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व्याख्या करें:
उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?
वियतनाम और दूसरे उपनिवेशों की तरह भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की परिघटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ गहरे तौर पर जुड़ी हुई थी। औपनिवेशिक शासकों के विरुद्ध संघर्ष के दौरान लोग आपसी एकता को पहचानने लगे थे। उत्पीड़न और दमन के साझा भाव ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे से बाँध दिया था। लेकिन प्रत्येक वर्ग और समहू पर उपनिवेशवाद का प्रभाव एक जैसा नहीं था। उनके अनुभव भी अलग थे और स्वतंत्रता के अर्थ भी भिन्न थे। महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इन समूहों को एकत्रित करके एक विशाल आंदोलन खड़ा किया परन्तु इस एकता में टकराव के बिंदु भी विधमान थे।
व्याख्या करे:
पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया।
(i) सबसे पहली बात यह है कि विश्वयुद्ध ने एक नई आर्थिक और राजनीतिक स्थिति उत्पन्न कर दी थी। इसके कारण रक्षा व्यय में काफी वृद्धि हुई। इस व्यय की भरपाई करने के लिए युद्ध के नाम पर ऋण लिए गए और करों में वृद्धि की गई। सीमा शुल्क बढ़ा देगी और आयकर शुरू किया गया।
(ii) युद्ध के दौरान कीमतों में तेज़ी से वृद्धि हो रही थी।1913 से 1918 के बीच कीमतें दोगुनी हो चुकी थीं जिसके कारण आम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई थीं।
(iii) गावों में सिपाहियों को जबरदस्ती भर्ती किया गया जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक गुस्सा था।
(iv) उसी समय फ्लू की महामारी फैल गई।1921 की जनगना के अनुसार दुर्भिक्ष और महामारी के कारण 120-130 लाख लोग मारे गए।
(v) लोगो को उम्मीद थी कि युद्ध समाप्त होने के बाद उनकी परेशानियाँ कम हो जाएँगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
व्याख्या करें:
भारत के लोग रॉयल एक्ट के विरोध में क्यों थे?
ब्रिटिश विरोधी भावनाओं को रोकने के क्रम में, इस कानून के द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक क़ैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था। इसलिए भारत के लोग रॉयल एक्ट के खिलाफ़ थे।
व्याख्या करें:
गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों किया?
गांधीजी ने 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया था। परन्तु 1922 में गोरखपुर के चौरी-चारा में हिंसक घटना घटित हुई जिसके तहत भीड़ ने पुलिस थाने को आग लगा दी जिसमे 22 पुलिसकर्मी जलकर मर गए। इस घटना को देखते हुए महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय किया।
सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब हैं?
महात्मा गांधी ने जन आंदोलन के रास्ते पर चलते हुए दक्षिण अफ्रीका की नस्ल भेदी सरकार से सफलतापूर्वक लोहा लिया था इस पद्धति को वह सत्याग्रह कहते थे।
(i) सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज हो ज़ोर दिया जाता था। इसका अर्थ यह था कि अगर आप का उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के विरुद्ध है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की जरूरत नहीं है।
(ii) उत्पीड़न शत्रु को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा के द्वारा सत्य को स्वीकार करने पर मजबूर करने की अपेक्षा सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
(iii) प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवला अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में कामयाब हो सकता है। इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए।
(iv) इस संघर्ष में अंततः सत्य की ही जीत होती है। गांधी जी का विश्वास था की अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है।
निम्नलिखित पर अख़बार के लिए रिपोर्ट लिखें:-
जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड
जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड
13 अप्रैल, 1919
आज मुझे अपने शहर में घटित हुई एक दर्दनाक हत्याकांड के बारे में आपको बताते हुए बहुत दु:ख हो रहा है आज हमारे शहर में बहुत से गाँव वाले वार्षिक बैसाखी मेले में शामिल होने के लिए जालियाँवाला बाग में जमा हुए थे।अधिकतर तो सरकार द्वारा लागू किए गए दमनकारी कानून का विरोध प्रकट करने के लिए एकत्रित हुए। यह बाग चारों तरफ से बंद है। शहर से बाहर होने के कारण वहाँ जुटे लोगों को यह पता नहीं था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। जनरल डायर हथियारबंद सैनिकों के साथ वहाँ पहुंचा और जाते ही उसने मैदान से बाहर निकलने के सभी रास्तों को बंद कर दिया। इसके बाद उसके सिपाहियों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चला दीं। सैकड़ों लोग मारे गए। बाद में उसने बताया कि वह सत्यग्रहिओं की ज़हन में दहशत और विस्मय का भाव पैदा करके 'एक नैतिक प्रभाव' उत्पन्न करना चाहता था।
मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि आप इस समाचार को अपने समाचार पत्र में प्रमुखता से छापकर भारतीय जनता के दुख में भागीदार बनें और निर्दयी गोरी सरकार के दमन के खिलाफ विश्व जनमत तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ।
राहुल कुमार
निम्नलिखित पर अख़बार के लिए रिपोर्ट लिखें:-
साइमन कमीशन
साइमन कमीशन
22 फरवरी 1928
ब्रिटेन की नई टोरी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन किया जिसका प्रमुख उद्देश्य भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना था तथा उसके विषय में सुझाव देने थे। इस आयोग के सभी सदस्य अंग्रेज थे। 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत 'साइमन कमीशन वापस जाओ' के नारों से किया गया। कांग्रेस, मुस्लिम लीग तथा अन्य सभी पार्टियों ने प्रदर्शन में भाग लिया।
राहुल कुमार
इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।
भारत माता की पहली छवि रबिंद्रनाथ टैगोर द्वारा 1905 में बनाई गई थी। इस तस्वीर में भारत माता को एक सन्यासिनी के रुप में दर्शाया गया है। वह शांत, गंभीर, दैवी और आध्यात्मिक गुणों से परिपूर्ण दिखाई देती है। आगे चल कर जब इस छवि को बड़े पैमाने पर तस्वीरों में उतारा जाने लगा और विभिन्न कलाकार यह तस्वीर बनाने लगे तो भारत माता की छवि विविध रूप ग्रहण करती गई। इस मातृ छवि के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद में आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।
दूसरी तरफ, जर्मनी के कलाकार फिलिप वेट ने 1848 में जर्मेनिया का चित्र बनाया जो कि जर्मनी राष्ट्र के एक महिला कृति के रूप में पहचान अंकित करता है, इसमें जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि बलूत वीरता का प्रतीक है। जर्मेनिया के चित्र को सूती झण्डे पर बनाया गया है।
1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए ?
असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले विभिन्न सामाजिक समूहों की सूची:
(i) शहरों का मध्यम वर्ग
(ii) बागान मजदूर
(iii) विद्यार्थी और अध्यापकगण
(iv) ग्रामीण क्षेत्रों के किसान और वन्य प्रदेशों के आदिवासी
(v) सौदागर और व्यापारीगण
(vi) बुनकर और अन्य कारीगर
(vii) मुस्लिम खिलाफत कमेटी के सदस्य
(viii) अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता
तीन समूहों के लोग और उनकी आशाएँ व संघर्ष :
(i) शहरों का मध्यम वर्ग: इसमें मुख्य रूप से छात्र, शिक्षक और वकील शामिल थे। असहयोग आंदोलन और बहिष्कार से जुड़ने का आह्वान करते हुए उन्होंने उत्साहपूर्वक जवाब दिया। उन्होंने आंदोलन को विदेशी वर्चस्व से स्वतंत्रता के मार्ग के रूप में देखा। उदाहरण के लिए, खादी कपड़ा अक्सर बड़े पैमाने पर बनने वाले कपड़ों की तुलना में अधिक महंगा था और गरीब लोग इसे खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकते थे।
