कि राजा को दूसरों की अंहमियत समझनी चाहिए।
    • कि राजा को बजाय मुफ्त में काम करवाने के लोगों की सहायता करनी चाहिए।

    Solution

    B.

    कि राजा को सभी काम करने वालों को मजूरी देनी चाहिए।
    Question 71
    CBSEENHN8001313

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    'राजा ताे वाकई अकबका गया था। एक तो तमाम कारीगरों ने उसकी मदद की थी। दूसरे, इस टोपी के सामने अपनी टोपी की कमसूरती। तीसरे, खजाने की खुलती पोल। इस पाखी को कैसे पता चला कि धन घट गया है? तमाम बेगार करवाने, बहुत सख्ती से लगान वसूलने के बावजूद राजा का खजाना खाली ही रहता था। इतना ऐशोआसम, इतनी लशकरी, इतने लवाजिमे का बोझ खजाना संभाले भी तो कैसे!'

    राजा क्यों अकबका गया?
    • गवरइया ने कैसे कह दिया कि धन घट रहा है।
    • गवरइया की मुझे कंजूस कहने की हिम्मत कैसे हुई?
    • गवरइया ने सभी कारीगरों को अपने हक में कैसे कर लिया।
    • सभी कारीगर गवरइया से खुश कैसे हैं और गवरइया को कैसे पता चला कि स्राज्या धन बट रहा है।

    Solution

    D.

    सभी कारीगर गवरइया से खुश कैसे हैं और गवरइया को कैसे पता चला कि स्राज्या धन बट रहा है।
    Question 72
    CBSEENHN8001314

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    'राजा ताे वाकई अकबका गया था। एक तो तमाम कारीगरों ने उसकी मदद की थी। दूसरे, इस टोपी के सामने अपनी टोपी की कमसूरती। तीसरे, खजाने की खुलती पोल। इस पाखी को कैसे पता चला कि धन घट गया है? तमाम बेगार करवाने, बहुत सख्ती से लगान वसूलने के बावजूद राजा का खजाना खाली ही रहता था। इतना ऐशोआसम, इतनी लशकरी, इतने लवाजिमे का बोझ खजाना संभाले भी तो कैसे!'

    राजा अदंर ही अदंर क्यों परेशान था?
    • क्योंकि मुफ्त में काम करवाने व सख्ती से कर वसूलने पर भी खजाना खाली था।
    • एक गवरइया द्वारा अपनी बेइज्जती होने पर।
    • अपनी टोपी सुंदर न होने पर।
    • इनमें से कोई नहीं।

    Solution

    A.

    क्योंकि मुफ्त में काम करवाने व सख्ती से कर वसूलने पर भी खजाना खाली था।
    Question 73
    CBSEENHN8001315

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    'राजा ताे वाकई अकबका गया था। एक तो तमाम कारीगरों ने उसकी मदद की थी। दूसरे, इस टोपी के सामने अपनी टोपी की कमसूरती। तीसरे, खजाने की खुलती पोल। इस पाखी को कैसे पता चला कि धन घट गया है? तमाम बेगार करवाने, बहुत सख्ती से लगान वसूलने के बावजूद राजा का खजाना खाली ही रहता था। इतना ऐशोआसम, इतनी लशकरी, इतने लवाजिमे का बोझ खजाना संभाले भी तो कैसे!'

    उसे किस बात की चिंता थी?
    • अपना प्रभुत्व कैसे कायम करेगा?
    • गवरइया को नीचा कैसे दिखाएगा?
    • इतने ऐशोआराम, इतनी लश्करी, इतने लवाज़िमे का बोझ खजाना कैसे संभालेगा?
    • अब मुफ़्त में काम कैसे करवाएगा?

    Solution

    C.

    इतने ऐशोआराम, इतनी लश्करी, इतने लवाज़िमे का बोझ खजाना कैसे संभालेगा?
    Question 74
    CBSEENHN8001316

    नीचे लिखे गद्यांश को पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
    'राजा ताे वाकई अकबका गया था। एक तो तमाम कारीगरों ने उसकी मदद की थी। दूसरे, इस टोपी के सामने अपनी टोपी की कमसूरती। तीसरे, खजाने की खुलती पोल। इस पाखी को कैसे पता चला कि धन घट गया है? तमाम बेगार करवाने, बहुत सख्ती से लगान वसूलने के बावजूद राजा का खजाना खाली ही रहता था। इतना ऐशोआसम, इतनी लशकरी, इतने लवाजिमे का बोझ खजाना संभाले भी तो कैसे!'

    राजा की हालत कैसी हो गई?
    • राजा की हालत ‘काटी तो खून नहीं’ वाली हो गई।
    • राजा की परेशानी का अंत न था।
    • राजा इतना निढाल हो गया कि कुछ बोल ही न पाया।
    • अपने सिपाहियों के समक्ष शर्मिंदा हो गया।

    Solution

    A.

    राजा की हालत ‘काटी तो खून नहीं’ वाली हो गई।

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