Aroh Chapter 16 त्रिलोचन
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    NCERT Solution For Class 11 Hindi Aroh

    त्रिलोचन Here is the CBSE Hindi Chapter 16 for Class 11 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 11 Hindi त्रिलोचन Chapter 16 NCERT Solutions for Class 11 Hindi त्रिलोचन Chapter 16 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 11 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN11012302

    कवि त्रिलोचन के जीवन एवं साहित्य का परिचय दीजिए।

    Solution

    कवि-परिचय-त्रिलोचन का जन्म 1917 ई. में चिरानीपट्टी, जिला सुल्तानपुर उप्र. में हुआ। हिन्दी साहित्य में त्रिलोचन प्रगतिशील काव्य- धारा के प्रमुख कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं। रागात्मक संयम और लयात्मक अनुशासन के कवि होने के साथ-साथ ये बहुभाषाविज्ञ शास्त्री भी हैं। लेकिन यह शास्त्रीयता उनकी कविता के लिए बोझ नहीं बनती। त्रिलोचन जीवन में निहित मंद लय के कवि हैं। प्रबल आवेग और त्वरा की अपेक्षा इनके यहाँ काफी कुछ स्थिर है।

    इनकी भाषा छायावादी रूमानियत से मुक्त है तथा उसका ठाट ठेठ गाँव की जमीन से जुड़ा हुआ है। त्रिलोचन हिंदी में सॉनेट (अंग्रेजी छंद) को स्थापित करने वाले कवि के रूप में भी जाने जाते हैं।

    त्रिलोचन का कवि बोलचाल की भाषा को चुटीला और नाटकीय बनाकर कविताओं को नया आयाम देता है। कविता की प्रस्तुति का अंदाज कुछ ऐसा है कि वस्तु और रूप की प्रस्तुति का भेद नहीं रहता। उनका कवि इन दोनों के बीच फाँक की गुंजाइश नहीं छोडता।

    रचनाएँ- धरती, गुलाब और बुलबुल, दिगंत, ताप के ताये हुए दिन, शब्द, उस जनपद का कवि हूँ, अरघान, तुम्हें सौंपता हूँ चैती, अमोला, मेरा घर आदि (काव्य)। देशकाल, रोजनामचा, काव्य और अर्थबोध, मुक्तिबोध की कविताएँ (गद्य)। हिन्दी के अनेक कोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान।

    प्रमुख सम्मान: साहित्य अकादमी, शलाका सम्मान।

    Question 2
    CBSEENHN11012303

    चम्पा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती
    मैं जब पढ़ने लगता हूँ वह आ जाती है
    खड़ी-खड़ी चुपचाप सुना करती है
    उसे बड़ा अचरज होता है:
    इन काले चीन्हों से कैसे ये सब स्वर
    निकला करते हैं
    चम्पा सुंदर की लड़की है
    सुंदर ग्वाला है: गायें- भैंसें रखता है
    चम्पा चौपायों को लेकर
    चरवाही करने जाती है

    Solution

    प्रसंग- प्रस्तुत काव्याशं प्रसिद्ध कवि त्रिलोचन द्वारा रचित कविता ‘चम्पा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती’ से अवतरित है। कवि ने चंपा के माध्यम से एक साधारण अनपढ़ युवती की स्थिति का वर्णन किया है। वह एक सामान्य परिवार की सामान्य बालिका है।

    व्याख्या-कवि बताता है कि चम्पा नामक यह लड़की बिल्कुल अनपढ़ है। यह काले-काले अक्षरों को पहचान तक नहीं पाती। वह निरक्षर है। हाँ, इतना अवश्य है कि जब मैं पढ़ना शुरू करता हूँ तो वह मरे पास आ जाती है। वह मेरे पास आकर चुपचाप खड़ी हो जाती है तथा मेरा पढ़ना सुनने लगती है। उसे यह जानकर बड़ा आश्चर्य होता है कि इन काले अक्षरों में से ये स्वर कैसे निकल आते हैं। अक्षरों में समाए अर्थ को सुन-समझकर उसे हैरानी होती है। वह इनके रहस्य को समझने में असमर्थ रहती है।