(ii) ग्रामीण क्षेत्रों के किसान और वन्य प्रदेशों के आदिवासी: कई स्थानों पर, किसान असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। यह आंदोलन मुख्य रूप से तालुकदारों और जमींदारों के खिलाफ था। स्वराज के द्वारा वे समझ गए कि उन्हें किसी भी कर का भुगतान करने की ज़रूरत नहीं होगी और यह भूमि पुनर्वितरित की जाएगी। किसान आंदोलन अक्सर हिंसक हो गया और किसानों को बुलेट और पुलिस क्रूरता का सामना करना पड़ा।
(iii) बागान मजदूर: बागान कार्यकर्ता भी गांधीजी के नेतृत्व में आंदोलन में शामिल हुए। बागानी मज़दूरों के लिए आजादी का अर्थ यह था कि वे उन चारदीवारियों से जब चाहे आ जा सकते हैं जिनमें उनको बंद करके रखा गया था। उनके लिए आज़ादी का अर्थ था कि वह अपने गाँवों से संपर्क कर पाएँगे।1859 के इंग्लैंड इमीग्रेशन एक्ट के तहत बागानों में काम करने वाले मज़दूरों को बिना इज़ाज़त बागान से बाहर जाने की छूट नहीं होती थी और यह छूट उन्हें विरले ही कभी मिलती थी। जब उन्होंने असहयोग आंदोलन के बारे में सुना तो हज़ारों मजदूर अपने अधिकारियों की अवहेलना करने लगे। उन्होंने बागान छोड़ दिए और अपने घर को चल दिए। उनको लगता था कि अब गांधी राजा आ रहा है इसीलिए अब तो प्रत्येक को गॉंव में ज़मीन मिल जाएगी।
नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
देश को एकजुट करने के लिए महात्मा गांधी को नमक एक शक्तिशाली प्रतीक लगा।
(i) 31 जनवरी 1930 को गांधीजी ने वायसराय इरविन को एक ख़त लिखा। खत में उन्होंने 11 मांगों का उल्लेख किया था।इरविन झुकने को तैयार नहीं थे। फलस्वरूप, महात्मा गांधी ने अपने 78 विश्वस्त वॉलन्टियरों के साथ नमक यात्रा शुरू कर दी। यह यात्रा साबरमती आश्रम से गुजरात के दांडिया नमक कस्बे में जाकर खत्म होनी थी।
इन सभी आधार पर नमक यात्रा उपनिवेशवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था। क्योंकि यह भारतीय जनता के राष्ट्रव्यापी समर्थन को इकट्ठा कर सकता था। इसने सविनय आंदोलन की शुरुआत की।
कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफ़रमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता।
सिविल नाफ़रमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला के जीवन में इस अनुभव का अर्थ निम्नलिखित मायने रखता है-
(i) महिला पर्दा प्रथा का त्याग करके संघर्ष करने के लिए घर से बाहर आती।
(ii) समाजिक बुराईयों जैसे नशा, दहेज, भ्रूण हत्या के विरुद्ध आंदोलनों का नेतृत्व करती।
(iii) सामाजिक अन्याय के प्रतीक कानूनों का उल्लंघन कर अपनी शक्ति का परिचय देती।
(iv) राष्ट्रीय सेवा में बढ़-चढ़कर भाग लेती।
(v) घर के चूल्हे-चौके से बाहर निकलकर समाज सेवा की बीड़ा उठाती।
(vi) किसी भी सामाजिक अत्याचार के खिलाफ एक सशक्त आवाज बन जाती।
राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे।
जब सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ उस समय समुदायों के बीच संदेह और अविश्वास का माहौल बना हुआ था।
(i) बहुत सारे दलित नेता अपने समुदाय की समस्याओं का अलग राजनीतिक हल ढूंढना चाहते थे। वे खुद को संगठित करने लगे, उन्होंने शिक्षा संस्थानों में आरक्षण के लिए आवाज उठाई और अलग निर्वाचन क्षेत्रों की बात कही ताकि वहां से विधाई परिषदों के लिए केवल दलितों को ही चुनकर भेजा जा सके। उनका मानना था कि सामाजिक अपंगता केवल राजनीतिक सशक्तीकरण से ही दूर हो सकती है।
(ii) उनका मत था कि दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था से समाज में उनके एकीकरण की प्रक्रिया धीमी पड़ जाएगी।
(iii) बहुत सारे मुस्लिम नेता और बुद्धिजीवी भारत में अल्पसंख्यको के रूप में मुसलमानों की हेसियत को लेकर चिंता जता रहे थे। मोहम्मद अली जिन्ना का कहना था कि अगर मुसलमानों को केंद्र सभा में आरक्षित सीटें दी जाएँ और मुस्लिम बहुल प्रांतों में मुसलमानों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए तो वे मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचिका की माँग छोड़ने के लिए तैयार हैं ।
