आत्मत्राण
यह कविता हमें ईश्वर के सहारे ना रहकर स्वयं संघर्ष करने के लिए प्रेरित करती है| कवि के अनुसार हमें दृढ़तापूर्वक अपने जीवन मार्ग पर हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए| कैसी भी इस स्थिति क्यों ना आ जाए हमें कभी भी अपने जीवन में कठिनाइयों से हार नहीं माननी चाहिए| यदि ईश्वर से कुछ मांगना ही है तो अच्छा स्वास्थ्य, निडरता, बल, विश्वास तथा भगवान का साथ मांगना चाहिए| मनुष्य चाहे तो वह परिस्थिति से निपट सकता है| यही कविता का शीर्षक सार्थक करता है| हमें स्वयं को मजबूत बनाना है| ईश्वर या अन्य किसी के सहारे आगे नहीं बढ़ना है| हमें हर स्थिति का सामना डट कर करना है| इसके साथ-साथ हमें स्वयं की क्षमताओं पर और ईश्वर पर अटल विश्वास रखना चाहिए|
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'आत्मत्राण' कवित में कवि की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है? अपने शब्दों में लिखिए।
'आत्मत्राण' कविता के द्वारा कवि क्या कहना चाहता है? उसका संदेश स्पष्ट कीजिए।
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