समष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय Chapter 1 परिचय
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    NCERT Solution For Class 12 ������������������ समष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय

    परिचय Here is the CBSE ������������������ Chapter 1 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 ������������������ परिचय Chapter 1 NCERT Solutions for Class 12 ������������������ परिचय Chapter 1 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 ������������������.

    Question 1
    CBSEHHIECH12013779

    व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में क्या अंतर है?

    Solution

     

    व्यष्टि अर्थशास्त्र समष्टि अर्थशास्त्र
    1. व्यष्टि अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत इकाई के आर्थिक व्यवहार का अध्ययन किया जाता है; जैसे एक उपभोक्ता, एक फर्म (उत्पादक) इत्यादि। 1. समष्टि अर्थशास्त्र में सम्पूर्ण  अर्थव्यवस्था के स्तर पर बड़े आर्थिक समूहों का अध्ययन व अंतसंबंधों का विश्लेषण किया जाता है; जैसे समग्र माँग, समग्र पूर्ति, राष्ट्रीय आय, इत्यादि।  
    2. इसका मुख्य समस्या कीमत निर्धारण है, इसलिए इसे 'कीमत सिद्धांत' भी कहा जाता है। 2. इसकी मुख्या समस्या आय व रोज़गार का निर्धारण है। इसलिए इसे 'आय व रोज़गार का सिद्धांत' भी कहते हैं।  
    3. इसका उद्देश्य संसाधनों के सर्वोत्तम आबंटन से होता है। 3. इसका उद्देश्य संसाधनों के पूर्व रोज़गार व विकास से होता है। 
    4. इसमें अध्ययन का ढंग आंशिक संतुलन विधि (यह माना जाता है की अन्य बातें समान रहती हैं)।   4. इसमें अध्ययन का ढंग सामान्य संतुलन विधि (सभी संबंधो को समरूपता से लिया जाता है)।  
    Question 2
    CBSEHHIECH12013780

    पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं?

    Solution

    पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: 

    1. उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व का होना।
    2. बाजार में निर्गत को बेचने के लिए उत्पादन किया जाना।
    3. श्रमिकों की सेवाओं का क्रय-विक्रय एक निश्चित कीमत पर होना, जिससे मज़दूरी की दर भी कहते हैं।
    4. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक-क्रियाओं का मुख्य उद्देश्य लाभ अर्जन ही होता हैं। इसमें सार्वजनिक कल्याण पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता हैं।

    Question 3
    CBSEHHIECH12013781

    समष्टि अर्थशास्त्र की दृष्टि से अर्थव्यवस्था के चार प्रमुख क्षेत्रकों का वर्णन करें।

    Solution

    समष्टि अर्थशास्त्र की दृष्टि से अर्थव्यवस्था के चार प्रमुख क्षेत्रक निम्नलिखित हैं:

    1. परिवार क्षेत्र: परिवार से तात्पर्य एकल व्यक्तिगत उपभोक्ता अथवा कई व्यक्तियों के समूह से हैं जो अपने उपभोग संबंधित निर्णय संयुक्त रूप से लेते हैं। परिवार बचत भी करते हैं और सरकार को कर (टैक्स) का भुक्तान भी करते हैं। 
    2. उत्पादक क्षेत्र: इसमें उन सभी आर्थिक इकाइयों अथवा फर्मों को सम्मलित किया जाता हैं जो उत्पादन की क्रिया में लगे होते हैं। वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन हेतु फर्में उत्पादन के कारकों (भूमि, श्रम, पूँजी तथा उद्यमशील कौशल) की सेवाओं को परिवार क्षेत्र से भाड़े पर प्राप्त होती हैं।   
    3. सरकारी क्षेत्र: अर्थव्यवस्था में सरकार भी कल्याणकारी एजेंसी के रूप में कार्य करती हैं। जैसे: न्याय तथा कानून व्यवस्था को बनाए रखना, सुरक्षा तथा अन्य सार्वर्जनिक कल्याण संबंधी सेवाएँ, कर तथा जुर्माना लगाना।
    4. बाह्य क्षेत्र ((विदेशी क्षेत्र): इस क्षेत्र का कार्य विश्व के अन्य देशों से व्यापार करना, आयत-निर्यात करना तथा विभिन्न देशों के बीच पूँजी का प्रवाह करना है। 

    Question 4
    CBSEHHIECH12013782

    1929 की महामंदी का वर्णन करें।

    Solution

    1929 की महामंदी:

    1. 1929 में विश्व में एक गंभीर स्थिति 'महामंदी' ने जन्म लिया। यह महामंदी 1933 तक बनी रही। इस विश्व्यापी महामंदी की घटना ने परंपरावादी मान्यता को चूर-चूर कर दिया। इस महामंदी के कारण अमरीका के देशों में निर्गत और रोजगार के स्तरों में भारी गिरावट आयी।
    2. इसका प्रभाव दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ा। बाजार में वस्तुओं की माँग में भारी गिरावट के कारण कई कार खाने बंद हो गए तथा श्रमिकों को काम से निकाल दिया गया था।
    3. संयुक्त राज्य अमरीका में 1929 से 1933 तक बेरोज़गारी की दर 3 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत हो गई थी। इस अवधि के दौरान संयुक्त राज्य अमरीका में समस्त निर्गत में लगभग 33 प्रतिशत की गिरावट आई।
    4. मंदी की ऐसी गंभीर स्थिति ने अर्थशास्त्रियों को 'व्यष्‍टि' के स्थान पर 'समष्टि' स्तर पर सोचने को बाध्य कर दिया।
    5. इन परिस्थितियों में जे.एम .केन्ज की पुस्तक 'रोज़गार, ब्याज और मुद्रा का सामान्य सिद्धांत' 1936 में प्रकाशित हुई जिससे समष्टि अर्थशास्त्र जैसे विषय का उद्भव हुआ।

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