1919 में प्रस्तावित रॉयल एक्ट के खिलाफ गाँधीजी ने राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आंदोलन चलाने का फैसला क्यों लिया? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।
रॉयल एक्ट के खिलाफ राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह -
(i) भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इस एक्ट को लेजिस्लेटिव काउन्सिल ने बहुत जल्दबाजी में पारित किया।
(ii) इस क़ानून के जरिए सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने के लिए असीम अधिकार दिए।
(iii) राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुक़द्द्मा चलाये जेल में बंद रखने का अघिकार दिया गया।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रवाद को साकार करने में लोक कथाओं, गीतों एवं चित्रों आदि के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
राष्ट्रवाद को साकार करने में लोककथाओं, गीतों एवं चित्रों का योगदान -
(i) इतिहास व साहित्य, लोककथाएं व गीत, चित्र व प्रतीक, सभी ने राष्ट्रवाद को साकार करने में अपना योगदान दिया।
(ii) भारत माता की पहचान दृश्य रूप में प्रस्तुत की गयी।
(iii) 1870 के दशक में बंकिम चट्टोपाध्याय ने मातृभूमि की स्तुति में बंदेमातरम गीत लिखा था।
(iv) राष्ट्रवाद का विचार भारतीय लोककथाओं को पुनर्जीवित करके भी विकसित किया गया।
यूरोप में उन्नीसवीं सदी के दौरान नारी की छवि किस प्रकार राष्ट्र का रूपक बनी। विश्लेषण कीजिए।
नारी की छवि राष्ट्र के रूपक के रूप में:- कलाकारों ने राष्ट्र को व्यक्ति के रूप में व्यक्त करने का उपाय निकाला। उस समय राष्ट्रों को नारी भेष में प्रस्तुत किया गया। राष्ट्र को व्यक्ति का जामा पहनाते हुए जिस नारी रूप को चुना गया, वह जीवन में कोई खास महिला नहीं थी। यह तो राष्ट्र के अमूर्त विचार को ठोस रूप प्रदान करने का प्रयास था। इस प्रकार नारी की छवि राष्ट्र का रूपक बन गई। फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान कलाकारों ने स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी रूपक का प्रयोग किया।
1921 तक किसने 'स्वराज का झण्डा' तैयार कर लिया था? स्वराज के इस झण्डे की मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
1921 तक गाँधी जी ने 'स्वराज का झण्डा' तैयार कर लिया था।
स्वराज के इस झण्डे की मुख्य विशेषताएं:-
(i) यह तिरंगा झण्डा - लाल, हरा और सफेद था।
(ii) इसके मध्य में चरखा था।
(iii) यह गाँधीवादी विचार - स्वावलंबन का प्रतीक था।
(iv) जुलूसों में झण्डा थामे चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत बना।
'सविनय अवज्ञा आंदोलन' 'असहयोग आंदोलन' से भिन्न था।' कथन की पुष्टि उदाहरणों सहित कीजिए।
'सविनय अवज्ञा आंदोलन' 'असहयोग आंदोलन' मई भिन्नता :
असहयोग आंदोलन :-
(i) लोगों से सरकार को सहयोग न करने के लिए कहा गया।
(ii) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया।
(iii) शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई।
(iv) विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई।
(v) अनेक स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करना या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इंकार कर दिया।
(vi) वकीलों ने मुक़दमे लड़ने बंद कर दिए।
(vii) विद्यार्थियों ने स्कूल और कॉलेज छोड़ दिए।
सविनय अवज्ञा आंदोलन :-
(i) लोगों से औपनिवेशिक कानूनों का उलंघन करने के लिए आह्मां किया गया।
(ii) किसानों ने लगान और चौकीदारी क्र चुकाने से इन्कार कर दिया।
(iii) देशवासियों ने नमक क़ानून तोड़ा।
(iv) गांवों में तैनात कर्मचारी इस्तीफे देने लगे।
(v) जंगलों में रहने वाले लोग वन कानून का उल्लंघन करने लगे।
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असहयोग आंदोलन का आहवान गांधीजी ने क्यों किया ? इसमें कौन-कौन सी विधियाँ अपनायी ?