    कवि बताता है कि यह चम्पा सुंदर की बेटी है और सुंदर एक ग्वाला है। वह अपने यहाँ गाय- भैंसें रखता है, उन्हें पालता है। चम्पा इन पालतू पशुओं को लेकर बाहर खेतों-मैदानों में जाती है ताकि वे वहाँ चर सकें। तात्पर्य यह है कि चम्पा अनपढ़ है और पशु चराती है।

    विशेष:1. कवि ने चम्पा की यथार्थ स्थिति का अंकन किया है।

    2. ‘काले-काले’ और ‘खड़ी-खड़ी’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

    3. देशज शब्दों का प्रयोग किया गया है-अच्छर, चीन्हती।

    4. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।

    Question 3
    CBSEENHN11012304

    चम्पा अच्छी है:
    चंचल है
    नटखट भी है
    कभी-कभी ऊधम करती है
    कभी-कभी वह कलम चुरा लेती है
    जैसे-तैसे उसे ढूंढकर जब लाता हूँ
    पाता हूँ-अब कागज गायब
    परेशान फिर हो जाता हूँ
    चम्पा कहती है:
    तुम कागद ही गोदा करते हो दिनभर
    क्या यह काम बहुत अच्छा है
    यह सुनकर मैं हँस देता हूँ
    फिर चम्पा चुप हो जाती है
    उस दिन चम्पा आई, मैंने कहा कि
    चम्पा, तुम भी पढ़ लो
    हारे गाढ़े काम सरेगा
    गांधी बाबा की इच्छा है-
    सब जन पड़ना-लिखना सीखें
    चम्पा ने यह कहा कि मैं तो नहीं पढूँगी
    तुम तो कहते थे गांधी बाबा अच्छे हैं
    वे पढ़ने-लिखने की कैसे बात कहेंगे
    मैं तो नहीं पढूँगी

    Solution

    प्रसंग- प्रस्तुत पक्षियों कवि त्रिलोचन द्वारा रचित कविता ‘चम्पा काले- काले अच्छर नहीं चीन्हती’ से अवतरित हैं। कवि चम्पा की स्थिति का परिचय देते हुए कहता है-

    व्याख्या-कवि बताता है कि चम्पा एक अच्छी लड़की है। वह भोंदू नहीं है। वह चंचल और नटखट प्रवृत्ति की है। वह कभी-कभी ऊधम (शोर-शराबा) भी करती है। वह कभी कवि की कलम चुरा लेती है। जब कवि कलम को ढूँढ़कर लाता है तब तक वह उसके कागज गायब कर देती है। उसकी इन हरकतों से कवि परेशान हो उठता है।

    चम्पा उससे (कवि से) कहती है कि तुम व्यर्थ ही कागजों को अपनी कलम से गोदते रहते हो। क्या तुम अपने काम को बहुत अच्छा समझते हो? कवि उसका प्रश्न सुनकर हँस देता है। इसके बाद चम्पा चुप हो जाती है। फिर एक दिन चम्पा कवि के पास आई तो कवि ने उससे पढ़ने के लिए कहा। यह पढ़ाई तुम्हारी मुसीबत की घड़ी में बड़ी काम आएगी। महात्मा गांधी की भी यह हार्दिक इच्छा है कि सभी लोग पढ़ना-लिखना सीखें। यह सुनकर चम्पा ने उत्तर दिया कि मैं तो नहीं पढूँगी। तुम तो गांधी बाबा को बहुत अच्छा बताते थे, भला वे पढ़ने-लिखने की बात क्यों कहने लगे। तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति पढ़ने-लिखने की बात करता है, चम्पा को वह अच्छा नहीं लगता, चाहे वह व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो। वह अपने न पढ़ने की जिद पर अडिग है और कहती है कि मैं तो नहीं पढूँगी।

    विशेष: 1. चम्पा के अनोखे व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया है।

