फिराक गोरखपुरी
किस्मत शायर पर रोती है अर्थात् उससे गिला-शिकवा करती है जबकि शायर अपनी किस्मत पर रोता है। उसकी किस्मत ही खराब है। इस प्रकार शायर और किस्मत में तना-तनी चलती रहती है। दोनों का संबंध अटूट जो है। कवि कहता है कि उसका भाग्य भी कभी उसके साथ नहीं रहा। किस्मत सदैव उसके खिलाफ रही। इसलिए वह किस्मत पर भरोसा नहीं करता। जब भी भाग्य की चर्चा होती है तो वह उसके नाम पर रो लेता है।
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कवि और कविता का नाम लिखिए।
कौन, किसे, कहाँ लिए खड़ी है?
माता अपनी संतान को किस प्रकार खिला रही हें?
बच्चा क्या करता है?
उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े।
माँ बच्चे के लिए क्या-क्या काम करती है?
बच्चा कब अपनी माँ के मुँह को प्यार से देखता है?
चीनी के खिलौने जगमगाते लावे
वो रूपवती मुखड़े पॅ इक नर्म दमक
बच्चे के घरौंदे में जलाती है दिए
दीपावली पर लोग क्या करते हैं?
दीपावली पर बच्चे माँ से क्या फरमाइश करते हैं?
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