मधुर – मधुर मेरे दीपक जल

Question

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?

Answer

कवयित्री अपने मन के आस्था रुपी दीपक से अपने परमात्मा रूपी प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती हैं। उनका प्रियतम ईश्वर है। 

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Some More Questions From मधुर – मधुर मेरे दीपक जल Chapter

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

सागर को जलमय कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?

 

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

कवयित्री दीपक को विहँस विहँस जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

 

क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा 'महादेवी वर्मा' इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अतंर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए?

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल!

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर!

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन!

इस कविता में जब एक शब्द बार-बार आता है और वह योजक चिन्ह द्वारा जुड़ा होता है, तो वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है; जैसे - पुलक-पुलक। इसी प्रकार के कुछ और शब्द खोजिए जिनमें यह अलंकार हो।