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आलोक धन्वा

Question
CBSEENHN12026076

निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) छतों को भी नरम बनाते हुए दिशाओं को मृदय की तरह बजाते हुए

(ख) अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।

A. दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है? (i) बच्चे जब छतों पर इधर-उधर घूमते हैं उनके पैरों से छत नरम बनती प्रतीत होती है क्योंकि बच्चों के चरण कोमल होते हैं। तब ऐसा प्रतीत होता है कि वे दिशाओं को मृदंग की तरह बजा रहे हैं। छतों पर होने वाली आवाज मृदंग की तरह प्रतीत होती है। बच्चे शोर भी मचाते हैं।
B. जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती है? (ii) जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए हमको छत कठोर प्रतीत नहीं होती। उस समय हमारा ध्यान पतंग पर ही केंद्रित रहता है। कष्ट का अनुभव ही नहीं होता।
C. जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए हमको छत कठोर प्रतीत नहीं होती। उस समय हमारा ध्यान पतंग पर ही केंद्रित रहता है। कष्ट का अनुभव ही नहीं होता। (iii) खतरनाक स्थितियों का सामना करने के बाद हम दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को निडर अनुभव करते हैं। हम और भी साहसी एवं चमकदार रूप से उभरते हैं। तब हम निडर बन जाते हैं। इसके बाद जीवन में आने वाली चुनौतियों में हम सहज अनुभव करते हैं।

Solution

A.

दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने का क्या तात्पर्य है?

(i)

बच्चे जब छतों पर इधर-उधर घूमते हैं उनके पैरों से छत नरम बनती प्रतीत होती है क्योंकि बच्चों के चरण कोमल होते हैं। तब ऐसा प्रतीत होता है कि वे दिशाओं को मृदंग की तरह बजा रहे हैं। छतों पर होने वाली आवाज मृदंग की तरह प्रतीत होती है। बच्चे शोर भी मचाते हैं।

B.

जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए क्या आपको छत कठोर लगती है?

(ii)

जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए हमको छत कठोर प्रतीत नहीं होती। उस समय हमारा ध्यान पतंग पर ही केंद्रित रहता है। कष्ट का अनुभव ही नहीं होता।

C.

जब पतंग सामने हो तो छतों पर दौड़ते हुए हमको छत कठोर प्रतीत नहीं होती। उस समय हमारा ध्यान पतंग पर ही केंद्रित रहता है। कष्ट का अनुभव ही नहीं होता।

(iii)

खतरनाक स्थितियों का सामना करने के बाद हम दुनिया की चुनौतियों के सामने स्वयं को निडर अनुभव करते हैं। हम और भी साहसी एवं चमकदार रूप से उभरते हैं। तब हम निडर बन जाते हैं। इसके बाद जीवन में आने वाली चुनौतियों में हम सहज अनुभव करते हैं।

Some More Questions From आलोक धन्वा Chapter

बच्चों के जन्म के समय की तुलना किससे की गई है और क्यों?

कवि ने बच्चों के दौड़ने का वर्णन किस प्रकार किया है?

बच्चे पतंग उड़ाते हुए किस खतरनाक स्थिति तक पहुँच जाते हैं? तब उन्हें कौन बचाता है?

कवि के पतंग के साथ बच्चों के बारे में क्या संबंध स्थापित किया है?

‘सबसे तेज बौछारें गयी, भादों गया’ के बाद प्रकृति में जो परिवर्तन कवि ने दिखाया है, उसका वर्णन अपने शब्दों मे करें।

सोचकर बताएँ कि पतंग के लिए सबसे हल्की और रंगीन बीज, सबसे पतला कागज, सबसे पतली कमानी जैसे विशेषणों का प्रयोग क्यों किया है?

बिंब स्पष्ट करें-

सबसे तेज बौछारें गईं भादों गया

सवेरा हुआ

खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा

शरद आया पुलों को पार करते हुए

अपनी नई चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए

घंटी बजाते हुए जोर-जोर से

चमकीले इशारों से बुलाते हुए और

आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए

कि पतंग ऊपर उठ सके।

जन्म से ही वे अपने साथ लाने हैं कपास-कपास के बारे में सोचें कि कपास से बच्चों का क्या संबंध बन सकता है?

पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं-बच्चों का उड़ान से कैसा सबंध बनता है?

निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) छतों को भी नरम बनाते हुए दिशाओं को मृदय की तरह बजाते हुए

(ख) अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से और बच जाते हैं तब तो और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं।