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मधुर – मधुर मेरे दीपक जल

Question
CBSEENHN10002419

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर!

Solution

इन पंक्तियों में कवयित्री का यह भाव है कि आस्था रुपी दीपक प्रतिदिन, प्रतिपल जलता रहे। युगों-युगों तक प्रकाश फैलाता रहे। अपने मन में व्याप्त अंधकार को नष्ट करता हुआ रहे और प्रियतम रुपी ईश्वर का मार्ग प्रकाशित करता रहे अर्थात् ईश्वर में आस्था बनी रहे। 

Some More Questions From मधुर – मधुर मेरे दीपक जल Chapter

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

सागर को जलमय कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?

 

नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

कवयित्री दीपक को विहँस विहँस जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

 

क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा 'महादेवी वर्मा' इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अतंर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए?

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल!

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर!

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन!

इस कविता में जब एक शब्द बार-बार आता है और वह योजक चिन्ह द्वारा जुड़ा होता है, तो वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है; जैसे - पुलक-पुलक। इसी प्रकार के कुछ और शब्द खोजिए जिनमें यह अलंकार हो।