सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नो के उत्तर दीजिए:
अशनि-पात से शायित, उन्नत शत-शत वीर,
क्षत-विक्षत हन अचल-शरीर
गगन-स्पर्शी स्पर्धा धीर।
हँसते हैं पौधे छोटे अघुभार
शस्य अपार,
हिल-हिल
खिल-खिल,
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रन से छोटे ही हैं शोभा पाते।
1. आशय स्पष्ट कीजिए: विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
2. पर्वत के लिए प्रयुक्त विशेषणों का सौदंर्य स्पष्ट कीजिए।
3. वज्रपात करने वाले भीषण बादलों का छोटे पौधे कैसे आवाहन करते हैं और क्यों?
1. ‘विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ का आशय यह है कि क्रांति के आगमन का लाभ छोटे लोगों अर्थात् शोषितों को ही मिलता है। वे ही इससे प्रसन्न होते हैं क्योंकि क्रांति का सर्वाधिक लाभ उन्हीं को मिलता है।
2. पर्वत के लिए प्रयुक्त विशेषण:
‘गगन स्पर्शी’ अर्थात् आकाश को छूने वाले (बहुत ऊँचे) पर्वतों को ‘गगन स्पर्शी’ कहकर उनकी ऊँचाई को बताया गया है। वे शोषक वर्ग के प्रतीक हैं। स्पर्धा धीर: पर्वत को ‘स्पर्धा धीर’ विशेषण दिया गया है। वे स्पर्धा करने वाले हैं, शोषक हैं।
3. छोटे पौधे मस्ती में हिल-हिल कर, हँसते-मुस्कराते हाथ पसारे भीषण बादलों का आवाहन करते हैं।
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कवि ने दुख की छाया की तुलना किससे की है और क्यों?
कवि ने बादल का ही आह्वान क्यों किया है?
क्रांति की गर्जना का क्या प्रभाव पड़ता है।
वर्षण है मूसलाधार
हृदय थाम लेता संसार
सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।
अशनि-पात से शायित उन्नत शत-शत-वीर,
क्षत-विक्षत-हत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्धा-धीर।
कवि ने बादलों का आहान क्यों किया है?
बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?
‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।
शस्य अपार,
हिल-हिल,
खिल-खिल
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।.
क्रांति की गर्जना पर कौन हंसते हैं?
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