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राजस्थान की रजत बूँदें

Question
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वर्षा की बूँदें अमृत जैसे मीठे पानी में कैसे बदल जाती हैं?

Solution

वर्षा में बरसी बूँद-बूँद रेत में समा कर नमी में बदल जाती है। अब यहाँ कुंई बन जाए तो उसका पेट, उसकी खाली जगह चारों तरफ रेत में समाई नमी को फिर से बूँदों में बदलती है। बूँद-बूँद रिसती है और कुंई में पानी जमा होने लगता है-खारे पानी के सागर में अमृत जैसा मीठा पानी हो जाता है।

Some More Questions From राजस्थान की रजत बूँदें Chapter

राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है?

दिनों-दिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपकी कैसे मदद कर सकता है तथा देश के अन्य राज्यों में इसके लिए क्या उपाय हो रहे हैं? जानें और लिखें।

चेजारों के साथ गाँव-समाज के व्यवहार में पहले की तुलना में आज क्या फर्क आया है? पाठ के आधार पर बताइए।

निजी होते हुए भी: सार्वजनिक क्षेत्र में कुंइयों पर ग्राम्य समाज का अंकुश लगा रहता है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा?

कुंई निर्माण से संबंधित निम्न शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करें-

पालरपानी, पातालपानी, रेजाणीपानी।

कुंई की गहराई में चल रहे काम के कारण उत्पन्न गरमी को कम करने के लिए क्या उपाय किया जाता है?

इस पाठ में रेत के कणों के बारे में क्या बताया गया है? विस्तारपूर्वक लिखिए।

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