निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये: छाया मत छूना मन, होगा दुख दूना। दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं, देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत नहीं। दुख है न चाँद खिला शरद-रात आने पर, क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर? जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण, छाया मत छूना मन, होगा दुख दूना।
‘भविष्य वरण’ का क्या अर्थ है?
Answer
Short Answer
‘भविष्य वरण’ का अर्थ आने वाले समय की ओर आगे बढ़कर नए उद्देशयों और लक्ष्यों की प्राप्ति करना है, उनका चुनाव करना है।
Sponsor Area
Some More Questions From गिरिजाकुमार माथुर - छाया मत छूना Chapter