अवतार सिंह पाश
'घड़ी' शब्द में यह व्यंजना है कि वह समय सबसे खतरनाक होता है जो आगे बढ़ने के स्थान पर एक बिंदु पर आकर रुक जाता है। यह ‘ठहराव’ उस घड़ी को सूचित करता है। ‘घड़ी’ समय बताने का यंत्र भी है। जब व्यक्ति की आगे बढ़ने की चाह समाप्त हो जाती है तब उसे ‘रुकी घड़ी’ कहा जाता है।
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कवि ने कविता में कई बातों को ‘बुरा है’ न कहकर ‘बुरा तो है’ कहा है। ‘तो’ ‘प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है, स्पष्ट कीजिए?
वह चाँद सबसे खतरनाक क्यों होता है, जो हर हत्याकांड के बाद/आपकी आँखों में मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है?
कवि ने मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती से कविता का आरंभ करके फिर इसी से अंत क्यों किया?
कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में अन्य किन बातों को आप खतरनाक मानते हैं?
समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए आपके क्या सुझाव हैं?
‘सबसे खतरनाक’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
क्या-क्या स्थितियाँ बुरी होते हुए भी सबसे खतरनाक नहीं हैं?
दी गयी कविता सबसे खतरनाक बातें क्या-क्या हैं?
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