असहयोग आन्दोलन गाँधी जी के द्वारा चलाया गया एक आन्दोलन था जिसमे अंहिसा के मार्ग को अपनाते हुए गांधीजी ने लोगो से आन्दोलन में साथ देने के लिए आग्रह किया जिसे अंहिसा का मार्ग पर चलते हुए अंग्रेज सरकार के सामने अपने विरोध को जाहिर करना था ।
इसमें अंग्रेजी शासन के साथ असहयोग की भावना स्वदेशी और बहिष्कार - सेना, पुलिस अदालतों, विधान परिषदों - स्कूलों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार एवं स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन एवं उपयोग अलंकार और उपाधियों को वापस करना ।
शहरों में असहयोग आंदोलन की गति क्यों मंद हुई ?
शहरों में असहयोग आंदोलन की गति निम्न कारण से मंद हुई -
खिलाफत आंदोलन के प्रमुख कारण क्या - क्या थे?
खिलाफत आंदोलन के प्रमुख कारण निम्न थे -
गांधी - इरविन समझौते की विशेषताएँ बताइए?
गांधी - इरविन समझौते की विशेषताएँ निम्न हैं -
असम में बागान मजदूरों के लिए स्वराज की अवधारणा क्या थी ?
गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लाने का फैसला क्यों किया ?
भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे ?
भारत के लोग रॉलेट एक्ट के विरोध इसलिए थे -
असहयोग आंदोलन के किन्हीं तीन प्रभावों का वर्णन कीजिए?
सविनय अवज्ञा आंदोलन पर टिप्पणी लिखिए?
सविनय अवज्ञा आंदोलन गाँधी जी के द्वारा 1950 में शुरू किया गया था जिसका मतलब होता है। बिना हिंसा से के किसी भी सरकारी आदेश के अवहेलना करना। जल्दी ही बड़ी संख्या में लोग इस आन्दोलन से जुड़ गये और गांधीजी ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। इसकी शुरुआत तब हुई जब 51st January 1950 को गांधीजी ने लार्ड इरविन को अपनी कुछ मांगो के सम्बन्ध में बताया और उन्होंने इस बारे में कोई एक्शन नहीं लिया तो आखिरकार गांधीजी को इस आन्दोलन को शुरू करना पड़ा और इसकी शुरुआत नमक सत्याग्रह से हुई। तो चलिए इसी बारे में कुछ और बातें करते है -
सविनय अवज्ञा आंदोलन के बारे में विस्तार से जानकारी
लार्ड इरविन ने जब गांधीजी की ग्यारह मांगो को पूरा करने से मना कर दिया तो सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया और इसकी शुरुआत दांडी मार्च से हुई। गाँधी जी ने जो मांगे इरविन के सामने रखी उनमे से कुछ निम्न है -
अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे? असहयोग आंदोलन में उनके योगदान को बताइए ?
अल्लूरी सीताराम राजू तत्कालीन समय के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक क्रांतिकारी थे। सन 1920 में अल्लूरी सीताराम पर महात्मा गांधी के विचारों का बहुत प्रभाव पड़ा और उन्होंने आदिवासियों को मद्यपान छोड़ने तथा अपने विवाद पंचायतों में हल करने की सलाह दी। किंतु जब एक वर्ष में स्वराज्य प्राप्ति का गांधी जी का स्वप्न साकार नहीं हुआ तो सीताराम राजू ने अपने अनुयायी आदिवासियों की सहायता से अंग्रेज़ों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह करके स्वतंत्र सत्ता स्थापित करने के प्रयत्न आंरभ कर दिया ।
सामूहिक अपनापन की यह भावना लोकगीत, गीत, प्रतीक, छवियों के संयुक्त संघर्ष भूमिका के माध्यम से आंशिक रूप में आया था । इस बयान का विश्लेषण करे -
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