आत्मत्राण
अंत में कवि अनुनय करता है कि चाहे सब लोग उसे धोखा दे, सब दुख उसे घेर ले पर ईश्वर के प्रति उसकी आस्था कम न हो, सुखों के आने पर भी ईश्वर को हर क्षण याद करता रहें। उसका विश्वास बना रहे। उसका ईश्वर के प्रति विश्वास कभी न डगमगाए। इस पूरी कविता में कवि ने ईश्वर से साहस और आत्मबल माँगा है।
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'आत्मत्राण' कवित में कवि की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है? अपने शब्दों में लिखिए।
'आत्मत्राण' कविता के द्वारा कवि क्या कहना चाहता है? उसका संदेश स्पष्ट कीजिए।
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