    2. भाषा सीधी-सरल एवं सुबोध है।

    Question 4
    CBSEENHN11012305

    मैंने कहा कि चम्पा, पढ़ लेना अच्छा है
    ब्याह तुम्हारा होगा, तुम गौने जाओगी
    कुछ दिन बालम संग-साथ रह चला जायगा जब कलकत्ता
    बड़ी दूर है वह कलकत्ता
    कैसे उसे सँदेसा दोगी
    कैसे उसके पत्र पढ़ोगी
    चम्पा पढ़ लेना अच्छा है!
    चम्पा बोली: तुम कितने झूठे हो, देखा, हाय राम
    तुम पढ़-लिखकर इतने झूठे हो
    मैं तो ब्याह कभी न करूँगी
    और कहीं जो ब्याह हो गया
    तो मैं अपने बालम को संग-साथ रखूँगी
    कलकत्ता मैं कभी न जाने दूँगी
    कलकने पर बजर गिरे।

    Solution

    प्रसंग- प्रस्तुत काव्याशं त्रिलोचन द्वारा रचित कविता ‘चम्पा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती’ से अवतरित है। कवि चम्पा को पढ़ने के लिए प्रेरित करता है, पर वह न पढ़ने की जिद पर अड़ी है।

    व्याख्या-कवि चम्पा को पढ़ने का परामर्श देता है और उसे भविष्य की ऊँच-नीच समझाता है। वह उससे कहता है कि एक दिन तुम्हारा ब्याह हो जाएगा, तुम्हारा गौना भी होगा, तब तुम पति के घर चली जाओगी। तुम्हारा पति कुछ दिन तो तुम्हारे साथ रहेगा, फिर काम- धंधा करने के लिए वह कलकत्ता (कोलकाता) चला जाएगा। यह कलकत्ता बहुत दूर है। तुम्हें उस तक अपना संदेशा भेजना होगा, भला न पढ़-लिखने की स्थिति में तुम उस तक अपना संदेशा कैसे भेज पाओगी? जब उसका पत्र आएगा, तब तुम उसे पढ़ भी नहीं पाओगी। अत: विचार कर लो, पढ़ लेना बहुत अच्छा है।

    चम्पा ने कवि को उत्तर दिया कि तुम तो बहुत झूठे हो। तुम तो पढ़-लिखकर भी झूठ बोलते हो। मैं कभी ब्याह ही नहीं करूंगी। इसके बावजूद भी यदि मेरा ब्याह हो ही गया तो मैं अपने पति को अपने साथ ही रखूँगी और उसे कभी कलकत्ता नहीं जाने दूँगी। ऐसे कलकत्ते पर वजवज्रिर जाए, जो मेरे पति को मुझसे अलग करे।

    विशेष: 1 चम्पा अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त है।

    2. वह संघर्षशील है।

    3. सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग किया गया है।

    4. छंद-अलंकार बंधन-मुक्त भाषा प्रयुक्त है।

    Question 5
    CBSEENHN11012306

    चंपा ने ऐसा क्यों कहा कि कलकत्ता पर बजर गिरे?

    Solution

    चंपा नहीं चाहती कि उसका पति उसे छोड़कर कलकत्ता चला जाए। जब कलकत्ता ही बजर गिरने से नष्ट हो जाएगा तब कलकत्ता उसके पति को नहीं बुला पाएगा।

    लाक्षणिक अर्थ में चम्पा शोषक व्यवस्था के प्रतीक कलकत्ता के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है। कलकत्ते पर वजवज्रिरने की कामना जीवन के खुरदरेपन के प्रति चम्पा के संघर्ष एवं जीवटता को प्रकट करता है।

    Question 6
    CBSEENHN11012307

    चंपा को इस पर क्यों विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी?

    Solution

    चंपा को इस बात पर विश्वास नहीं होता कि गांधी बाबा ने पढ़ने-लिखने की बात कही होगी। वह गांधी बाबा को अच्छा आदमी मानती है और उसकी दृष्टि में पढ़ने-लिखने की बात कहने वाला अच्छा नहीं हो सकता।

    व्यंग्यार्थ यह है कि पक्ष-लिखकर व्यक्ति अपनी सहजता खो बैठता है। तब वह शोषक व्यवस्था का एक अंग बन जाता है। शोषक कभी आम आदमी के भले की बात नहीं कह सकता।

    Question 7
    CBSEENHN11012308

    कवि ने चंपा की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?

