साना साना हाथ जोड़ि..
प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?
प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था नायाब ढंग से की है। प्रकृति सर्दियों में बर्फ के रूप में जल संग्रह कर लेती है और गर्मियों में पानी के लिए जब त्राहि-त्राहि मचती है, तो उस समय यही बर्फ शिलाएँ पिघलकर जलधारा बन के नदियों को भर देती है। नदियों के रूप में बहती यह जलधारा अपने किनारे बसे नगर तथा गावों में जल-संसाधन के रूप में तथा नहरों के द्वारा एक विस्तृत क्षेत्र में सिंचाई करती हैं और अंत में सागर में जाकर मिल जाती हैं। सागर से फिर से वाष्प के रूप में जल-चक्र की शुरुआत होती है। सचमुच प्रकृति ने जल संचय की कितनी अद्भुत व्यवस्था की है।
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जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?
इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है, उल्लेख करें।
'कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।' इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?
आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है। इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए।
प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आये हैं, लिखें।
'कटाओ' पर किसी भी दूकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए?
प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?
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