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NCERT Solutions for Class 12 Help.html Aroh Bhag Ii Chapter 17 हजारी प्रसाद द्विवेदी

हजारी प्रसाद द्विवेदी Here is the CBSE Help.html Chapter 17 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 Help.html हजारी प्रसाद द्विवेदी Chapter 17 NCERT Solutions for Class 12 Help.html हजारी प्रसाद द्विवेदी Chapter 17 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2025-26. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 Help.html.

Question 1
CBSEENHN12026778

आचार्य हजारी प्रमाद द्विवेदी का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं तथा भाषा-शैली की विशेषताएँ लिखो।

Solution

जीवन-परिचय. हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म बलिया जिले मे “दूबे का छपरा” नामक ग्राम में सन् 1907 ई. में हुआ। आपके पिता पं. अनमोल द्विवेदी ने पुत्र को संस्कृत एवं ज्योतिष के अध्ययन की ओर प्रेरित किया। आपने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से साहित्याचार्य एवं ज्योतिषाचार्य की परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं। सन् 1940 से 1950 ई. तक द्विवेदी जी ने शांति निकेतन मे हिंदी भवन के निदेशक के रूप में कार्य किया। सन् 1950 ई. में द्विवेदी जी काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष नियुक्त हुए। सन् 1960 से 1966 ई. तक वे पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में हिंदी विभाग के अध्यक्ष रहे। इसके उपरांत आपने भारत सरकार की हिंदी संबंधी योजनाओं के कार्यान्वयन का दायित्व ग्रहण किया। आप उत्तर प्रदेश सरकार की हिंदी ग्रंथ अकादमी के शासी मंडल के अध्यक्ष भी रहे। 19 मई, 1979 ई. को दिल्ली में इनका देहावसान हुआ। द्विवेदी जी का अध्ययन क्षेत्र अत्यंत व्यापक था। संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, बंगला आदि भाषाओं एवं इतिहास दर्शन, संस्कृति, धर्म आदि विषयों में उनकी विशेष गति थी। इसीलिए उनकी रचनाओं में विषय-प्रतिपादन और शब्द-प्रयोग की विविधता मिलती है।

रचनाएँ: हिंदी निबंधकारों में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पश्चात् द्विवेदी जी का प्रमुख स्थान है। वे उच्च कोटि के निबंधकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। उनकी प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं

निबंध-संग्रह: (1) अशोक के फूल (2) विचार और वितर्क (3) कल्पलता (4) कुटज (5) आलोक पर्व।

आलोचनात्मक कृतियाँ: (1) सूर-साहित्य (2) कबीर (3) हिंदी साहित्य की भूमिका (4) कालिदास की लालित्य योजना।

उपन्यास: (1) चारुचंद्रलेख (2) बाणभट्ट की आत्मकथा (3) पुनर्नवा (4) अमानदास का पोथा।

द्विवेदी जी की सभी रचनाएँ ‘हजारीप्रसाद द्विवेदी ग्रंथावली’ के ग्यारह भागों में संकलित हैं।

भाषा-शैली: द्विवेदी जी की भाषा सरल होते हुए भी प्रांजल है। उसमें प्रवाह का गुण विद्यमान है तथा भाव-व्यजक भी है। द्विवेदी जी की भाषा अत्यंत समृद्ध है। उसमें गंभीर चिंतन के साथ हास्य और व्यंग्य का पुट सर्वत्र मिलता है। बीच-बीच मे वे संस्कृत के साहित्यिक उद्धरण भी देते चलते हैं। भाषा भावानुकूल है। संस्कृत की तत्सम शब्दावली के मध्य मुहावरों और अंग्रेजी उर्दू आदि के शब्दों के प्रयोग से भाषा प्रभावी तथा ओजपूर्ण बन गई है। गंभीर विषय के बीच-बीच में हास्य एवं व्यंग्य के छींटे मिलते हैं। उनकी गद्य-शैली हिंदी साहित्यकार के लिए वरदान स्वरूप है।

साहित्यिक विशेषताएँ: द्विवेदी जी का पूरा कथा-साहित्य समाज के जात-पाँत मजहबों में विभाजन और आधी आबादी (स्त्री) के दलन की पीड़ा को सबसे बड़े सांस्कृतिक संकट के रूप पहचानने. रचने और सामंजस्य में समाधान खोजने का साहित्य है। वे स्त्री को सामाजिक अन्याय का सबसे बड़ा शिकार मानते हैं तथा सांस्कृतिक-ऐतिहासिक संदर्भ में उसकी पीड़ा का गहरा विश्लेषण करते हुए सरस श्रद्धा के साथ उसकी महिमा प्रतिष्ठित करते हैं-विशेषकर बाणभट्ट की आत्मकथा में। मानवता और लोक से विमुख कोई भी विज्ञान, तंत्र-मंत्र, विश्वास या सिद्धान्त उन्हें ग्राह्य नहीं है और मानव की जिजीविषा और विजययात्रा में उनकी अखंड आस्था है। इसी से वे मानवतावादी साहित्यकार व समीक्षक के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

द्विवेदी जी का निबंध-साहित्य इस अर्थ में बड़े महत्त्व का है कि साहित्य-दर्शन तथा समाज-व्यवस्था संबंधी उनकी कई मौलिक उद्भावनाएँ मूलत: निबंधों में ही मिलती हैं, पर यह निचार-सामग्री पांडित्य के बोझ से आक्रांत होने की जगह उसके बोध से अभिषिक्त है। अपने लेखन द्वारा निबंध-विधा को सर्जनात्मक साहित्य की कोटि में ला देने वाले द्विवेदी जी के ये निबंध व्यक्तित्व व्यंजना और आत्मपरक शैली से युक्त हैं।

Question 2
CBSEENHN12026779

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
जहाँ बैठ के यह लेख लिख रहा हूँ उसके आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ शिरीष के अनेक पेड़ हैं। जेठ की जलती धूप में, जबकि धरित्री निर्धूम अग्निकुंड बनी हुई थी, शिरीष नीचे से ऊपर तक फूलों से लद गया था। कम फूल इस प्रकार की गर्मी में फूल सकने की हिम्मत करते हैं। कर्णिकार और आरग्वध (अमलतास) की बात मैं भूल नहीं रहा हूँ। वे भी आस-पास बहुत हैं लेकिन शिरीष के साथ आरग्वध की तुलना नहीं की जा सकती। वह पंद्रह-बीस दिन के लिए फूलता है, वसंत ऋतु के पलाश की भाँति। कबीरदास को इस तरह पंद्रह दिन के लिए लहक उठना पसंद नहीं था। यह भी क्या कि बस दिन फूले और फिर खंखड़-के-खंखड़-’दिन दस फूला फूलिके खंखड़ भया पलास!’ ऐसे दुमदारों से तो लँडूरे भले। फूल है शिरीष। वसंत के आगमन के साय लहक उठता है, आषाढ़ तक जो निश्चित रूप से मस्त बना रहता है। मन रम गया तो भरे भादों में भी निर्द्यात फूलता रहता है। जब उमस से प्राण उबलता रहता है और लू से हृदय सूखता रहता है, एकमात्र शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता का मंत्र प्रचार करता रहता है।

1. जहाँ बैठकर लेखक यह लेख लिख रहा है वहाँ कैसा वातावरण है?
2. शिरीष के कुलों की क्या विशेषता बताई गई है?
3. कबीर का क्या कहना था?
4. शिरीष कब से कब तक फूलता है? वह क्या प्रचार करता जान पड़ता है?



Easy
Question 3
CBSEENHN12026780

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
वास्यायन ने ‘कामसूत्र’ में बताया है कि वाटिका के सघन छायादार वृक्षों की छाया में ही झूला (प्रेंखा दोला) लगाया जाना चाहिए। यद्यपि पुराने कवि बकुल के पेड़ में ऐसी दोलाओं को लगा देखना चाहते थे, पर शिरीष भी क्या बुरा है! डाल इसकी अपेक्षाकृत कमजोर जरूर होती है, पर उसमें झूलनेवालियों का वजन भी तो बहुत ज्यादा नहीं होता। कवियों की यही तो बुरी आदत है कि वजन का एकदम खयाल नहीं करते। मैं तुंदिल नरपतियों की बात नहीं कह रहा हूँ, वे चाहे तो लोहे का पेड़ बनवा लें। शिरीष का फूल संस्कृत-साहित्य में बहुत कोमल माना गया है। मेरा अनुमान है कि कालिदास ने यह बात शुरू-शुरू में प्रचार की होगी। उसका इस पुष्प पर कुछ पक्षपात था (मेरा भी है)। कह गए हैं, शिरीष पुष्प केवल भौंरों के पदों का कोमल दबाव सहन कर सकता है, पक्षियों का बिल्कुल नहीं।

1. वात्स्यायन किसमें क्या बताया है?
2. पुराने कवि क्या देखना चाहते थे जबकि इस लेखक का क्या मत है?
3. शिरीष के कुल को सस्कृंत-साहित्य में क्या माना गया है?
4. कालिदास क्या कह गए है?


Easy
Question 4
CBSEENHN12026781

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-
मैं सोचता हूँ कि पुराने की यह अधिकार-लिप्सा क्यों नहीं समय रहते सावधान हो जाती? जरा और मृत्यु, ये दोनों ही जगत् के अतिपरिचित और अतिप्रामाणिक सत्य हैं। तुलसीदास ने अफसोस के साथ इनकी सच्चाई पर मुहर लगाई थी-’धरा को प्रमान यही तुलसी जो फरा सो झरा, जो बरा सो बुताना!’ मैं शिरीष के फूलों को देखकर कहता हूँ कि क्यों नहीं फूलते ही समझ लेते बाबा कि झड़ना निश्चित है! सुनता कौन है? महाकाल देवता सपासप कोड़े चला रहे हैं, जीर्ण और दुर्बल झड़ रहे हैं, जिनमें प्राणकण थोड़ा भी ऊर्ध्वमुखी है, वे टिक जाते हैं। दुरंत प्राणधारा और सर्वव्यापक कालाग्नि का संघर्ष निरंतर चल रहा है। मूर्ख समझते हैं कि जहाँ बने हैं, वहीं देर तक बने रहें तो कालदेवता की आँख बचा जाएँगे। भोले हैं वे। हिलते-डुलते रहो, स्थान बदलते रहो, आगे की ओर मुँह किए रहो तो कोड़े की मार से बच भी सकते हो। जमे कि मरे!

