सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

Question

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर

तुझे बुलाता कृषक अधीर

ऐ विप्लव के वीर!

चूस लिया है उसका सार

हाड़ मात्र ही हैं आधार,

ऐ जीवन के पारावार!

Answer

प्रसगं: प्रस्तुत पक्तियाँ प्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘बादल राग ‘ से अवतरित हैं। इसमें शोषित वर्ग द्वारा क्रांति के आह्वान का चित्रण किया गया है।

व्याख्या: कवि बताता है कि अशक्त भुजाओं और कमजोर शरीर वाला किसान अधीर होकर क्रांति का आह्वान करता है। उसके कष्टों का हरण करने वाला क्रांति का बादल ही है। हे जीवन के पारावार (बादल)! इन पूँजीपतियों ने किसान के जीवन का सारा रस ही चूस लिया है और उसे प्राणहीन बना दिया हैं। भूख से बेहाल किसान अब नर-कंकाल बनकर रह गया है। वह हड़ियों का ढाँचा मात्र दिखाई देता है। तुम्हीं अपने जल-वर्षण से उसे नया जीवन दे सकते हो। वह तुम्हें पुकार रहा है।

भाव यह है कि क्रांति के आगमन से पूँजीपति तो दहल जाते हैं, पर जीर्ण-शीर्ण किसान अधीर होकर उसे बुलाते हैं। क्रांति से साधारण लोग ही लाभान्वित होते हैं।

विशेष: 1. ‘शीर्ण शरीर’ में अनुप्रास अलंकार है।

2. वर्ग-वैषम्य का प्रभावी चित्रण किया गया है।

2. बादल के माध्यम से क्रांति का आह्वान किया गया है।

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Some More Questions From सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ Chapter

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें

तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुःख की छाया-

जग के दग्ध हृदय पर

निर्दय विप्लव की प्लावित माया-

यह तेरी रण-तरी,

भरी आकांक्षाओं से,

धन, भेरी-गर्जन से सजग, सुप्त अंकुर

उर में पृथ्वी के, आशाओं से,

नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,

ताक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल!

फिर फिर!

इस कविता में किसे संबोधित किया गया है?

कवि ने दुख की छाया की तुलना किससे की है और क्यों?

कवि ने बादल का ही आह्वान क्यों किया है?

क्रांति की गर्जना का क्या प्रभाव पड़ता है।

दिये गये काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करें
बार-बार गर्जन,

वर्षण है मूसलाधार

हृदय थाम लेता संसार

सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।

अशनि-पात से शायित उन्नत शत-शत-वीर,

क्षत-विक्षत-हत अचल-शरीर,

गगन-स्पर्शी स्पर्धा-धीर।

कवि ने बादलों का आहान क्यों किया है?

बादलों की गर्जना का संसार पर क्या प्रभाव पड़ता है?

कवि ने बादलों की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?

‘गगन स्पर्शी, स्पर्धावीर’ का आशय स्पष्ट करो।