निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर!
इन पंक्तियों में कवयित्री का यह भाव है कि आस्था रुपी दीपक प्रतिदिन, प्रतिपल जलता रहे। युगों-युगों तक प्रकाश फैलाता रहे। अपने मन में व्याप्त अंधकार को नष्ट करता हुआ रहे और प्रियतम रुपी ईश्वर का मार्ग प्रकाशित करता रहे अर्थात् ईश्वर में आस्था बनी रहे।