1. पुरान में क्या लिप्सा होती है? क्या बातें सत्य हैं?
2. तुलसी ने किस सच्चाई पर मुहर लगाई थी?
3. लेखक शिरीष के फूलों को देखकर क्या कहता है?
4. मूर्ख क्या समझते हैं? उन्हें क्या करना चाहिए?





Easy
Question 5
CBSEENHN12026782

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-  
एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधो का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमंडल से अपना रस खींचता है। जरूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमारसर को कैसे उगा सकता था? अवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं। कबीर बहुत-कुछ इस शिरीष के समान ही थे, मस्त और बेपरवा, पर सरस और मादक। कालिदास भी जरूर अनासक्त योगी रहे होंगे। शिरीष के फूल फक्कड़ाना मस्ती से ही उपज सकते हैं और ‘मेघदूत’ का काव्य उसी प्रकार के अनासक्त अनाविल उत्उन्मुक्त हदय मे उमड़ सकता है। जो कवि अनासक्त नहीं रह सका, जो फक्कड़ नहीं बन सका, जो किए-कराए का लेखा-जोखा मिलाने में उलझ गया, वह भी क्या कवि है?

1.  शिरीष को क्या बताया गया है और क्यों?
2.  एक वनस्पतिशास्त्री ने लेखक को क्या बताया है?
3.  कबीर किस प्रकार के थे?
4.  कालिदास के बारे में क्या बताया गया है? लेखक किसे कवि बताता है?



Easy
Question 6
CBSEENHN12026783

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:-   
इस चिलकती धूप में इतनइतना-इतनास वह कैसे बना रहता है? क्या ये बाह्य परिवर्तन-धूप, वर्षा, अंधी, लू-अपने आपमें सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी क्या स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बढ़ाबूढ़ा सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गांधी भी वायुमंडल से रस खीचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब-जब शिरीष की ओर देखता हूं, तब-तब क्य उठती है-हाय, वह अवधूत आज कहाँ है!

1. अवधूत किसे कहते हैं? शिरीष को अवधूत मानना कहाँ तक तर्कसंगत है?
2. किन आधारों पर लेखक महात्मा गांधी और शिरीष को समान धरातल पर पाता है?
3. देश के ऊपर से गुजर रहे बवंडर का क्या स्वरूप है? इससे कैसे जूझा जा सकता है?
4. आशय स्पष्ट कीजिए-मैं जब-जब शिरीष की ओर देखता हूँ तब-तब हूक उठती है-हाय, वह अवधूत आज कहाँ है?



Easy
Question 8
CBSEENHN12026785

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
इस चिलकती धूप में इतनइतना-इतनास वह कैसे बना रहता है? क्या ये बाह्य परिवर्तन-धूप, वर्षा, अंधी, लू-अपने आपमें सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी क्या स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बढ़ाबूढ़ा सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गांधी भी वायुमंडल से रस खीचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब-जब शिरीष की ओर देखता हूं, तब-तब क्य उठती है-हाय, वह अवधूत आज कहाँ है!

1. शिरीष को पक्का अवधूत क्यों कहा है?
2. वर्तमान समाज की उथल-पुथल के सदंर्भ में शिरीष वृक्ष से क्या प्रेरणा ग्रहण की जा सकती है?
3. लेेखक ने ‘ एक बूढ़ा ’ किसे कहा है? किस सदंर्भ में उसका उल्लेख किया गया है?
4. एक ही व्यक्ति कोमल और कठोर दोनों कैसे हो सकता है? स्पष्ट कीजिए।


Easy
Question 10
CBSEENHN12026787

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:- 
इस चिलकती धूप में इतनइतना-इतनास वह कैसे बना रहता है? क्या ये बाह्य परिवर्तन-धूप, वर्षा, अंधी, लू-अपने आपमें सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी क्या स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बढ़ाबूढ़ा सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गांधी भी वायुमंडल से रस खीचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब-जब शिरीष की ओर देखता हूं, तब-तब क्य उठती है-हाय, वह अवधूत आज कहाँ है!

1. शिरीष की तुलना अवधूत से क्यों की गई है?
2. ‘देश का एक बूढ़ा‘ का सकेत किसकी ओर है? वह कैसी स्थितियों में स्थिर रह सका था?
3. शिरीष को जब-तब देखकर लेखक के मन में हूक क्यों उठती है?
4. गद्याशं के आधार पर शिरीष वृक्ष के स्वभाव पर टिप्पणी कीजिए।







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