आलोक धन्वा
‘रोमांचित शरीर का संगीत’ का जीवन की लय से क्या संबंध है?
जब शरीर रोमांचित होता है तभी हृदय से संगीत के स्वर फूटते हैं। इससे जीवन की लय प्रकट होती है। जीवन का लयबद्ध होना आनंद की अनुभूति कराता है। इससे शरीर में रोमांच उत्पन्न होता है। तब हम अपने मन के अनुकूल कार्य कर पाएँगे। हमारा प्रत्येक अंग रोमांचित हो उठेगा। उसमें संगीत का जोश उत्पन्न होता प्रतीत होगा।
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बच्चे पतंग उड़ाते हुए किस खतरनाक स्थिति तक पहुँच जाते हैं? तब उन्हें कौन बचाता है?
कवि के पतंग के साथ बच्चों के बारे में क्या संबंध स्थापित किया है?
‘सबसे तेज बौछारें गयी, भादों गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों मे करें।
सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन बीज, सबसे पतला कागज, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?
बिंब स्पष्ट करें-
सबसे तेज बौछारें गईं भादों गया
सवेरा हुआ
खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा
शरद आया पुलों को पार करते हुए
अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए
घंटी बजाते हुए जोर-जोर से
चमकीले इशारों से बुलाते हुए और
आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए
कि पतंग ऊपर उठ सके।
निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) छतों को भी नरम बनाते हुए दिशाओं को मृदय की तरह बजाते हुए
(ख) अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।
आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर आपके मन में कैसे खयाल आते हैं? लिखिए।
‘रोमांचित शरीर का संगीत’ का जीवन की लय से क्या संबंध है?
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