विभाजन को समझना
कुछ लोगों को ऐसा क्यों लगता था कि बँटवारा बहुत अचानक हुआ?
मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की माँग पूरी तरह स्पष्ट नहीं थी। उपमहाद्वीप के मुस्लिम-बहुल इलाकों के लिए सीमित स्वायत्तता की माँग से विभाजन होने के बीच बहुत ही कम समय - केवल सात साल - रहा। यहाँ तक कि किसी को मालूम नहीं था कि पाकिस्तान के गठन का क्या मतलब होगा और उससे भविष्य में लोगों की जिंदगी किस तरह तय होगी । 1947 में अपने मूल इलाके छोड्कर नयी जगह जाने वालों में से बहुतों को यही लगता था कि जैसे ही शांति बहाल होगी, वे लौट आएँगे।
यहाँ तक कि स्वयं लीग ने भी एक संप्रभु राज्य की माँग ज्यादा स्पष्ट और जोरदार ढंग से नहीं उठाई थी। ऐसा लगता है कि माँग सौदेबाजी में एक पेंतरे के रूप में उठाई गई थी ताकि मुस्लिमों के लिए अधिक रियायतें ली जा सकें। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हो गया। इसकी समाप्ति के बाद सरकार को भारतीयों को सत्ता हस्तांतरण की बातचीत करनी पड़ी जिसमें अंततः भारत का विभाजन अचानक स्वीकार करना पड़ा। इससे लगता है कि भारत का विभाजन अचानक हुई घटना है।
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