निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) छतों को भी नरम बनाते हुए दिशाओं को मृदय की तरह बजाते हुए
(ख) अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।
A. दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है? | (i) बच्चे जब छतों पर इधर-उधर घूमते हैं उनके पैरों से छत नरम बनती प्रतीत होती है क्योंकि बच्चों के चरण कोमल होते हैं। तब ऐसा प्रतीत होता है कि वे दिशाओं को मृदंग की तरह बजा रहे हैं। छतों पर होने वाली आवाज मृदंग की तरह प्रतीत होती है। बच्चे शोर भी मचाते हैं। |
B. जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती है? | (ii) जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए हमको छत कठोर प्रतीत नहीं होती। उस समय हमारा ध्यान पतंग पर ही केंद्रित रहता है। कष्ट का अनुभव ही नहीं होता। |
C. जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए हमको छत कठोर प्रतीत नहीं होती। उस समय हमारा ध्यान पतंग पर ही केंद्रित रहता है। कष्ट का अनुभव ही नहीं होता। | (iii) खतरनाक स्थितियों का सामना करने के बाद हम दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को निडर अनुभव करते हैं। हम और भी साहसी एवं चमकदार रूप से उभरते हैं। तब हम निडर बन जाते हैं। इसके बाद जीवन में आने वाली चुनौतियों में हम सहज अनुभव करते हैं। |
A. दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है? | (i) बच्चे जब छतों पर इधर-उधर घूमते हैं उनके पैरों से छत नरम बनती प्रतीत होती है क्योंकि बच्चों के चरण कोमल होते हैं। तब ऐसा प्रतीत होता है कि वे दिशाओं को मृदंग की तरह बजा रहे हैं। छतों पर होने वाली आवाज मृदंग की तरह प्रतीत होती है। बच्चे शोर भी मचाते हैं। |
B. जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती है? | (ii) जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए हमको छत कठोर प्रतीत नहीं होती। उस समय हमारा ध्यान पतंग पर ही केंद्रित रहता है। कष्ट का अनुभव ही नहीं होता। |
C. जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए हमको छत कठोर प्रतीत नहीं होती। उस समय हमारा ध्यान पतंग पर ही केंद्रित रहता है। कष्ट का अनुभव ही नहीं होता। | (iii) खतरनाक स्थितियों का सामना करने के बाद हम दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को निडर अनुभव करते हैं। हम और भी साहसी एवं चमकदार रूप से उभरते हैं। तब हम निडर बन जाते हैं। इसके बाद जीवन में आने वाली चुनौतियों में हम सहज अनुभव करते हैं। |