मुद्रा और बैंकिंग
तरलता पाश क्या है?
तरलता पाश एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्याज की दर अति निम्न होती है और हर निवेशक भविष्य में ब्याज दर में वृद्धि की आशा रखता है। परिणाम-स्वरूप निवेशकों को बॉण्ड में निवेश करना आकर्षक नहीं लगता। ऐसी हालत में लोग बॉण्ड्स बेचकर मुद्रा अपने पास इकट्ठी करते जाते हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में बॉण्ड्स ऐसी परिसम्पति ना के बराबर आय प्रदान करती है। इससे मुद्रा के लिए सट्टेबाज़ी की माँग अनंत या पूर्ण लोचदार हो जाती है। इसे नीचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है।
ब्याज दर = 2% के बाद मुद्रा माँग वक्र X-अक्ष के समांतर हो गया है। इस स्थिति को तरलता पाश या तरलता फंदा कहा जाता है। इस स्थिति मौद्रिक अधिकारियों के लिए एक कठिन चुनौती है क्योंकि इस स्थिति में मौद्रिक नीति द्वारा भी साख व मुद्रा की पूर्ति को नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
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मुद्रा गुणक क्या है? इसका मूल्य आप कैसे निर्धारित करेंगे? मुद्रा गुणक के मूल्य के निर्धारण में किस अनुपातों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है?
भारतीय रिजर्व बैंक की किस भूमिका को अंतिम ऋणदाता कहा जाता है ?
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के कौन-कौन से उपकरण है ? बाह्य आघातों के विरुद्ध भारतीय रिजर्व बैंक किस प्रकार मुद्रा की पूर्ति को स्थिर करता है ?
मुद्रा की सट्टा माँग और ब्याज की दर में विलोम संबंध क्यों होता है ?
तरलता पाश क्या है?
व्यावसायिक बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
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