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अगर आपको भारत का राष्टपति चुना जाए तो आप निम्नलिखित में से कोन-सा फ़ैसला खुद कर सकते हैं?
अपनी पसंद के व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं।
लोकसभा में बहुमत वाले प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकते हैं।
दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं ।
मंत्रिपरिषद् में अपनी पसंद के नेताओं का चयन कर सकते हैं।
C.
दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं ।
न्यायपालिका के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा बयान गलत है?
संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की ज़रूरत होती है।
अगर कोई कानून संविधान की भावना के ख़िलाफ़ है तो न्यायपालिका उसे अमान्य घोषित कर सकती है।
न्यायपालिका कार्यपालिका में स्वतंत्र होती है।
अगर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन होता है तो वह अदालत में जा सकता है।
A.
संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की ज़रूरत होती है।
उस मंत्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार ज़ारी किया होगा:
A. देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है। | (i) रक्षा मंत्रालय |
B. ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएँ सुलभ करायी जाएँगी। | (ii) कृषि खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय। |
C. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूँ की कीमतें कम की जाएँगी। | (iii) स्वास्थ्य मंत्रालय |
D. पल्स पोलियों अभियान शुरू किया जाएगा। | (iv) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय |
E. ऊँची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के भत्ते बढ़ाए जाएँगे। | (v) संचार और सुचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय |
A. देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है। | (i) संचार और सुचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय |
B. ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएँ सुलभ करायी जाएँगी। | (ii) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय |
C. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूँ की कीमतें कम की जाएँगी। | (iii) स्वास्थ्य मंत्रालय |
D. पल्स पोलियों अभियान शुरू किया जाएगा। | (iv) रक्षा मंत्रालय |
E. ऊँची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के भत्ते बढ़ाए जाएँगे। | (v) कृषि खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय। |
भारत का प्रधानमंत्री सीधे जनता द्वारा क्यों नहीं चुना जाता? निम्नलिखित चार जवाबों में सबसे सही को चुनकर अपनी पसंद के पक्ष में कारण दीजिए:
संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है।
लोकसभा, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद् का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें हटा सकती है।
चूँकि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति नियुक्त करता है लिहाजा उसे जनता द्वारा चुने जाने की ज़रूरत ही नहीं है।
प्रधानमंत्री के सीधे चुनाव में बहुत ज़्यादा खर्च आएगा।
B.
लोकसभा, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद् का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें हटा सकती है।
प्रधान मंत्री सीधे भारत में लोगों द्वारा चुने जाते हैं क्योंकि हमारे पास सरकार का संसदीय स्वरूप है जहां राष्ट्रपति द्वारा बहुमत पार्टी के नेता को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है।
प्रधान मंत्री लोकसभा के लिए भी जिम्मेदार हैं। उनके पास बहुमत के लोकसभा सदस्यों का समर्थन होना चाहिए।
तीन दोस्त एक ऐसी फिल्म देखने गए जिसमें हीरो एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनता है और राज्य में बहुत से बदलाव लाता है। इमरान ने कहा कि देश को इसी चीज़ की ज़रूरत है। रिज़वान ने कहा कि इस तरह का, बिना संस्थाओं वाले एक व्यक्ति का राज खतरनाक है। शंकर ने कहा कि यह तो एक कल्पना है कोई भी मंत्री एक दिन में कुछ भी नहीं कर सकता ऐसी फिल्मों के बारे में आपकी क्या राय है?
यह फिल्म वास्तविकता से रहित है। रिज़वान सही है जब उसने यह अनुसरण किया कि संस्थाओं के बिना इस तरह के निजी नियम खतरनाक है। कोई भी लोकतांत्रिक सरकार संस्था के बिना काम नहीं कर सकती है और प्रशासन के लिए तीन संस्थाएं हैं,- विधायिका, कार्यकारी और न्यायपालिका जिनके नियमों का पालन करना होता हैं।
एक शिक्षिका छात्रों की संसद के आयोजन की तैयारी कर रही थी। उसने दो छात्राओं से अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की भूमिका करने को कहा। उसने उन्हें विकल्प भी दिया। यदि वे चाहे तो राज्य सभा में बहुत प्राप्त दल की नेता हो सकती थी और अगर चाहे तो लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल की। अगर आपको यह विकल्प दिया गया तो आप क्या चुनेंगे और क्यों?
यदि यह मौका मुझे दिया जाता है, तो मैं लोक सभा में बहुमत हांसिल करना चाहता हूं क्योंकि लोकसभा में बहुमत वाले नेता ही प्रधान मंत्री की नियुक्ति करते हैं।
आरक्षण पर आदेश का उदाहरण पढ़कर तीन विद्यार्थियों की न्यायपालिका की भूमिका पर अलग-अलग प्रतिक्रिया थी। इनमें से कोन-सी प्रतिक्रिया, न्यायपालिका की भूमिका को सही तरह से समझती है?
आपकी राय में कौन-सा विचार सबसे सही है।
श्रीनिवास का तर्क है कि चूँकि सर्वोच्च न्यायालय सरकार के साथ सहमत हो गया है लिहाता वह स्वतंत्र नहीं है।
अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र हैं क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ़ फ़ैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन का निर्देश दिया।
विजया का मानना हैं कि न्यायपालिका न तो स्वतंत्र है न ही किसी के अनुसार चलने वाली है बल्कि वह विरोधी समूहों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। न्यायालय ने इस आदेश के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़िया संतुलन बनाया।
B.
अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र हैं क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ़ फ़ैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन का निर्देश दिया।
अंजैया द्वारा व्यक्त विचार सही है।
भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र है । सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में सरकार के आदेश के खिलाफ आदेश दिया है। नवंबर 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से फैसला किया की भारत सरकार का आदेश अवैध नहीं है, परन्तु सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से उसके मूल आदेश में कुछ संशोधन करने को कहा। उसने कहा की पिछड़े वर्ग के अच्छी स्थिति वाले लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि सभी आरक्षणों का अधिकतम आकार 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
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