☰
✕
  • NCERT Classes
    • Class 7
    • Class 8
    • Class 9
    • Class 10
    • Class 11
    • Class 12
  • Previous Year Papers
    • CBSE Class 10 and 12
    • NEET Class 12
    • IIT JEE-Main Class 12
    • ICSE Class 10 and 12
    • CLAT Class 12
  • Entrance Exams
    • IIT-JEE
    • NEET
    • CLAT
    • SSC-CGL
    • SSC-CHSL
  • State Boards
    • Assam Board
    • UP Board English Medium
    • UP Board Hindi Medium
    • CBSE Board English Medium
    • CBSE Board Hindi Medium
    • Uttarakhand Board Hindi Medium
    • Manipur Board
    • Goa Board
    • Gujrat Board
    • Haryana Board English Medium
    • Haryana Board Hindi Medium
    • Uttarakhand Board English Medium
    • Himachal Board English Medium
    • Himachal Board Hindi Medium
    • ICSE Board
    • Jharkhand Board English Medium
    • Jharkhand Board Hindi Medium
    • Karnataka Board
    • Meghalya Board
    • Nagaland Board
    • Punjab Board
    • Rajasthan Board English Medium
    • Rajasthan Board Hindi Medium

For Daily Free Study Material Join wiredfaculty

Home > राजस्थान की रजत बूँदें

राजस्थान की रजत बूँदें

Question
CBSEENHN11012385
WiredFaculty App

इस पाठ में रेत के कणों के बारे में क्या बताया गया है? विस्तारपूर्वक लिखिए।

Solution
Short Answer

पाठ में बताया गया है कि रेत के कण बहुत ही बारीक होते हैं। वे अन्यत्र मिलने वाली मिट्टी के कणों की तरह एक दूसरे से चिपकते नहीं। जहाँ लगाव है, वहाँ अलगाव भी होता है। जिस मिट्टी के कण परस्पर चिपकते हैं, वे अपनी जगह भी छोड़ते हैं और इसलिए वहाँ कुछ स्थान खाली छूट जाता है। जैसे दोमट या काली मिट्टी के क्षेत्र में गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार आदि में वर्षा बंद होने के बाद धूप निकलने पर मिट्टी के कण चिपकने लगते हैं और धरती में, खेत और आँगन में दरारें पड़ जाती हैं। धरती की संचित नमी इन दरारों से गरमी पड़ते ही वाष्प बनकर वापस वातावरण में लौटने लगती है। पर यहाँ बिखरे रहने में ही संगठन है। मरुभूमि में रेत के कण समान रूप से बिखरे रहते हैं। यहाँ परस्पर लगाव नहीं, इसलिए अलगाव भी नहीं होता। पानी गिरने पर कण थोड़े भारी हो जाते हैं पर अपनी जगह नहीं छोड़ते। इसलिए मरुभूमि में धरती पर दरारें नहीं पड़ती। भीतर समाया वर्षा का जल भीतर ही बना रहता है। एक तरफ थोड़े नीचे चल रही पट्टी इसकी रखवाली करती है तो दूसरी तरफ ऊपर रेत के असंख्य कणों का कड़ा पहरा बैठा रहता है।

Some More Questions From राजस्थान की रजत बूँदें Chapter

कुंई की गहराई में चल रहे काम के कारण उत्पन्न गरमी को कम करने के लिए क्या उपाय किया जाता है?

इस पाठ में रेत के कणों के बारे में क्या बताया गया है? विस्तारपूर्वक लिखिए।

कई का मुँह छोटा रखने के कौन-कौन से कारण हैं?

कुंआँ कुंई से किस अर्थ में भिन्न होता है?

खड़िया पत्थर की पट्टी कहाँ चलती है?

खड़िया पत्थर की पट्टी क्या काम करती है?

वर्षा की बूँदें अमृत जैसे मीठे पानी में कैसे बदल जाती हैं?

रेजाणीपानी कौन सा पानी होता है? रेजा किसे मापता है?

पहले दिन कुंई खोदने के साथ-साथ क्या काम कर लिया जाता है?

कुंई बनने की सफलता पर किस प्रकार प्रसन्नता प्रकट की जाती है?

Sponsor Area

Mock Test Series

Mock Test Series

  • NEET Mock Test Series
  • IIT-JEE Mock Test Series
  • CLAT Mock Test Series
  • SSC-CGL Mock Test Series
  • SSC-CHSL Mock Test Series

NCERT Sample Papers

  • CBSE English Medium
  • CBSE Hindi Medium
  • ICSE

Entrance Exams Preparation

  • NEET
  • IIT-JEE
  • CLAT
  • SSC-CGL
  • SSC-CHSL

ABOUT US

  • Company Blog Term of Use Privacy Policy

NCERT SOLUTIONS

  • NCERT Solutions for Class-7th NCERT Solutions for Class-8th NCERT Solutions for Class-9th NCERT Solutions for Class-10th NCERT Solutions for Class-11th NCERT Solutions for Class-12th

CONTACT US

Phone Number

+91-8076753736

Email Address

support@wiredfaculty.com

Location

A2/44 Sector-3 Rohini Delhi 110085

Rated 3 / 5.0 by 36000+ satisfied students on 350+ tutoring projects

Copyright © 2025 wiredfaculty. Powered by - wiredfaculty.com