उमाशंकर जोशी
पौधों के फलों का काव्य-सृजन से क्या संबंध स्थापित किया गया है?
पौधे के फलों का सृजन से गहरा संबंध है। जिस प्रकार पौधे पर फल लगते हैं और उनमें रस भर जाता है, इसी प्रकार भावों से काव्य रचना जन्म लेती है और उसमें से अलौकिक रस की धारा फूट निकलती है। यह रसधारा अनंत काल तक बनी रहती है अर्थात् रचना कालजयी हो जाती है।
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कवि ने कागज की तुलना किससे की है और क्यों?
कवि के अनुसार बीज की रोपाई का क्या परिणाम होता है?
अंधड किसका प्रतीक है? वह क्या कर जाता है?
पौधों के फलों का काव्य-सृजन से क्या संबंध स्थापित किया गया है?
नभ में पाँती-बँधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जातीं वे मेरी आँखें।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।
हौले हौले जाती मुझे बाँध निज माया से।
उसे कोई तनिक रोक रक्खो।
वह तो चुराए लिए जातीं मेरी आँखें
नभ में पाँती-बँधी बगुलों की पाँखें।
कवि ने आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते सफेद बगुलों की तुलना किससे की है?
‘वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें’-काव्य-पंक्ति के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि की आँखें कौन और किस प्रकार चुराए लिए जा रहा है?
‘उसे कोई तनिक रोक रक्खो’-काव्य-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?
रचना के संदर्भ में अँधड़ और बीज क्या है?
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