प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आये हैं, लिखें।
आज की पीढ़ी के द्वारा प्रकृति को प्रदूषित किया जा रहा है। प्रदूषण का मौसम पर असर साफ दिखाई देने लगा है। प्रदूषण के चलते जलवायु पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कहीं पर बारिश अतिरिक्त हो जाती है तो किसी स्थान पर अप्रत्याशित रूप से सूखा पड़ रहा है। गर्मी के मौसम में गर्मी की अधिकता देखते बनती है। कई बार तो पारा अपने सारे रिकार्ड को तोड़ चुका होता है। सर्दियों के समय में या तो कम सर्दी पड़ती है या कभी सर्दी का पता ही नहीं चलता। ये सब प्रदूषण के कारण ही सम्भव हो रहा है। प्रदूषण के कारण वायुमण्डल में कार्बनडाइआक्साइड की अधिकता बढ़ गई है जिसके कारण वायु प्रदूषित होती जा रही है। इससे साँस की अनेकों बीमारियाँ उत्पन्न होने लगी है। प्रदूषण के कारण पहाड़ी स्थानों का तापमान बढ़ गया है, जिससे स्नोफॉल कम हो गया। ध्वनि प्रदूषण से शांति भंग होती है। ध्वनि-प्रदूषण मानसिक अस्थिरता, बहरेपन तथा अनिंद्रा जैसे रोगों का कारण बन रहा है। जलप्रदूषण के कारण स्वच्छ जल पीने को नहीं मिल पा रहा है और पेट सम्बन्धी अनेकों बीमारियाँ उत्पन्न हो रही हैं।