    Solution

    कवि ने चंपा की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है-

    1. चंपा अनपढ़ है और इसी स्थिति में रहना चाहती है।

    2. वह पढ़ी गई बातों को भली प्रकार समझ लेती है।

    3. चम्पा स्पष्टवक्ता है। वह अपनी बात घुमा-फिराकर नहीं कहती, स्पष्ट रूप में कहती है।

    4. चम्पा शोषक व्यवस्था के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है।

    5. वह अपने भविष्य को सुरक्षित कर लेना चाहती है।

    6. वह कामकाजी है, चरवाही का काम करती है।

    Question 8
    CBSEENHN11012309

    आपके विचार में चंपा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मैं तो नहीं पढूँगी?

    Solution

    हमारे विचार में चंपा ने ऐसा इसलिए कहा होगा कि मैं नहीं पढूँगी

    -वह पढ़ने-लिखने को कोई बहुत अच्छा काम नहीं मानती।

    -यह पढ़ने-लिखने वाले लोग शोषक व्यवस्था का अंग बन जाते हैं।

    -वह अभी पढ़ाई-लिखाई का महत्त्व नहीं समझती।

    Question 9
    CBSEENHN11012310

    यदि चंपा पड़ी-लिखी होती, तो कवि से कैसे बातें करती?

    Solution

    यदि चंपा पड़ी-लिखी होती तो वह कवि से सोच-समझकर बात करती। तब शायद उसमें उतनी सहजता नहीं होती, जितनी अब है। उसकी बातों में बनावटीपन की झलक हो सकती थी।

    Question 10
    CBSEENHN11012311

    इस कविता में पूर्वी प्रदेश की स्त्रियों की किस विडंबनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है?

    Solution

    इस कविता में पूर्वी उत्तर प्रदेश की स्त्रियों की इस विडंबनात्मक स्थिति का वर्णन हुआ है कि वे प्राय: अनपढ़ हैं और पढ़ने-लिखने की आवश्यकता का अनुभव नहीं करतीं। उनके लिए पढ़ाई-लिखाई व्यर्थ है। वे चरवाही का काम करती हैं। वे आधुनिक दुनिया से सर्वथा अपरिचित हैं। वे अपनी दशा सुधारने के लिए भी प्रयास नहीं करतीं।

    Question 11
    CBSEENHN11012312

    संदेश ग्रहण करने और भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को किस वेदना और विपत्ति को भोगना पड़ता है-अपनी कल्पना से लिखिए?

    Solution

    संदेश ग्रहण करने और भेजने में असमर्थ होने पर एक अनपढ़ लड़की को भारी वेदना और विपत्ति को भोगना पड़ता है। उसे अपने परिचितों-प्रियजनों की कोई खबर मिल ही नहीं पाती। वह केवल अनुमान के बल पर जीती है।

    Question 12
    CBSEENHN11012313

    त्रिलोचन पर एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा बनाई गई फिल्म देखिए।

    Solution

    विद्यार्थी एन.सी.ई.आर.टी. से सी.डी. मँगवाकर विद्यालय में देखें।

    Question 13
    CBSEENHN11012314

    चम्पा कौन है? वह क्या नहीं जानती?

    Solution

    चम्पा एक सामान्य-सी लड़की है। वह सुंदर की लड़की है। सुंदर ग्वाला है और चम्पा घर की गाय- भैंसों को चराने ले जाती है। वह पूर्णत: निरक्षर है। उसे पढ़ना-लिखना नहीं आता और न वह पढ़ना-लिखना सीखने को इच्छुक है। उसे इसकी आवश्यकता ही अनुभव नहीं होती।

    Question 14
    CBSEENHN11012316

    इस कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

    Solution

    'चम्पा काले-काले अच्छर नहीं चीन्हती’ कविता में कवि ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाँव की एक भोली- भाली अनपढ़ लड़की का चित्रण किया है। चम्पा निरक्षर है और वह पढ़ने लिखने को व्यर्थ समझती है। अक्षरों के लिए कवि ‘काले-काले’ विशेषण का प्रयोग करके शिक्षा-व्यवस्था की कलई खोलता है। कविता की नायिका चम्पा शोषक व्यवस्था के विरोध में खड़ी हो जाती है। वह ‘कलकत्ते पर बजर गिरे’ कहकर अपने जीवन की सुरक्षा के प्रति सचेत होने का संकेत दे जाती है। शोषक व्यवस्था का अंत होना ही चाहिए।

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